बीजेपी सवर्ण वर्ग की नाराजगी को दूर करने की कोशिशों में जुट गई है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने वरिष्ठ मंत्रियों और पार्टी नेताओं के साथ एससी/एसटी ऐक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के बाद बने हालात पर विस्तार से चर्चा की है. पार्टी आधिकारिक रूप से इस संवेदनशील मुद्दे पर टिप्पणी करने को तैयार नहीं है, लेकिन पार्टी नेता इस मुद्दे को तूल देने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बता रहे हैं. पार्टी ने इस मुद्दे पर उठ रहे सवालों का जवाब देने का मन भी बनाया है. बताया जा रहा है कि इस सप्ताहांत दिल्ली में होने वाली बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है.
गौरतलब है कि बीजेपी के भीतर से सरकार के इस कदम का तीखा विरोध शुरू हो गया है. विरोध करने वालों में पार्टी के अगड़ी जाति के नेता प्रमुख हैं. बीजेपी सरकारों के लिए एक बड़ा सिरदर्द कल बुलाया गया भारत बंद भी है. यह कुछ सवर्ण संगठनों ने बुलाया है. एससी एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दलित संगठनों के 2 अप्रैल को बुलाए गए भारत बंद में कई राज्यों में हिंसा हुई थी जिनमें नौ लोग मारे गए थे. मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है. वहां 2 अप्रैल के बंद के दौरान छह लोग ग्वालियर चंबल संभाग में मारे गए थे. सरकार वहां अब पूरा ऐहतियात बरत रही है.
बीजेपी के भीतर भी इसका विरोध तेज हो रहा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र कह चुके हैं कि सवर्णों की चिंताओं को दूर किया जाना चाहिए, लेकिन पार्टी के भीतर वरिष्ठ नेताओं को लगता है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में सभी को संयम से काम लेना चाहिए. यह विरोध अभी यहीं नहीं थमा है. अपने बयानों से पार्टी को परेशानी में डालते आए यूपी से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि दलित उत्पीड़न कानून बिजनेस बन गया है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि दलित प्रेमी सरकार और सभी पार्टियां विधेयक लाकर दस साल के लिए पूरे देश को दलितों के हवाले कर दें, ताकि आने वाले समय में कोई आरक्षण की मांग न कर सके. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस कानून के तहत दर्ज होने वाले अधिकांश मामले फर्जी होते हैं. हालांकि पार्टी उनकी बात से सहमत नहीं हैं. सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री विजय सांपला का कहना है कि यह सुरेंद्र सिंह की व्यक्तिगत राय है. संसद में यह बिल सबके समर्थन से पारित हुआ है.
बीजेपी ने मॉनसून सत्र को सामाजिक न्याय के प्रति समर्पित बताया था. पार्टी ने सभी सांसदों से कहा था कि वे एससी/एसटी ऐक्ट में बदलाव और पिछड़े वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की उपलब्धि का पूरे देश में प्रचार करें, लेकिन बीजेपी को शायद यह अंदाजा नहीं था कि अगड़े वर्ग में इसकी इतनी तीखी प्रतिक्रिया होगी. मध्य प्रदेश को लेकर बीजेपी ज्यादा परेशान है जहां दिसंबर में चुनाव होना है. फिलहाल तो उसकी सबसे बड़ी चुनौती कल के भारत बंद को शांतिपूर्ण रखने की है.
(अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.
This Article is From Sep 05, 2018
सवर्णों की नाराज़गी दूर करने में जुटी बीजेपी
Akhilesh Sharma
- ब्लॉग,
-
Updated:सितंबर 05, 2018 21:58 pm IST
-
Published On सितंबर 05, 2018 21:58 pm IST
-
Last Updated On सितंबर 05, 2018 21:58 pm IST
-
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं