
- आरजेडी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कुशवाहा समाज को साधने के लिए सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति अपनाई है.
- पूर्णिया के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा को धमदाहा सीट से आरजेडी का उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
- एलजेपी के नेता अजय कुशवाहा को वैशाली सीट से राजद का उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में आरजेडी ने एक बार फिर से लोकसभा चुनाव वाला दांव खेला है. लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को इसका काफी लाभ हुआ था. दरअसल, आरजेडी ने बड़ा सोशल इंजीनियरिंग दांव खेला है. पार्टी विधानसभा चुनाव में कुशवाहा समाज को अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए पूरी रणनीति पर काम कर रही है और यह दांव सीधा एनडीए के वोट बैंक पर असर डाल सकता है.
दो बड़े चेहरे, एक ही संदेश
सूत्रों के मुताबिक पूर्णिया के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा जल्द ही आरजेडी में शामिल होने वाले हैं. चर्चा है कि पार्टी उन्हें धमदाहा सीट से मौजूदा मंत्री लेसी सिंह के खिलाफ उतार सकती है. यह आरजेडी की ओर से कोसी-सीमांचल बेल्ट में बड़ा संदेश माना जा रहा है. इधर, एलजेपी (रामविलास) के नेता अजय कुशवाहा भी आज दोपहर राजद का दामन थाम सकते हैं. सूत्र बताते हैं कि पार्टी उन्हें वैशाली सीट से टिकट देने की तैयारी में है.
सोशल इंजीनियरिंग का गणित
राजद का यह कदम केवल दल-बदल नहीं, बल्कि सोशल इंजीनियरिंग की ठोस रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. कुशवाहा समाज, बिहार में लगभग 4 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या रखते हैं और यह वोट बैंक पारंपरिक रूप से जदयू के साथ जुड़ा माना जाता रहा है. लेकिन पिछले कुछ चुनावों में इस समुदाय में राजद और कांग्रेस के प्रति झुकाव बढ़ा है, जिसे अब राजद राजनीतिक रूप से कैश करना चाहती है.
2024 से 2025 तक की निरंतरता
2024 के लोकसभा चुनाव में भी राजद ने इस वर्ग को साधने की कोशिश की थी. कई सीटों पर कुशवाहा उम्मीदवारों को मौका देकर पार्टी ने संकेत दिया था कि वह यादव-मुस्लिम समीकरण से आगे निकलने की रणनीति पर काम कर रही है.
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राजद का यह कदम कई मायनों में महत्वपूर्ण है
1. जेडीयू को सीधी चुनौती: कुशवाहा समाज नीतीश कुमार के मूल वोट बैंक का हिस्सा रहा है. इस कार्ड से आरजेडी सीधे जेडीयू के आधार को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.
2. जातीय समीकरण में बदलाव: अगर राजद कुशवाहा मतदाताओं को अपने पाले में लाने में सफल होती है, तो यह एनडीए के गणित को बड़ा झटका दे सकता है.
बिहार की सियासत में “कुशवाहा फैक्टर” एक बार फिर केंद्र में है और इस बार, आरजेडी ने सबसे पहले चाल चलकर यह साफ कर दिया है कि 2025 का चुनाव सिर्फ गठबंधन की जंग नहीं, बल्कि जातीय और सामाजिक समीकरणों की नई परिभाषा तय करेगा. कुशवाहा समाज पर कब्जे की लड़ाई शुरू हो चुकी है और आरजेडी ने पहली चाल चल दी है.
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