
- बिहार के मीनापुर गांव में महावीरी झंडा जुलूस पर एक समुदाय विशेष ने छतों से पत्थरबाजी की.
- पत्थरबाजी में राजेपुर थानेदार राधेश्याम समेत हित दो दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.
- महावीरी झंडा जुलूस का रास्ता प्रशासन द्वारा पूर्व निर्धारित था, लेकिन विरोध के कारण विवाद हुआ.
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में महावीरी झंडा जुलूस पर जमकर पत्थर बरसाए (Mahaviri Processing Stone Pelting) गए. इस घटना में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. पत्थरबाजी में थानाध्यक्ष के सिर में भी चोट लगी है. उनको इलाज के लिए एसकेएमसीएच में भेजा गया है. मामला राजेपुर थाना क्षेत्र के मीनापुर गांव का है. गांव में महावीरी झंडा जुलूस पर एक तबके के लोगों ने छतों से रोड़े बरसाए गए. इसमें करीब दो दर्जन लोगों को चोट आई हैं. इतना ही नहीं इस दौरान एक झोपड़ी में आग भी लगा दी गई.
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🔴#BREAKING : बिहार के मुजफ्फरपुर में महावीरी झंडा जुलूस पर पथराव@Aayushinegi6 pic.twitter.com/NL8mzTbjCj
— NDTV India (@ndtvindia) August 1, 2025
महावीर झंडा जुलूस पर पत्थरबाजी
महावीर झंडा जुलूस पर हुए पत्थरबाजी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा हैं, जिसमे साफ तौर पर दिख रहा हैं कि कैसे धार्मिक जुलूस के दौरान एक समुदाय विशेष के लोगों ने घर की छतों से पत्थर बरसाए. इस घटना के बाद गांव में तनाव का माहौल हैं, वहीं भारी संख्या में पुलिस गांव में कैम्प कर रही है.

दरअसल गुरुवार को मीनापुर गांव में महावीरी झंडा जुलूस निकल रहा था. इस दौरान मीनापुर मस्जिद के नजदीक घर की छतों से जुलूस पर पत्थरबाजी की गई. जिसमें राजेपुर थानेदार राधेश्याम समेत कई पुलिसकर्मी और जुलूस में शामिल श्रद्धालुओं को गंभीर चोटें आई हैं. घटना के बाद खुद एसएसपी सुशील कुमार, ग्रामीण एसपी राजेश सिंह प्रभाकर, SDM पश्चिमी श्रेया श्री समेत कई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे. फिलहाल स्थिति सामान्य हैं. पुलिस हालात पर नजर रखे हुए है.

बता दें कि महावीरी झंडा जुलूस मीनापुर गांव होते हुए लखनसेन अखाड़ा पहुंचकर विसर्जित होता है. इस दौरान रास्ते में शीतल सेमरा समेत कई गांव के लोग महावीरी झंडा के साथ जुलूस में शामिल होते हैं. लखनसेन में बड़े पैमाने पर महावीरी मेला लगता है. बांसघाट से जब जुलूस निकला तो उसके आगे और पीछे पुलिस तैनात की गई थी. पुलिस की ओर से जुलूस की वीडियोग्राफी कराई जा रही थी. मीनापुर गांव में पहुंचने के बाद जुलूस का विरोध किया गया. हालांकि, जुलूस का रूट पूर्व से प्रशासनिक स्तर पर तय किया जा चुका था. जानकारी के मुताबिक, तीन साल पहले भी यहां जुलूस को लेकर विवाद हुआ था.
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