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दिल्ली-कोलकाता हाईवे 'जेल' में तब्दील! 4 दिन से रोहतास से औरंगाबाद तक 80 KM लंबा जाम

दिल्ली-कोलकाता हाईवे इस वक्त सड़क नहीं, बल्कि एक 80 किलोमीटर लंबी जेल में बदल गया है. रोहतास जिले से लेकर औरंगाबाद तक, पिछले चार दिनों से लगा 'महाजाम' इतना विकराल हो चुका है.

दिल्ली-कोलकाता हाईवे 'जेल' में तब्दील! 4 दिन से रोहतास से औरंगाबाद तक 80 KM लंबा जाम
  • दिल्ली-कोलकाता हाईवे पर चार दिनों से लगातार जाम लगा हुआ है, जिससे वाहन लगभग पूरी तरह ठहरे हुए हैं
  • सिक्स लेन निर्माण कंपनी द्वारा बनाए गए डायवर्सन और सर्विस लेन मूसलाधार बारिश के कारण खराब हो गए हैं
  • डायवर्सन सड़कों में गड्ढे और कीचड़ भर जाने से वाहनों का धीमा चलना जाम को और विकराल बना रहा है
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दिल्ली-कोलकाता हाईवे (एनएच 19) इस वक्त सड़क नहीं, बल्कि एक 80 किलोमीटर लंबी जेल में बदल गया है. रोहतास जिले से लेकर औरंगाबाद तक, पिछले चार दिनों से लगा 'महाजाम' विकराल हो चुका है. वाहन चालकों की हालत भूखे-प्यासे कैदियों जैसी हो गई है. हजारों गाड़ियों के पहिये पूरी तरह थम चुके हैं. जाम की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फंसे हुए ट्रक और यात्री वाहन 24 घंटे में मुश्किल से 5 किलोमीटर का फासला भी तय नहीं कर पा रहे हैं. हाईवे पर दूर-दूर तक सिर्फ ट्रकों का अंतहीन समंदर नजर आ रहा है.

जाम की असल वजह क्या है?

इस महाजाम की जड़ है सरकारी विभागों की घोर लापरवाही. सिक्स लेन निर्माण कंपनी ने हाईवे पर जगह-जगह जो डायवर्सन और सर्विस लेन बनाए थे, वे शुक्रवार को हुई मूसलाधार बारिश के आगे टिक नहीं पाए. आरोप है कि इन वैकल्पिक सड़कों को बनाने में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया. बारिश के बाद डायवर्सन सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं और उसमें कीचड़ व पानी भर गया है. गाड़ियां इन गड्ढों से रेंगने की कोशिश कर रही हैं, जिससे जाम की समस्या हर पल विकराल होती जा रही है. 

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जाम में फंसे ट्रक ड्राइवरों ने क्या कहा?

एक चालक प्रवीण सिंह ने आक्रोशित होकर बताया, "30 घंटे से फंसा हूं, सिर्फ 7 किलोमीटर आगे बढ़ा हूं. हम रोड टैक्स, टोल टैक्स सब भरते हैं, लेकिन जब सुविधा की बात आती है तो NHAI हो या स्थानीय प्रशासन, सब गायब!" दिल्ली जा रहे ट्रक ड्राइवर संजय ने कहा, "2 दिन से खाना-पानी नहीं मिला. कच्चे माल से भरी गाड़ियां सड़ रही हैं."

NHAI प्रोजेक्ट डायरेक्टर कैमरे देखकर भागे

सड़क जाम पर जब NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रंजीत वर्मा से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कैमरे पर आने से साफ इनकार कर दिया और लगातार टालमटोल करते रहे. यह 'महाजाम' सिर्फ यातायात का संकट नहीं है, यह प्रशासनिक उदासीनता, भ्रष्टाचार और सरकारी संवेदनहीनता का जीता-जागता उदाहरण है, जिसने हजारों लोगों के व्यापार, स्वास्थ्य और जीवन को दांव पर लगा दिया है.

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