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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पितरों के पिंडदान के लिए आएंगी गयाजी, जानें की जा रही क्या तैयारियां

राष्ट्रपति गयाजी एयरपोर्ट से होते हुए 5 नंबर गेट, घुघड़ीटाड़ बाईपास, नारायणी पुल, बंगाली आश्रम होते हुए विष्णुपद मंदिर पहुंचेंगी.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पितरों के पिंडदान के लिए आएंगी गयाजी, जानें की जा रही क्या तैयारियां
  • भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 20 सितंबर को गया के विष्णुपद मंदिर में पिंडदान और तर्पण करेंगी
  • गया जिला प्रशासन और पुलिस ने राष्ट्रपति की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के लिए विशेष तैयारियां
  • राष्ट्रपति के लिए गया एयरपोर्ट से विष्णुपद मंदिर तक विशेष रूट तय किया गया है
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पटना:

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 20 सितंबर को अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मोक्षनगरी गयाजी पहुंचेंगी, जहां वे विष्णुपद मंदिर में पिंडदान और तर्पण करेंगी. जिसको लेकर गया जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को लेकर व्यापक तैयारियां की हैं. राष्ट्रपति के लिए विशेष रूट तय किया गया है. राष्ट्रपति गयाजी एयरपोर्ट से होते हुए 5 नंबर गेट, घुघड़ीटाड़ बाईपास, नारायणी पुल, बंगाली आश्रम होते हुए विष्णुपद मंदिर पहुंचेंगी. वापसी भी इसी मार्ग से होगी.

राष्ट्रपति के कार्यक्रम के दौरान कई मार्गों पर आवाजाही पूरी तरह बंद

  • दोमुहान से सिकड़िया मोड़ तक
  • 5 नंबर गेट से सीटी पब्लिक स्कूल तक
  • चांद चौरा से बंगाली आश्रम और घुघड़ीटाड़ तक

प्रशासन की तरफ से ये तैयारियां

हालांकि एक और ये ध्यान देने वाली बात है कि जनता और अन्य वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्ग भी तय किए गए हैं, जिनमें बोधगया से फोर लेन होते हुए गुलहड़िया चक मोड़, चाकंद रेलवे गुमटी, कंडी नवादा, कुकड़ा मोड़, मेहता पेट्रोल पंप और सीटी पब्लिक स्कूल शामिल हैं. यहांं विष्णुपद मंदिर के आसपास कुछ स्थानों पर ड्रॉप गेट बनाए गए हैं, जहां से पैदल ही आगे जाना होगा. गया प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान सुरक्षा में कोई चूक न हो और श्रद्धालुओं को भी असुविधा न हो. “परिंदा भी पर न मार सके” वाली व्यवस्था के तहत हर स्तर पर निगरानी और नियंत्रण की योजना बनाई गई है.

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गयाजी क्यों देशभर में प्रसिद्ध

पितरों के उद्धार और श्राद्ध कर्म के लिए देशभर में कई तीर्थस्थल हैं, लेकिन बिहार का गयाजी हमेशा से ही मोक्षस्थली के रूप में पूजनीय रहा है. मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से 108 कुल और सात पीढ़ियों का उद्धार होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही प्रमुख वजह है कि पितृ पक्ष के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु गयाजी आते हैं. इन सबसे अलग, गयाजी की एक और खास बात है, जो लोगों का ध्यान खींच रही है. वह यह है कि यहां व्यक्ति अपना पिंडदान खुद भी कर सकता है.

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