
- बिहार के मसनाडीह स्टेशन की स्थिति बुरी है, बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.
- प्लेटफार्म को तोड़कर मिट्टी के टीले में बदल दिया गया है.
- स्थानीय यात्रियों ने स्टेशन की बदहाली को लेकर चिंता जताई है.
- यात्री मूलभूत सुविधाएं और प्लेटफॉर्म की मरम्मत की मांग कर रहे हैं.
रेल विभाग द्वारा रेलवे स्टेशनों के उन्नयन और जीर्णोद्धार के लिए 'अमृत भारत स्टेशन योजना' चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य स्टेशनों को साफ-सुथरा और आधुनिक बनाना है. इस योजना के अंतर्गत हर स्टेशन पर पीने का पानी, शौचालय, शेड, लाइट जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित करना रेल विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी है. लेकिन बिहार के रक्सौल–सुगौली रेलखंड पर स्थित मसनाडीह स्टेशन की स्थिति इस दावे के बिल्कुल विपरीत है. यहां न केवल बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, बल्कि स्टेशन का प्लेटफार्म भी तोड़कर मिट्टी के टीले में तब्दील कर दिया गया है. यह स्थिति यात्रियों के लिए बेहद असुविधाजनक और निराशाजनक है.

चापाकल, शौचालय, लाइट जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं
मसनाडीह स्टेशन की दुर्दशा देखकर लगता है कि यह स्टेशन नहीं, बल्कि भूतों का बंगला है. स्टेशन पर प्लेटफॉर्म, शेड, चापाकल, शौचालय, लाइट जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. चारों तरफ टूटे प्लेटफॉर्म और झाड़ियों का अंबार लगा है, जो स्टेशन को और भी बदहाल बना रहा है. स्टेशन की बदहाली और झाड़ियों के कारण सुरक्षा की दृष्टि से भी यह स्टेशन खतरनाक हो सकता है.
मसनाडीह स्टेशन पर सुविधाओं के अभाव को लेकर स्थानीय यात्रियों और स्टेशन कर्मचारियों ने चिंता जताई है. स्टेशन के टिकट संवेदक कृष्ण कुमार के अनुसार, रेल पटरी बदलने के दौरान 6 महीने पहले प्लेटफॉर्म को तोड़कर टीला बना दिया गया था. इसके बाद से स्टेशन पर पानी, शौचालय, लाइट, शेड जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं.

यात्री नर्मदेश्वर तिवारी ने क्या बताया?
स्थानीय यात्री नर्मदेश्वर तिवारी ने बताया कि मसनाडीह स्टेशन 1954 में फ्लैग स्टेशन बना था और उस समय यहां सभी सुविधाएं थीं. लेकिन अब प्लेटफॉर्म तोड़ दिया गया है और यात्री सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है. स्थानीय यात्रियों ने रेल विभाग से स्टेशन पर मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने और प्लेटफॉर्म की मरम्मत करने की मांग की है.
पकंज सोनी की रिपोर्ट
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