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This Article is From Dec 30, 2017

मौत की कीमत आप क्या जानो कमिश्नर साहब!

Abhishek Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 30, 2017 01:05 am IST
    • Published On दिसंबर 30, 2017 01:05 am IST
    • Last Updated On दिसंबर 30, 2017 01:05 am IST
मुंबई के कमला मिल से जो लाशें उठी हैं, उन्हें देख आप सिहर जाएंगे.  हो सकता है मुंबई के बीएमसी कमिश्नर भी सिहर पड़े हों या ये भी हो सकता है कि उनके लिये सिर्फ नंबर मायने रखते हों या फिर ये कि कौन मरा है. अदना हो या आला, नौजवान की अर्थी उठाना शायद दुनिया में दर्द का पहाड़ उठाने जैसा है. मौत कमला मिल में हुई हो या कुर्ला में, दर्द उतना ही था कमिश्नर साब. हमें दोनों हादसों के दर्द का अहसास है, लेकिन शायद आप मीडिया में बड़ी होती हेडलाइन के हिसाब से ड्यूटी बजाते हैं. वरना क्या वजह हुई कि इसी महीने किसी एक फरसाण की दुकान खाक होने पर आपने मुस्तैदी नहीं दिखाई. वहां भी लोग झुलस कर मरे थे. 

हमें पता है आप बहुत कुछ नहीं बदल सकते लेकिन मातम में जो बची खुची आस होती है वो आप जैसे नामचीन अफसर ही जगाते हैं, लेकिन हमें पता है आप व्यस्त थे. वक्त नहीं निकाल पाये. हम कोई तुलना नहीं कर रहे, करते तो सवाल नहीं उठाते. सवाल तो अब इसलिये उठ रहा है क्योंकि बीते अग्नि कांड में आपने कितने बीएमसी अफसरों को किनारे किया? कितनों को बोला कि बस करो, आग और मौत से मत खेलो.

ये सवाल इसलिये उठा रहा हूं क्योंकि आप तब बोले होते, तो शायद 14 जवान अर्थियों को कोई बाप कंधा नहीं दे रहा होता. हमें पूरा यकीन है कि जब हम किसी फरसाण या नमकीन की दुकान हादसे को किसी आलीशान बार की आग से तौलेंगे तो आप सवाल खड़े करने वालों को झोलाझाप करार देंगे. हमें ये भी यकीन है कि जो जिम्मेदारी आप से शुरू होकर वार्ड ऑफिसर तक फिक्स होनी चाहिये, उस पर भी कुछ नहीं होगा.

मुंबई में बीएमसी कमिश्नर कोई मुंह बोला ही रह सकता है ये पूरे देश को पता है. आपको आपकी दिल्ली तक की पकड़ मुबारक हो, बस हमें बख्श दीजिये. शहर में ऐसे हालात ना बनाई ये कि फुटपाथ पर बच्चे चलें तो दिल की धड़कनें बढ़ जाएं, स्टेशन पर उतरें तो सलामती ती दुआ करें और बदकिस्मती से खुद के मनोरंजन का सोच लें तो बार-बार इस आग से फैली घुटन सामने तैर जाए. कमिश्नर साब, कुछ करिये इसके पहले कि ये किस्सा सरे आम हो जाए कि आप किसी की मौत का दुख उसकी पगार देखकर मनाते हैं.

(अभिषेक शर्मा एनडीटीवी में रेसीडेंट एडिटर हैं)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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