Bihar Elections: पटना जिले की दीघा विधानसभा सीट पर भी इस बार सभी की निगाहें टिकी हुई थीं. ये विधानसभा क्षेत्र 2008 में हुए परिसीमन के बाद बनाया गया था. जिसके बाद पहला चुनाव 2010 में हुआ और नीतीश कुमार की जेडीयू को जीत मिली. इसके बाद बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा कर लिया. दीघा विधानसभा सीट पर महिला वोटर्स का रोल काफी अहम माना जाता है. कहा जाता है कि जिस तरफ महिलाओं का रुख होता है, दीघा में उसी पार्टी की जीत होती है. इस बार बीजेपी ने यहां भारी अंतर से जीत दर्ज की है.
बीजेपी की हैट्रिक
दीघा विधानसभा का पहला चुनाव 2010 में हुआ था, जिसमें जेडीयू (JDU) की पूनम देवी ने भारी अंतर से जीत दर्ज की. हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन टूटने के बाद मुकाबला कड़ा हुआ और बीजेपी के संजीव चौरसिया ने 24,779 वोटों से जीत हासिल करते हुए यह सीट अपने नाम कर ली.
2020 के चुनाव में जब जेडीयू और बीजेपी फिर से गठबंधन में आए, तो संजीव चौरसिया ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की. उन्होंने सीपीआई (एमएल) की उम्मीदवार शशि यादव को 46,234 वोटों से हराया और बीजेपी की इस शहरी सीट पर पकड़ और मजबूत हो गई.
- लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी की बढ़त
- 2009: बीजेपी को 41,389 वोटों की बढ़त
- 2014: 61,163 वोटों की बढ़त
- 2019: 58,342 वोटों की बढ़त
- 2024: 40,730 वोटों की बढ़त
ऐसे हैं जातीय समीकरण
दीघा सीट पर यादव, राजपूत, कोइरी, भूमिहार, ब्राह्मण और कुर्मी समुदायों का रोल काफी अहम माना जाता है. इसके अलावा यहां महिला मतदाताओं की भागीदारी भी चुनाव नतीजों को पलटने का काम करती है. ये सीट पूरी तरह से शहरी विधानसभा सीट है.
- अनुसूचित जाति वोटर: 10.68%
- मुस्लिम वोटर: 9.4%
- ग्रामीण वोटर: महज 1.76%
चुनावी मैदान में टक्कर
सीपीआईएमएल (CPIML) के खाते आई दीघा विधानसभा सीट से दिव्या गौतम को टिकट दिया गया था. वो बॉलीवुड के दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की कजिन सिस्टर हैं. वहीं बीजेपी की तरफ से फिर से संजीव चौरसिया ही चुनावी मैदान उतारा गया, जिन्होंने बड़ी जीत दर्ज की है. संजीव चौरसिया ने 59079 वोटों से दिव्या गौतम को हराया है. जो एक बड़ा मार्जिन है.
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