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लालू यादव के दो बेटों की कहानी, तेज प्रताप यादव को कैसे पीछे छोड़ते गए तेजस्वी?  

Tej Pratap Yadav News: तेज प्रताप यादव को क्या चुनाव बाद लालू यादव वापस परिवार और पार्टी में लेंगे? दूसरा ये कि क्या लालू यादव तेज प्रताप के प्यार को अपने घर में जगह देंगे? अगर ऐसा किया तो फिर समाज और दुनिया को क्या जवाब देंगे?

लालू यादव के दो बेटों की कहानी, तेज प्रताप यादव को कैसे पीछे छोड़ते गए तेजस्वी?  
Tej Pratap Yadav Story: लालू यादव का परिवार बंटने की कगार पर पहुंच चुका है.

Tej Pratap Yadav Story: कहानी पॉलीटिकल है, मगर लग सकती फिल्मी है. गरीबी से उठकर लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंच जाते हैं. सात बेटियों और दो बेटों की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती. भगवान ने लालू यादव को वो सब दे दिया था, जिसकी शायद उन्होंने सपने में भी कल्पना नहीं की थी. लालू यादव राजनीति और दौलत की सीढ़ियां बहुत तेजी से चढ़ते जा रहे थे और उनकी पत्नी राबड़ी देवी बच्चों की परवरिश कर रही थीं. ये दीगर बात है कि लालू यादव का विवादों से नाता कभी टूटा नहीं. कभी शहाबुद्दीन जैसे अपराधियों को राजनीति में लाने के आरोप लगे तो कभी चारा घोटाले के आरोप. भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जान से लेकर अपने नेताओं को दरकिनार कर अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपने की बात हो. लालू यादव विवादों के साथ ही अपनी जिंदगी बढ़ाते रहे. मगर उनके बच्चों को लेकर कभी विवाद सामने नहीं आया. बच्चों में सातवें नंबर पर तेज प्रताप यादव को परिवार, पार्टी और अन्य राजनीतिक दल लालू यादव के सिंहासन के दावेदार के रूप में देखते थे. इसका सबसे बड़ा कारण एक तो तेजस्वी परिवार में सबसे छोटे थे और दूसरे उनकी बचपन से रुचि क्रिकेट में थी. तेज प्रताप बचपन से खुद को लालू यादव का राजनीतिक वारिस मानते आए. यही कारण है कि तेज प्रताप यादव के भाषण से लेकर रंग-ढंग भी लालू यादव से मिलता-जुलता है. तेज प्रताप हमेशा अपना हीरो लालू यादव को ही बताते आए हैं. मगर तेज प्रताप के लिए किस्मत कुछ और ही कहानी लिख रही थी.

तेज प्रताप के बदले तेजस्वी को क्यों चुना

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लालू यादव के नाम और अपने शौक की बदौलत तेजस्वी यादव आईपीएल तक तो पहुंच गए लेकिन टीम इंडिया का हिस्सा नहीं बन पाए. उन्हें एहसास हो गया कि क्रिकेट में वो कुछ खास कमाल नहीं कर पाएंगे. इस बीच राजनीति में लालू यादव का ग्राफ लगातार गिर रहा था.अक्टूबर 2013 में लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में जेल की सज़ा मिली और चुनाव लड़ने से भी उन्हें रोक दिया गया. उधर, बिहार में नीतीश कुमार पूरी तरह जम चुके थे और लालू यादव की लाख कोशिशों के बाद भी नीतीश कुमार की कुर्सी पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा था. रही-सही कसर 2014 के लोकसभा चुनाव ने पूरी कर दी. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी फुल बहुमत से केंद्र की सत्ता में आ गए. वहीं आरजेडी महज़ चार सीटों पर सिमट गई. यहां तक कि राबड़ी देवी सारण और लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती पाटलीपुत्र लोकसभा सीट से चुनाव हार गईं. मगर लालू यादव को इसमें भी एक रास्ता दिख गया. नीतीश कुमार 2014 के चुनाव में एनडीए से अलग हो चुके थे. इस लोकसभा चुनाव में उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. वो मुख्यमंत्री की कुर्सी तक छोड़ चुके थे और अपनी ही पार्टी के जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बना चुके थे, मगर मांझी अलग ही मूड में थे. मौके की नजाकत देखते हुए लालू यादव और नीतीश कुमार ने आपस में संपर्क किया और  हाथ मिला लिया. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में लालू यादव ने अपने दोनों बेटों को राजनीति में नीतीश कुमार के साथ सेफली लॉन्च कर दिया. 2015 में तेज प्रताप महुआ से लड़े और 28,155 वोटों से जीत गए. तेजस्वी यादव भी राघोपुर से लड़े और जीत गए. लालू-नीतीश की पार्टी सत्ता में आ गई. मगर यहीं लालू यादव ने अपने फैसले से सबको चौंका दिया. लालू यादव ने तेजस्वी को डिप्टी सीएम और तेज प्रताप को नीतीश सरकार में मंत्री बनवा दिया.

तेज प्रताप के साथ लालू यादव ने क्यों किया ऐसा

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इसका कोई ठोस जवाब तो नहीं है, लेकिन लालू यादव की बातों से कई बार लगा कि लालू अपनी छवि तेजस्वी में देखते हैं. तेजस्वी छोटे होने के कारण दुलारे तो थे ही, साथ ही गोल-मटोल भी थे. ठीक लालू यादव की तरह. इसके साथ ही तेज प्रताप मां राबड़ी देवी के दुलारे थे और तेजस्वी लालू यादव के. ये बात कई बार तेज प्रताप ने अपने कई इंटरव्यू के दौरान ही बताई है. तेज प्रताप यादव में वही अक्खड़पना था, जो लालू यादव में हुआ करता था. लालू यादव वक्त के साथ बदल रहे थे और अपनी की हुई गलतियों और उसके चलते बनी इमेज के कारण राजनीति में अपनी चमक खो रहे थे, ऐसे में ठीक अपने तरह व्यवहार करने वाले तेज प्रताप की जगह थोड़े सौम्य तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी चुनना बेहतर समझा. उन्हें लगा कि तेज प्रताप में लोग उनकी छवि देखेंगे और फिर सत्ता आने वाले दिनों में हाथ से निकल जाएगी. साथ ही तेज प्रताप के गुस्से को कंट्रोल करने में खुद लालू यादव भी अपने आप को असमर्थ मानते थे. तेजस्वी को लेकर उनका मानना था कि छोटा होने के कारण वो तेज प्रताप के गुस्से को बर्दाश्त भी कर लेंगे और राजनीति में विवाद होने पर पूरे परिवार का बचाव कर लेंगे. ऐसे में उन्होंने कंट्रोल्ड तेजस्वी यादव को आगे कर दिया. मगर यहीं वो चूक गए. उन्होंने बाहर के महाभारत में अपना पलड़ा भारी करने के लिए घर के अंदर महाभारत खड़ा कर दिया. तेज प्रताप को तेजस्वी यादव का डिप्टी सीएम और खुद का मंत्री बनना अखरा तो जरूर लेकिन लालू यादव और राबड़ी देवी ने उन्हें समझा दिया कि पार्टी तो दोनों की है.

तेज प्रताप की शादी हुई तो लगा अब वक्त बदलेगा

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तेज प्रताप यादव की शादी 12 मई 2018 को पटना के वेटरनरी कॉलेज मैदान में धूमधाम से हुई थी. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती और बिहार सरकार में पूर्व मंत्री रहे चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय और तेज प्रताप शादी के बंधन में बंधे. शादी के दो दिनों बाद ही 14 मई को एक नामचीन अखबार में खबर छपी थी, जिसमें राबड़ी देवी ने संवाददाताओं के सवाल पर कहा था, "हमारी बहू लछमिनिया है. उसके आने से घर में कई खुशियां आईं हैं. इसके कुछ दिनों बाद तेज प्रताप यादव ने अपनी पहली पत्नी ऐश्वर्या को साइकिल पर बिठाए हुए फोटो भी पोस्ट की थी, जो खूब वायरल हुई थी. तब लगा कि बिहार के इतने बड़े घराने में तेज प्रताप की शादी हुई है तो इसका मतलब तेज प्रताप और मजबूत हो गए हैं. हालांकि यह खुशियां ज्यादा दिनों तक नहीं रहीं और छह महीने बाद ही तीन नवंबर 2018 को तेज प्रताप यादव ने पटना के फैमिली कोर्ट में ऐश्वर्या से तलाक की अर्जी दे दी. विपक्ष ने लालू परिवार पर हमला बोला था तो ऐश्वर्या का राबड़ी आवास से निकलकर रोते हुए जाने का वीडियो भी खूब चर्चा में रहा था. अभी तेज प्रताप यादव और उनकी पत्नी ऐश्वर्या के तलाक और घरेलू हिंसा का मामला कोर्ट में चल रहा है. कोर्ट ने 27 सितंबर को 2023 सुनवाई करते हुए एक ऑर्डर पास किया था, जिसमें कोर्ट ने याचिकाकर्ता तेज प्रताप यादव को आदेश किया था कि वह एक महीने के अंदर ऐश्वर्या के रहने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करें. साथ ही आदेश था  कि आवास का किराया और बिजली के बिल का खर्च भी वहन करें. 

तेज प्रताप के सामने तेजस्वी का क्यों बढ़ा कद

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पॉडकास्ट के दौरान जब तेज प्रताप यादव से पूछा गया कि क्या उनकी शादी राजनीतिक संबंधों को बेहतर करने के लिए कराई गई थी तो उन्होंने बेबाकी से इसका जवाब दिया. तेज प्रताप इंटरव्यू के दौरान कहते हैं कि उनकी शादी राजनीतिक वजहों से ही कराई गई थी.उन्होंने कहा, 'सभी लोग मेरे गले और दिमाग पर चढ़ गए थे और राजनीति के चक्कर में मेरी शादी करा दी गई. मैंने बहुत बुरे तरीके से इन चीजों को झेला है.' 2019 के लोकसभा चुनाव में तेज प्रताप और तेजस्वी यादव आमने-सामने आ गए. तेज प्रताप के नामित उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिला. तेज प्रताप ने इसे लेकर कई बार सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की. अखबारों में खबरें छपने लगीं. सबसे बड़ी बात जो उन्हें नागवार गुजरी वो उनके ससुर चंद्रिका राय को राजद से टिकट मिलना था. मीसा भारती भी पाटलीपुत्र से टिकट को लेकर बगावत पर उतरीं, मगर टिकट मिलते ही उन्होंने तेजस्वी यादव का पक्ष चुन लिया. इस तरह तेजस्वी पार्टी में अपनी ताकत बढ़ाते जा रहे थे. धीरे-धीरे तेज प्रताप को साइडलाइन किया जाने लगा. लालू यादव की भी इसमें मौन सहमति थी. हर विवाद के बाद राबड़ी देवी बीच-बचाव करतीं और तेज प्रताप मां के समझाने पर मान जाते. वर्ष 2022 भी आ गया जब नीतीश कुमार ने पाला बदला तो फिर सत्ता बदली भी हो गई. इस बार फिर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ही बने और तेज प्रताप यादव फिर मंत्री ही रह गए. तेज प्रताप मन मसोस कर रह गए.  मगर, 18 जनवरी 2025 को पटना मौर्या होटल में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अब तेजस्वी यादव को वो सभी शक्ति दे दी गई, जो लालू यादव के पास थी. आरजेडी के संविधान की धारा 35A में संशोधन किया गया और लालू के साथ-साथ तेजस्वी यादव को पार्टी से जुड़े सभी बड़े फैसले और साथ ही चुनाव में सिंबल जारी करने का अधिकार भी प्राप्त हो गया. अब पूरी तरह से तेज प्रताप यादव को बता दिया कि पार्टी में चलेगी तो तेजस्वी की ही.

अब तेज प्रताप यादव पर क्यों लिया एक्शन

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तेज प्रताप यादव ने अपने प्यार के बारे में सार्वजनिक कर दिया तो लालू यादव ने परिवार और पार्टी से उन्हें निकाल दिया. हालांकि, लालू यादव के साले और तेज प्रताप के मामा सुभाष यादव ने साफ बताया है कि इस बारे में सभी को मालूम था. फिर भी राजनीतिक कारणों से लालू यादव ने जबरन तेज प्रताप की शादी चंद्रिका राय की बेटी से करवा दी. अब बिहार चुनाव देखकर वो इस तरह का दिखावा कर रहे हैं. सुभाष यादव का आरोप तो यहां तक है कि लालू परिवार ने दो-दो यादव परिवार की लड़कियों की जिंदगी तबाह कर दी. सुभाष यादव का ये बयान तेज प्रताप के बयानों से मेल खाता है. तेज प्रताप कई बार कह चुके हैं कि उनकी शादी राजनीतिक कारणों से दबाव डालकर की गई. साथ ही ऐसा भी नहीं हो सकता कि तेज प्रताप के रिलेशन के बारे में लालू यादव और उनके परिवार को पता न हो. तो साफ जाहिर है कि लालू यादव का गुस्सा तेज प्रताप के अपने रिलेशन को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने से लालू परिवार नाराज है. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि तेज प्रताप यादव को क्या चुनाव बाद लालू यादव वापस परिवार और पार्टी में लेंगे? दूसरा ये कि क्या लालू यादव तेज प्रताप के प्यार को अपने घर में जगह देंगे? अगर ऐसा किया तो फिर समाज और दुनिया को क्या जवाब देंगे?

तेज प्रताप के पास अब क्या ऑप्शन

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सवाल कई हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि तेज प्रताप यादव के पास ऑप्शन क्या है? क्या वो इस बार बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे? कारण ये कि अगर वो चुनाव नहीं लड़ते तो पूरी तरह से राजनीति से बाहर हो जाएंगे. अगर लड़ते हैं तो कहां से और किस दल से? महुआ को छोड़कर 2020 में वो हसनपुर से लड़े थे. दोनों जगहों के टिकट दावेदार राजद नेता फिलहाल तो खुश होंगे, मगर अगर तेज प्रताप ने चुनाव लड़ने की ठान ली तो क्या वो बीजेपी या जदयू में शामिल होंगे? यूं तो जदयू को तेज प्रताप को लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी. नीतीश कुमार बड़े आराम से उन्हें टिकट दे सकते हैं. वहीं बीजेपी भी तेज प्रताप के धर्म-कर्म के कामों को देखते हुए टिकट दे सकती है. मगर अगर ये रास्ता तेज प्रताप ने चुना तो लालू यादव फिर कभी तेज प्रताप को राजद में एंट्री नहीं देंगे. तेजस्वी यादव की तो खैर बात ही अलग है. ऐसे में तेज प्रताप यादव अपनी पार्टी बनाकर मैदान में उतर सकते हैं. इससे वो एक तरफ लालू यादव की लक्ष्मण रेखा को भी पार नहीं करेंगे और राजनीति भी कर पाएंगे. मगर इसमें दिक्कत ये है कि समय कम है और क्या इतनी जल्दी चुनाव में जाकर वो अपनी ताकत दिखा पाएंगे? अगर अपनी सीट बचा भी लेंगे तो क्या अन्य सीटों पर राजद को नुकसान भी पहुंचाकर अपनी ताकत दिखाने की स्थिति में हैं? इन सभी सवालों का जवाब तो आने वाला वक्त ही दे पाएगा.  

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लालू यादव के परिवार में कौन कौन

  • मीसा भारती लालू यादव की सबसे बड़ी बेटी हैं. उनकी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर शैलेश कुमार से शादी हुई है.
  • रोहिणी आचार्य लालू यादव की दूसरी बेटी. उनकी शादी औरंगाबाद जिले के दाउदनगर निवासी राव रणविजय सिंह के बेटे से मई 2002 में हुई.
  • चंदा सिंह लालू यादव की तीसरी बेटी. विक्रम सिंह से शादी हुई और 2006 में इंडियन एयरलाइंस के साथ पायलट.
  • रागिनी यादव लालू यादव की चौथी बेटी. उनकी राहुल यादव से शादी हुई है. वो जितेंद्र यादव के बेटे हैं. ये भी राजनीतिक परिवार है.
  • हेमा यादव लालू यादव की पांचवीं बेटी. विनीत यादव से शादी हुई. ये भी एक राजनीतिक परिवार के वंशज हैं.
  • धन्नु (उर्फ अनुष्का राव) लालू यादव की छठी बेटी हैं. चिरंजीव राव से शादी हुई है. कांग्रेस के राव अजय सिंह यादव के बेटे से शादी हुई है.
  • तेज प्रताप यादव लालू यादव की सातवीं संतान और बड़े बेटे. बिहार राज्य सरकार में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं.
  • राजलक्ष्मी सिंह लालू यादव की आठवीं और सबसे छोटी बेटी. मुलायम सिंह यादव के भतीजे से तेज प्रताप सिंह यादव से शादी हुई है.
  • तेजस्वी यादव लालू यादव की नौवीं संतान और छोटे बेटे. पूर्व क्रिकेटर, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री रहे हैं.


 

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