- मुज़फ़्फ़रपुर में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत
- पूरे बिहार में अब तक 126 बच्चों की मौत
- सीएम नीतीश कुमार मुज़फ़्फ़रपुर पहुंचे
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SKMCH) पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. इस अस्पताल में एक्यूट एन्सिफेलाइटिस सिन्ड्रोम (AES) से अब तक 89 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि पूरे शहर में अब तक 108 बच्चे इस बीमारी के कारण जान गंवा चुके हैं. मुज़फ़्फ़रपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SKMCH) के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट सुनील कुमार शाही ने बताया, "मुख्यमंत्री (नीतीश कुमार) ने मरीज़ों और उनके परिजनों से मुलाकात की. वह मरीज़ों को दिए जा रहे उपचार से संतुष्ट थे, तथा उन्होंने हमें रोज़ दोपहर 3 बजे बुलेटिन जारी करने का आदेश दिया है. उन्हें इस बात से बहुत दुःख पहुंचा कि यहां इलाज के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं." अस्पताल में मौत का सिलसिला 17 दिन पहले शुरू हुआ था, जो अब तक जारी है. पूरे बिहार में अब तक 126 बच्चों की मौत हो चुकी है, और मुख्यमंत्री के इस रवैये से लोगों में काफी नाराज़गी है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री को थी क्रिकेट वर्ल्डकप में दिलचस्पी
SK Shahi, MS, SKMCH, Muzaffarpur: CM met the patients and their relatives.He was satisfied with present medical treatment being provided & ordered us to release a bulletin daily at 3pm. He was pained by the fact that adequate facilities for treatment were not available here. pic.twitter.com/2sbUsB7uqi
— ANI (@ANI) June 18, 2019
समूचे बिहार में जारी एक्यूट एन्सिफेलाइटिस सिन्ड्रोम (AES) के तांडव में सवा सौ से ज़्यादा, और सिर्फ मुज़फ़्फ़रपुर में 109 बच्चों के काल के गाल में समा जाने के बाद सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को फुर्सत मिली, और मंगलवार को वह मुज़फ़्फ़रपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SKMCH) पहुंचे, जहां अब तक 89 बच्चों की मौत हो चुकी है. SKMCH के अलावा मुज़फ़्फ़रपुर के ही केजरीवाल अस्पताल में भी 19 बच्चे इस जानलेवा बीमारी का शिकार हो चुके हैं.
#WATCH Locals hold protest outside Sri Krishna Medical College and Hospital in Muzaffarpur as Bihar CM Nitish Kumar is present at the hospital; Death toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) is 108. pic.twitter.com/N1Bpn5liVr
— ANI (@ANI) June 18, 2019
इस बीमारी के सबसे ज़्यादा शिकार मुज़फ़्फ़रपुर में ही देखने को मिल रहे हैं, और मंगलवार सुबह SKMCH के सुपरिंटेंडेंट सुनील कुमार शाही ने जानकारी दी थी कि कुल मिलाकर अस्पताल में 330 बच्चों को एक्यूट एन्सिफेलाइटिस सिन्ड्रोम (AES) के चलते भर्ती करवाया गया, जिनमें से 100 को इलाज के बाद छुट्टी दी जा चुकी है, और 45 बच्चों को मंगलवार को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.
सिर्फ 17 दिन के भीतर एक ही शहर में यह बीमारी सौ से ज़्यादा बच्चों की जान ले चुकी है, और मुख्यमंत्री से पहले राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे भी रविवार को ही पहली बार मुज़फ़्फ़रपुर पहुंचे थे, जहां उन्होंने मरीज़ों और उनके परिजनों से मुलाकात के अलावा डॉक्टरों से भी बात की. हालांकि इस दौरे के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री की दिलचस्पी मृतक बच्चों की संख्या जानने से ज्यादा भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे मैच का स्कोर जानने में थी. इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे भी सोते हुए नज़र आए थे.

सीएम नीतीश कुमार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित अस्पताल पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया
रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन, स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने भी मुज़फ़्फ़रपुर का दौरा किया था. डॉ हर्षवर्धन ने भी सोमवार को बताया था, "हमारी टीमें वहां पहले दिन से ही तैनात हैं, और काम कर रही हैं... मैं भी वहां जाकर मरीज़ों से मिला हूं... मैंने उनकी केसशीट भी पढ़ी, और डॉक्टरों से विस्तार से बात भी की..."
डॉ हर्षवर्धन वर्ष 2014 में भी मुज़फ़्फ़रपुर मेडिकल कॉलेज गए थे, और 2019 में भी आए. 20 से 22 जून, 2014 तक डॉ हर्षवर्धन मुज़फ़्फ़रपुर में ही रहे थे. इस दौरे के बारे में उन्हीं दिनों डॉ हर्षवर्धन ने फेसबुक पर विस्तार से लिखा था, जो अब तक मौजूद है. उसके कुछ दिन बाद वह स्वास्थ्य मंत्री पद से हटा दिए गए और उनकी जगह डॉ जे.पी. नड्डा आ गए. उसके बाद से इन पांच साल में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मुज़फ़्फ़रपुर को लेकर ऐसा कुछ भी नहीं किया, जो इस समस्या से निपटने में मदद कर सके. उन घोषणाओं पर भी अब तक अमल नहीं किया गया है, जो कई स्तरों की बैठकों के बाद की गई थीं. वर्ष 2014 में डॉ हर्षवर्धन ने कहा था कि 100 फीसदी टीकाकरण होना चाहिए, यानी कोई भी बच्चा टीकाकरण से नहीं छूटना चाहिए. उन्होंने कहा था कि जल्द ही मुज़फ़्फ़रपुर में 100 बिस्तरों वाला बच्चों का अस्पताल बनाया जाएगा, लेकिन पांच साल बाद डॉ हर्षवर्धन दोबारा स्वास्थ्य मंत्री बने हैं, और वही सब घोषणाएं दोहरा रहे हैं, जो उन्होंने 2014 में की थीं.
Video: 2014 में मुजफ्फरपुर में किए गए डॉ. हर्षवर्धन के वादों का क्या हुआ?
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