- ओवैसी ने बिहार चुनाव में सीमांचल के हर बूथ पर 50 से 100 पात्र वोटरों के नाम काटे जाने का आरोप लगाया है
- ओवैसी ने दावा किया कि उन्होंने 900 लोगों के नाम दिए हैं, जो यहीं रह रहे हैं, लेकिन उनके नाम काट दिए गए हैं
- उन्होंने दावा किया कि एसआईआर के दौरान वोट कटने का असर 11 नवंबर को चुनाव नतीजों के दौरान दिखाई देगा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 'वोट चोरी' का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल रखा है. चुनाव आयोग बार-बार आरोपों का खंडन कर रहा है. अब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का पहला चरण पूरा होने के बाद AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने NDTV से खास बातचीत में सीमांचल के हर बूथ पर 50 से 100 पात्र वोटरों के नाम काटे जाने का बड़ा आरोप लगाया है.
NDTV के सीईओ और एडिटर इन चीफ राहुल कंवल के साथ विशेष बातचीत के दौरान ओवैसी ने ये आरोप लगाया. वोटर लिस्ट के गहन रिवीजन (SIR) के बिहार चुनाव पर असर से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि वोटर पर्ची बांटने के दौरान हमने देखा कि लोगों को बहुत परेशानी है. हर बूथ पर कम से कम 50 से 100 जेनुइन वोटरों के नाम काटे गए हैं. इसका इम्पैक्ट 11 नवंबर को नतीजों के दिन काफी नजर आएगा.
चुनाव आयोग का तो कहना है कि उसे ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है, तो इस पर ओवैसी का कहना था कि हमारी पार्टी के बिहार प्रेसिडेंट अख्तरुल इमान इस केस में एक पार्टी हैं. हमने खुद 900 नाम दिए हैं. बाकी सभी लोगों से ज्यादा. ये सभी जेनुइन नाम हैं. ये लोग जिंदा हैं, यहीं रह रहे हैं, कहीं शिफ्ट भी नहीं हुए हैं और इनकी कहीं डबल एंट्री भी नहीं है.
ओवैसी ने आगे कहा कि ये 95 पर्सेंट ग्रामीण इलाका है. हमें इतना समय नहीं मिला कि एक-एक पंचायत में जाएं और लोगों का पता लगाएं. हमारे स्टेट प्रेसिडेंट ने एक विधानसभा क्षेत्र को चुना और वहां इतने जेनुइल वोट कटे हुए मिले. यकीनन इसका असर चुनाव परिणामों पर दिखेगा.
ऐसे मामलों में आयोग से शिकायत न किए जाने की वजह बताते हुए ओवैसी ने कहा कि नौजवान यहां से पलायन कर चुका है, यहां रहता नहीं है. उसके घर की देखभाल कोई महिला, कोई बुजुर्ग करता है. ऐसे में आप ये कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि इतना पार्टिसिपेशन होगा.
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