
- कटिहार के अशोक भगत कई सालों से भबीख मांगकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ते आ रहे हैं.
- अशोक भगत ने राष्ट्रपति चुनाव समेत विभिन्न पदों के लिए नामांकन किया, लेकिन अब तक उन्हें सफलता नहीं मिली.
- अशोक भगत का दावा है कि कटिहार के लोग वर्तमान विधायक से तंग आ चुके हैं. वह अब एक लाख वोटों से जीतेंगे.
जब-जब चुनाव पास आते हैं तो अजीबोगरीब उम्मीदवारों की चर्चा होने लगती है. इन उम्मीदवारों का विधानसभा पहुंचना भले ही मुश्किल हो लेकिन चर्चा में खूब बने रहते हैं. जैसे सिलेंडर डिलीवरी करने वाले का चुनाव में उतरना या फिर भीख मांगकर चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार. कटिहार के अशोक भगत भी ऐसे ही उम्मीदवार हैं, जो लोगों से चंदा इकट्ठा कर चुनावी मैदान में ताल ठोंकने जा रहे हैं. अशोक भगत पिछले कई सालों से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ते आ रहे हैं.
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चंदा मांगकर लड़ा उपराष्ट्रपति तक का चुनाव
अशोक लोगों से चंदा मांगकर उपराष्ट्रपति से लेकर वॉर्ड कमिश्नर तक का चुनाव लड़ चुके हैं. अब एक बार फिर वह चुनावी मैदान में हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के लिए वह दुकान-दुकान जाकर चंदा इकठ्ठा कर रहे हैं. एक तरफ हर पार्टी और प्रत्याशी खास अंदाज में चुनावी कैंपेनिंग और सोशल मीडिया के जरिए प्रचार करने को तैयार है. ऐसे में कटिहार के अशोक भगत का अलग अंदाज सबका ध्यान अपनी तरफ खींच रहा है.

लोगों से पैसे मांग विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी
अशोक भगत ने देश के सर्वोच्च पद यानी कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी नामांकन किया था. हालांकि कागजी त्रुटि की वजह से उनका नामांकन पूरा नहीं हो सका था. वह लगभग सभी चुनाव लड़ चुके हैं, वो बात अलग है कि उनको कभी सफलता नहीं मिली. एक बार फिर अशोक भगत ने नॉमिनेशन फाइल कर दिया है. अब वह दुकान-दुकान जाकर लोगों से चंदा इकट्ठा कर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि अशोक पूरे साल नेता के कपड़ों में रहते हैं. चंदा मांगकर गुजारा करने के साथ ही वह कटिहार के प्रतिनिधि बनकर लोगों की सेवा करना चाहते हैं.

मैं इस बार 1 लाख वोटों से जीतूंगा
अशोक भगत ने लोगों से उनको वोट देने की अपील की है. उनका कहना है कि कटिहार विधानसभा के लोग स्थानीय विधायक से थक चुके हैं. विधायक से छुटकारा पाने के लिए अब उनको वोट देंगे. अशोक का कहना है कि वह लगभग 1 लाख वोट से इस बार जीतेंगे.स्थानीय अधिवक्ता प्रतीक शर्मा का कहना है कि यह लोकतंत्र का खूबसूरत चेहरा है. लोकतंत्र में कोई भी चुनाव लड़ सकता है. अशोक भगत इसका बड़ा उदाहरण हैं, जो लोगों से चंदा मांगकर चुनाव लड़ते आ रहे हैं.
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