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दरभंगा: सियासी जमीन पर 30 साल से कांग्रेस की तलाश, 1995 के बाद से नहीं खुला खाता; 'वीआईपी' की भी अग्नि परीक्षा

दरभंगा में 1985 के बाद से सामाजिक न्याय की लड़ाई में कांग्रेस का वजूद जो लड़खड़ाया वह अब तक खुद को संभाल नहीं सकी है. हालांकि, कांग्रेस अपने किले को फिर से मजबूत करने के लिए लगातार कोशिश में जुटी है.

दरभंगा: सियासी जमीन पर 30 साल से कांग्रेस की तलाश, 1995 के बाद से नहीं खुला खाता; 'वीआईपी' की भी अग्नि परीक्षा
  • दरभंगा कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ था, लेकिन 1990 के बाद सामाजिक न्याय के कारण कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई.
  • 1995 के बाद अन्‍य दलों ने दरभंगा में अपनी पकड़ मजबूत की, जिसके बाद कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ा.
  • 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने नौ सीटों पर जीत हासिल कर कांग्रेस और राजद के गठबंधन को करारी शिकस्त दी.
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दरभंगा:

मिथिला की हृदयस्थली दरभंगा को कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. यहां कांग्रेस का राजनीतिक इतिहास काफी समृद्ध रहा है. 1892 में कांग्रेस के इलाहाबाद में आयोजित अधिवेशन में योगदान देने वाले दरभंगा महाराज के परिवार को लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के सामने हार का सामना करना पड़ा था. इससे कांग्रेस के क्रेज को समझा जा सकता है, लेकिन 1985 के बाद सामाजिक न्याय की लड़ाई में कांग्रेस का वजूद जो लड़खड़ाया वह अब तक खुद को संभाल नहीं सकी है. हालांकि, कांग्रेस अपने किले को फिर से मजबूत करने के लिए लगातार कोशिश में जुटी है. दरभंगा में राहुल गांधी तीन और प्रियंका गांधी की एक यात्रा हो चुकी है. ऐसे में 2025 के चुनाव को पक्ष और विपक्ष दोनों ही विकास के नाम पर लड़ने को आतुर हैं. यही कारण है कि नेताओं के लिए यह चुनाव अग्नि परीक्षा साबित होने वाला है.

1990 से पहले दरभंगा की धरती कांग्रेस के लिए काफी उपजाऊ थी. हर चुनाव में नेता लोकतंत्र की फसल बिना खाद-पानी दिए काट ले जाते थे. 1985 में तो दरभंगा की नौ सीट में से कांग्रेस को हायाघाट सीट छोड़कर सभी सीटों पर जीत मिली थी. इसमें बहेड़ा से कांग्रेस के कद्दावर नेता महेंद्र झा ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ा था, जो बाद में पार्टी का ही हिस्‍सा बन गए थे. हालांकि 1990 में सामाजिक न्याय की ऐसी हवा चली कि उस बयार में कांग्रेस का किला पूरी तरह से हिल गया. कांग्रेस को दरभंगा की मात्र चार सीटों पर जीत मिली. वहीं जनता दल को पांच सीटें मिली. 

और बदल गया राजनीतिक परिदृश्‍य 

1995 के चुनाव में तो सामाजिक समीकरण ने पूरे परिदृश्य को ही बदल दिया. जनता दल की झोली में यहां के लोगों ने सात सीटें दे दीं. ऐसी जीत मिली कि कांग्रेस दूर तक दिखाई ही नहीं दी. दरभंगा का प्रतिनिधित्व करने के लिए कांग्रेस के एक भी विधायक सदन तक नहीं पहुंचे.  हालांकि, सीपीआई और सीपीएम की खेत-खलिहान की बात पर लोगों ने विश्वास किया और उनके झोली में हायाघाट की सीट दे दी. इसके बाद यहां के लोगों का कांग्रेस के प्रति जो मिजाज बदला उसमें दिन प्रतिदिन वृद्धि ही होती चली गई. सामाजिक न्याय से मोह भंग होने के बाद यहां के लोगों का जनता दल से बने राजद से लगाव कम होने लगा. 2000 में भाजपा-जदयू ने दो सीट जीतकर सुशासन की नींव रख दी. राजद को जहां छह सीट मिली, वहीं कांग्रेस की झोली फिर खाली रह गई.

2005 के नवंबर में स्थायी सरकार नहीं बनने के कारण जब फिर से चुनाव कराए गए तो परिणाम 2000 वाला ही मिला. मसलन, ना तो राजद को लाभ हुआ और नुकसान, छह छह सीट बरकरार रही. उधर, राज्य में एनडीए की सरकार बनी और मिथिला के विकास को महत्व दिया. इसका परिणाम मिला, यहां के लोगों ने 2010 के चुनाव में भाजपा को छह और जदयू को 2 सीटें देकर राजद को मात्र दो सीटों पर पैक कर दिया.

2015 के चुनाव में एनडीए की टूट और नीतीश कुमार के सहयोग से राजद को लाभ तो मिला, लेकिन कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. छह पर एनडीए और चार पर राजद को जीत मिली. 2020 के चुनाव में नीतीश कुमार की जदयू के एनडीए में आने से राजद और कांग्रेस के महागठबंधन को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा. मात्र एक सीट दरभंगा ग्रामीण से राजद को जीत मिली. शेष नौ सीट पर एनडीए को जीत मिली. कांग्रेस के तीनों उम्मीदवारों को हार का सामना पड़ा. इस तरह से दरभंगा में 1995 के बाद से कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया है.

वीआइपी के लिए होगी अग्नि परीक्षा

वीआइपी पार्टी के सुप्रीमो मुकेश सहनी का दरभंगा गृह जिला है. ऐसे में उनके लिए यह चुनाव अग्नि परीक्षा साबित होगा. दरअसल, चुनाव से पहले ही वे अपने को उप मुख्यमंत्री के रूप से देखने लगे हैं. जबकि 2015 के चुनाव में उन्होंने एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. इसमें उन्हें दरभंगा से दो सीटें भी मिलीं, लेकिन कुछ दिनों के बाद ही उनके गृह विधानसभा गौड़ा बौराम से स्वर्णा सिंह और अलीनगर से निर्वाचित मिश्रीलाल यादव उनकी पार्टी को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. ऐसे में उनके लिए यह चुनाव काफी मायने रखता है.

नई पार्टी बिगाड़ सकती है खेल!

इस चुनाव में नई पार्टी जन स्वराज की मजबूत उपस्थिति मानी जा रही है. दरअसल, विगत तीन वर्षों से यह पार्टी लोगों के बीच जनसंपर्क करने में जुटी है. चुनावी मैदान में इनके प्रत्याशी परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी कर सकते है. ऐसे में पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपनी चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हैं.

बड़े प्रोजेक्ट से विपक्ष की बढ़ी परेशानी

मिथिला की हृदय स्थली दरभंगा में एनडीए सरकार ने कई बड़े प्रोजेक्ट की शुरूआत की है. इससे विपक्ष की परेशानी बढ़ गई है. दरभंगा एयरपोर्ट को इंटरनेशनल बनाया जा रहा है. एम्स निर्माणाधीन है. आम सड़क के निर्माण से तीनों जिलों की कनेक्टिविटी बढ़गी. दरभंगा में एलिवेटेड सड़क का निर्माण होगा. सभी रेलवे गुमटी पर आरओबी का निर्माण हो रहा है. मखाना बोर्ड के गठन और राशि के आवंटन से यहां के किसान सीधे लाभान्वित होंगे. दरभंगा बस स्टैंड को अंतरराज्यीय बनाया जा रहा है. ऐतिहासिक तालाब हराही, दिग्घी और गंगासागर का एकीकरण किया जा रहा है. तारा मंडल, आइटी पार्क, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के खुलने के बाद अब डीएमसीएच में 17 सौ बेड का निर्माण कराया जा रहा है. ऐसे में विपक्ष को चुनावी मुद्दा बनाने और लोगों को लुभावने वादे करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

दरभंगा जिला विधानसभा चुनाव 2020 का परिणाम

विधानसभाउम्मीदवार का नामकुल वोटअंतर वोट से जीतवोट शेयरहार/जीत
कुशेश्वरस्थानशशिभूषण हजारी (जदयू)539807,22239.55%जीत
डॉ. अशोक कुमार (कांग्रेस)46,758-34.26%हार
कुशेश्वरस्थान उप चुनाव 2021अमन भूषण हजारी (जदयू)59,88712,69545.72%जीत
गणेश भारती (राजद)47,192-36.02%हार
गौड़ाबौराम स्वर्णा सिंह (वीआइपी) वर्तमान में (भाजपा)59,5387,28041.26%जीत
अफजल अली खान (राजद)52,258-36.21%हार
बेनीपुरप्रो. विनय चौधरी (जदयू)61,4166,59037.58%जीत
मिथिलेश चौधरी (कांग्रेस)54,826-33.55%हार
अलीनगरमिश्रीलाल यादव (वीआइपी) वर्तमान में (भाजपा)61,0823,10138.62%जीत
विनोद मिश्रा (राजद)57,981-36.66%हार
दरभंगा ग्रामीणललित कुमार यादव (राजद)64,9292,14141.26%जीत
फरार फातमी (जदयू)62,788-39.90%हार
दरभंगा शहरीसंजय सरावगी (भाजपा)84,14410,63949.32%जीत
अमरनाथ गामी (राजद)73,505-43.08%हार
हायाघाटरामचंद्र प्रसाद (भाजपा)67,03010,25246.86%जीत
भोला यादव  (राजद)56,778-39.69%हार
बहादुरपुरमदन सहनी (जदयू)68,5382,62938.50%जीत
रमेश चौधरी (राजद)65,909-37.03%हार
केवटी मुरारी मोहन झा (भाजपा)76,3725,12646.75%जीत
अब्दुल बारी सिद्दिकी (राजद)71,246-43.61%हार
जाले जीवेश कुमार (भाजपा)87,37621,79651.66%जीत
डॉ. मश्कुर अहमद उस्मानी (कांग्रेस)65,580-38.78%हार

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