बिहार में जब से ये ख़बर आई है कि छपरा स्थित जेपी विश्वविद्यालय के एमए राजनीति विज्ञान के सिलेबस से जेपी-लोहिया के विचार की जगह पंडित दीनदयाल उपाध्याय, सुभाष चंद्र बोस और ज्योतिबा फुले का नाम शामिल किया गया है, तब से राजनीतिक भूचाल आ गया है. गुरुवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में बक़ायदा इस बात की पुष्टि की गयी कि मीडिया में इस समाचार के आते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोर आश्चर्य और क्षेभ व्यक्त किया था. इस बात की पुष्टि ख़ुद राज्य के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में की.
राज्य के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने गुरुवार को अपने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जैसे ही अख़बार में यह ख़बर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पढ़ी, उन्हें तुरंत फ़ोन कर इसके निराकरण का निर्देश दिया था. इसके बाद उन्होंने राज्यपाल से बात की और इस बात की सहमति बनी है कि जल्द इसका निराकरण किया जायेगा. चौधरी ने कहा कि अब शिक्षा विभाग को यह भी निर्देशित किया गया है कि राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों से भी पाठ्यक्रमों में पिछले दिनों में किए गए बदलाव की सूचना एकत्रित की जाएगी और अगर किसी अन्य विश्वविद्यालय में भी इस तरह की कोई अनुचित एवं अनियमित बात सामने आती है तो उसमें भी आवश्यक सुधार की व्यवस्था की जाएगी. चौधरी का कहना था कि बिहार की जन भावना एवं सरकार की प्राथमिकताओं के विरुद्ध विश्वविद्यालयों के विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रम में किए गए बदलाव की इजाज़त नहीं दी जा सकती है.
मंत्री चौधरी के इस रुख़ से साफ़ है कि नीतीश राजभवन में सिलेबस सम्बंधित निर्णय से ना केवल ख़फ़ा हैं बल्कि अब उन्होंने ऐसे किसी बदलाव को ना होने देने का मन बना लिया है. क्योंकि चौधरी ने स्पष्ट किया कि सरकार और विभाग की नज़र में यह अनुचित तो है ही साथ ही इसमें सामान्य परंपरा का भी पालन नहीं किया गया. उनके अनुसार यह स्थापित मान्यता है कि बिहार के विश्वविद्यालयों से संबंधित कोई भी नियम, सरकार के बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद की सहमति के बाद ही लागू किया जाता है, जिसका JP विश्वविद्यालय के संबंध में पालन नहीं किया गया है.
इससे पूर्व जेपी विश्वविद्यालय के कुलपति ने सफ़ाई दी थी कि पाठ्यक्रम में जो भी परिवर्तन हुआ वो कुलाधिपति के निर्देशों के अनुसर किया गया.
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