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सैलाब उत्तराखंड के धराली में आया लेकिन क्यों गम में डूबा है बिहार का बेतिया?

धराली में बादल फटने से आए जल प्रलय में गांव के देवराज शर्मा और उनके दो बेटे अनिल कुमार व सुशील कुमार लापता हो गए थे. पांच दिन तक कोई सुराग न मिलने पर परिजनों ने तीनों को मृत मानकर पुतलों का अंतिम संस्कार किया गया.

सैलाब उत्तराखंड के धराली में आया लेकिन क्यों गम में डूबा है बिहार का बेतिया?
  • उत्तराखंड के धराली में बादल फटने से आए जल प्रलय में देवराज शर्मा और उनके दो बेटे लापता हो गए थे
  • परिजनों ने पांच दिन तक कोई सुराग न मिलने पर तीनों को मृत मानकर पुतलों का अंतिम संस्कार कर दिया था
  • जल प्रलय से उनके घर का पूरा मलबा उड़ गया और आसपास के लोग अब भी इसके सदमे में हैं
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बेतिया:

गलियां सुनसान… चूल्हे ठंडे… दरवाजे आधे खुले. बेतिया के पुरूषोत्तमपुर गांव में सोमवार को ऐसा सन्नाटा पसरा, मानो पूरे गांव का दिल थम गया हो. कारण था पांच दिन पहले उत्तराखंड के धराली में आई भीषण आपदा, जिसने एक ही परिवार के तीन लोगों को लील लिया.

धराली में बादल फटने से आए जल प्रलय में गांव के देवराज शर्मा और उनके दो बेटे अनिल कुमार व सुशील कुमार लापता हो गए थे. पांच दिन तक कोई सुराग न मिलने पर परिजनों ने तीनों को मृत मानकर पुतलों का अंतिम संस्कार कर दिया. घाट तक जब पुतलों को ले जाया जा रहा था, तो हर आंख नम थी. पत्नी लक्ष्मीना देवी बार-बार बेहोश हो रही थीं, रोते हुए कह रही थीं हे रजउ, काहे गइला पहाड़ में कमाए… अब के देखी हमनी? हे भगवान, मालिक आ दू गू बेटा हमरा से छिन लेल.

धराली से लौटे सुनील कुमार ने बताया कि खोज के दौरान वहां का नज़ारा दिल दहला देने वाला था. जहां उनका घर था, वहां अब सिर्फ मलबा बचा था.  उनके मामा के दो बेटे भी उसी घर में रहते थे, लेकिन हादसे से ठीक पहले वे किसी काम से बाहर चले गए थे, इसलिए बच गए. उन्होंने बताया कि बादल फटने और शोरगुल की आवाज़ सुनकर उन्होंने फोन कर घर से निकलने को कहा था, मगर जल प्रलय इतनी तेज़ थी कि कोई बाहर नहीं निकल सका.

गांव के लोग और परिजन भगवान से सवाल कर रहे थे क्या प्रकृति का रौद्र रूप इतना निर्मम हो सकता है कि पांच दिन बाद भी कोई निशान न मिले? अब देवराज शर्मा और उनके बेटों के ना रहने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. घर की रोज़ी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है, और पुरूषोत्तमपुर की गलियों में सिर्फ मातम और सन्नाटा बाकी रह गया है. 

रिपोर्ट -  बिंदेश्वर कुमार 

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