
- बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले PM मोदी ने 1.25 लाख करोड़ रुपये का विशेष आर्थिक पैकेज घोषित किया था.
- बिहार में गंगा नदी पर बना औंटा-सिमरिया 6-लेन पुल इसी पैकेज का हिस्सा है, जो देश का सबसे चौड़ा 6-लेन पुल है.
- प्रधानमंत्री मोदी ने ही इस पुल का शिलान्यास 2017 में किया था और अब 2025 में इसका उद्घाटन करने जा रहे हैं.
बिहार में हाल के दशकों का चुनावी इतिहास काफी दिलचस्प रहा है. खासकर पिछले दो चुनावों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पाला बदलने वाला घटनाक्रम. चुनाव लड़े किसी के साथ, जीते तो सरकार बनाई किसी और के साथ. कभी एनडीए तो कभी महागठबंधन का हिस्सा रहे, लेकिन सीएम की कुर्सी नहीं छोड़ी. 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू, महागठबंधन का हिस्सा थी. बीजेपी पहली बार नीतीश के सामने एक प्रमुख दावेदार के तौर पर खड़ी थी.
लंबे समय से बिहार के लिए 'विशेष राज्य के दर्जे' की मांग की जा रही थी. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के लिए 'विशेष आर्थिक पैकेज' की घोषणा कर दी. 1.25 लाख करोड़ के पैकेज की. बिहार में पटना के मोकामा और बेगूसराय के सिमरिया के बीच गंगा नदी पर देश के सबसे चौड़े '6 लेन पुल' का पीएम मोदी उद्घाटन करने वाले हैं, वो इसी 'स्पेशल पैकेज' का हिस्सा है. ये देश का सबसे चौड़ा पुल बताया जा रहा है.

जब पीएम मोदी ने नीतीश के सामने खेला सबसे बड़ा दांव
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक थे. राजनीतिक सरगर्मी काफी बढ़ चुकी थी. नीतीश, जो भाजपा के सामने खड़े थे, 'विशेष राज्य' की मांग के मुद्दे पर राजद और कांग्रेस के सुर में सुर मिलाए हुए थे. केंद्र की भाजपानीत एनडीए पर बिहार के साथ सौतेला व्यवहार करने के आरोप लगाए जा रहे थे. इस बीच आरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली हुई. तारीख थी- 18 अगस्त 2015. पीएम मोदी ने अब तक का सबसे बड़ा दांव खेला. उन्होंने 1.25 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा कर दी.
विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला पर मिल गया स्पेशल पैकेज
इस घोषणा की पृष्ठभूमि में जाएं तो इसके पीछे लंबे समय से चली आ रही विशेष राज्य के दर्जे की मांग और राजनीतिक दांवपेंच दिखता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई वर्षों से राज्य के विकास के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे थे. उनका तर्क था कि झारखंड के अलग होने के बाद बिहार के ज्यादातर खनिज संसाधन और उद्योग नए राज्य में चले गए, जिससे बिहार आर्थिक रूप से पिछड़ रहा है.
2015 का बिहार विधानसभा चुनाव बेहद महत्वपूर्ण था, जिसमें पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने बीजेप एक प्रमुख दावेदार के तौर पर खड़ी थी. पीएम मोदी की ये घोषणा बिहार की जनता के लिए एक बड़ा राजनीतिक दांव मानी गई. भले ही विशेष राज्य के दर्जे की मांग को किनारे कर दिया गया, लेकिन केंद्र की ओर से सवा लाख करोड़ के पैकेज को बहुत बड़ी आर्थिक घोषणा बताया गया. इस पैकेज को बीजेपी ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग के विकल्प के तौर पर पेश किया गया था और साबित करना चाहा था कि बिहार के विकास को लेकर बीजेपी प्रतिबद्ध है.
इस सवा लाख करोड़ी पैकेज में क्या-क्या था?
पीएम मोदी की ओर से घोषित 1.25 लाख करोड़ रुपये के इस पैकेज में इंफ्रास्ट्रक्चर समेत कई महत्वपूर्ण सेक्टर्स पर फोकस किया गया था. बाद में, सरकार ने 40,000 करोड़ रुपये की उन परियोजनाओं को भी इसमें शामिल कर लिया जो पहले से चल रही थीं, जिससे इस पैकेज की कुल वैल्यू 1.65 लाख करोड़ रुपये की हो गई. बीजेपी के मुताबिक, ये पैकेज बिहार के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने, रोजगार के अवसर पैदा करने और राज्य को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से घोषित किया गया था.
- सड़क और परिवहन: 54,713 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा हिस्सा सड़क निर्माण और पुलों पर खर्च करने का प्रावधान था. इसमें राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, गंगा और सोन जैसी प्रमुख नदियों पर नए पुलों के निर्माण और रेलवे ओवरब्रिज बनाने की योजनाएं शामिल थीं.
- बिजली: 21,000 करोड़ रुपये का प्रावधान ऊर्जा क्षेत्र के लिए किया गया, जिसमें बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण की परियोजनाओं पर जोर था.
- पेट्रोलियम और गैस: 2,700 करोड़ रुपये की राशि पेट्रोलियम और गैस क्षेत्र के लिए रखी गई, ताकि राज्य में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
- किसान कल्याण: किसानों के लिए 3,000 करोड़ रुपये की योजनाएं बनाई गईं, जिनमें कृषि विश्वविद्यालय, मछली पालन विकास, और खाद्यान्न के लिए नए गोदामों का निर्माण शामिल था.
- डिजिटल बिहार: डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए 450 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.
- स्वास्थ्य और शिक्षा: स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए 600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था.
- पर्यटन: बिहार के पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए भी 600 करोड़ रुपये दिए गए थे.
- ग्रामीण सड़कें: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण सड़कों के विकास के लिए 13,820 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया, जिसका उद्देश्य 22,500 किलोमीटर सड़कों का निर्माण करना था.
देश का सबसे चौड़ा सिक्स लेन पुल
देश में और भी सिक्स लेन पुल हैं, लेकिन बिहार का 6 लेन सिमरिया पुल (औंटा-सिमरिया गंगा पुल) देश का सबसे चौड़ा सिक्स लेन पुल है. ये पुल 34 मीटर चौड़ा है, जो सामान्य तौर पर बनने वाले सिक्स लेन पुलों (29.5 मीटर) से करीब 4.5 मीटर ज्यादा है. इस अतिरिक्त चौड़ाई के कारण एक साथ ज़्यादा वाहन आसानी से गुजर सकते हैं, जिससे यातायात सुचारू रहता है. पटना के मोकामा और बेगूसराय के सिमरिया को जोड़ने वाला ये पुल एक्स्ट्रा डोजेज स्टे केबल ब्रिज तकनीक से बना है, जिसमें पुल का पूरा भार केबल पर होता है.

2017 में शिलान्यास, 2025 में उद्घाटन
विशेष पैकेज का हिस्सा रहे सिमरिया पुल का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही 2017 में शिलान्यास किया था और अब वही इस पुल का उद्घाटन करने जा रहे हैं. पीएम मोदी राजधानी से करीब 100 किलोमीटर दूर मोकामा का दौरा करेंगे, जहां वो 8.15 किलोमीटर लंबे औंटा-सिमरिया पुल का उद्घाटन करेंगे. इस पुल में गंगा नदी पर 1,870 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित 1.86 किलोमीटर लंबा छह लेन वाला पुल भी शामिल है, जो पटना के मोकामा और बेगूसराय के बीच सीधा संपर्क प्रदान करेगा.
ये पुल पुराने दो-लेन वाले जर्जर रेल-सह-सड़क पुल ‘राजेंद्र सेतु' के समानांतर बनाया गया है, जो भारी वाहनों के गुजरने लायक नहीं है. ये नया पुल उत्तर बिहार (बेगूसराय, सुपौल, मधुबनी, पूर्णिया, अररिया आदि) और दक्षिण बिहार के क्षेत्रों (शेखपुरा, नवादा, लखीसराय आदि) के बीच आने-जाने वाले वाहनों के लिए करीब 100 किलोमीटर की दूरी को कम करेगा.
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