बिहार के वित्त मंत्री सुशील मोदी को हर दिन अख़बार में छपने की आदत है. इसलिए हर दिन उनका किसी न किसी विषय पर बयान अख़बार और सोशल मीडिया के माध्यम से आता है. लेकिन रविवार को देश में आर्थिक मंदी पर जो बयान आया उससे शायद देश के अर्थशास्त्री भी चिंता में डूब जाएंगे. सुशील मोदी के अनुसार यूं तो हर साल सावन भादो के महीने में मंदी होती है. लेकिन इस बार उनके अनुसार इसका शोर इसलिए मचाया जा रहा है कि चुनावी पराजय की खीझ उतर सके. निश्चित रूप से मोदी का ये बयान बेतुके बयानो में से एक है. अपने ट्वीट में मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए 32 सूत्री राहत पैकेज की घोषणा की और 10 छोटे बैंकों के विलय की पहल से लेंडिंग कैपिसिटी बढ़ाने जैसे चौतरफा उपाय किये हैं. लेकिन इसका असर अगली तिमाही में महसूस किया जाएगा.
केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए 32 सूत्री राहत पैकेज की घोषणा और 10 छोटे बैंकों के विलय की पहल से लेंडिंग कैपिसिटी बढ़ाने जैसे जो चौतरफा उपाय किये हैं, उनका असर अगली तिमाही में महसूस किया जाएगा।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) September 1, 2019
वैसे तो हर साल सावन-भादो में मंदी रहती है, लेकिन इस बार....... pic.twitter.com/6pu1xkqzWP
इसके बाद उन्होंने कहा कि वैसे तो हर साल सावन-भादो में मंदी रहती है, लेकिन इस बार मंदी का ज्यादा शोर मचा कर कुछ लोग चुनावी पराजय की खीझ उतार रहे हैं. बिहार में मंदी का खास असर नहीं है इसलिए वाहनों की बिक्री नहीं घटी. केंद्र सरकार जल्द ही तीसरा पैकेज घोषित करने वाली है.
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