नियति का खेल भी अजीब होता है. जिस परिवार ने बरसों पहले नक्सलियों की गोलियों से अपने मुखिया को खो दिया था, आज उसी परिवार की 'मां' को बेलगाम रफ्तार ने छीन लिया.बिहार के औरंगाबाद में सोमवार को एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं.घटना मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ओरा गांव के पास एनएच 19 की है. मदनपुर थाना क्षेत्र के दरभंगा गांव की रहने वाली 59 साल दुलरिया देवी जिला अभिलेखागार कार्यालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी थीं. रोज की तरह आज भी वह अपने बेटे रविंद्र पासवान के साथ बाइक पर बैठकर ड्यूटी के लिए निकली थीं. लेकिन किसे पता था कि यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर साबित होगा.
कब और कहां हुआ हादसा
ओरा गांव के पास पहुंचते ही पीछे से आ रही एक तेज रफ्तार कार ने उनकी बाइक में जोरदार टक्कर मार दी. टक्कर इतनी भीषण थी कि मां और बेटे दोनों सड़क पर जा गिरे. हादसे के बाद कार चालक संवेदनहीनता दिखाते हुए गाड़ी लेकर फरार हो गया. हादसा होते देख मौके पर लोगों की भीड़ जुट गई. पास के मेडिकल स्टोर में काम करने वाले अजय कुमार ने तत्परता दिखाते हुए दोनों को अस्पताल पहुंचाया. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. डॉक्टरों ने दुलरिया देवी को मृत घोषित कर दिया, जबकि उनके बेटे का इलाज चल रहा है.
मृतका के दूसरे बेटे राजमोहन कुमार ने बताया कि उनके पिता दामोदर पासवान की हत्या सालों पूर्व नक्सलियों ने कर दी थी. पिता की मौत के बाद मां दुलरिया देवी को अनुकंपा पर नौकरी मिली थी. इसी नौकरी के सहारे उन्होंने अपने बच्चों को पाला और परिवार को संभाला, लेकिन आज एक सड़क हादसे ने उस सहारे को भी छीन लिया.
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