अफशां की वर्ल्ड कप डायरी : वर्ल्ड कप वीज़ा

एडिलेड:

"मैडम जी, जा रहे हो तो वर्ल्ड कप जिताकर लौटना..." दिल्ली हवाई अड्डे पर यह बात हमारी टीम से एक कस्टम अफसर ने कही। शायद ही ऐसा कोई पुलिस अफसर या सिक्योरिटी गॉर्ड रहा हो, जिसने टीम इंडिया के लिए कोई मैसेज या बधाई न दी हो। मैं और मेरी साथी रिपोर्टर रिका रॉय दोनों ऐसी ही बातें सुनते-सुनते अपनी फ्लाइट तक पहुंचे और आखिरकार आ पहुंचे ऑस्ट्रेलिया। 12 घंटे की हवाई उड़ान ने हमें एक बार फिर याद दिलाया कि क्रिकेट खेलना ही मुश्किल नहीं है, बल्कि उसे कवर करने में भी काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं।

खैर, अब हम एडिलेड में हैं। उम्मीद थी कि पूरा शहर वर्ल्ड कप की धूम से सराबोर होगा - लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसा कुछ नहीं है। दो दिन में टीम इंडिया के हिन्दुस्तानी फैंस के अलावा वर्ल्ड कप का इंतज़ार करने वालों की तादाद कम नज़र आई। लेकिन घबराइए नहीं, बात साफ़ है, आने वाली 15 तारीख अपने साथ लाएगी सबसे बड़ा मुक़ाबला। भारत पाकिस्तान के बीच अगर मैच धमाकेदार रहा तो टूर्नामेंट को वह शुरुआत मिल जाएगी, जिसका सबको इंतज़ार है! भारतीय मूल के टैक्सी ड्राइवर्स और रेस्त्रां में बैठे भारतीय फैंस यही कहते हैं।

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रात होते-होते हमारी मुलाक़ात भारत-आर्मी नाम के एक दल से हुई, जो लंदन से यहाँ अपनी टीम का हौसला बढ़ाने आए हैं। इतना ही नहीं, पाकिस्तानी दर्शक और मीडिया भी धीरे-धीरे यहां टहलते दिख रहे हैं। अगले तीन दिन में शहर का माहौल बदलने वाला है और जिस मैच का इंतज़ार हर वर्ल्ड कप में सबको रहता है, वह इस बार भी जोश पैदा करता नज़र आएगा।