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अस्थावां विधानसभा सीट: नीतीश कुमार के गृह जिले के इस अभेद्य दुर्ग में आरजेडी कर पाएगी सेंधमारी?

नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में अस्थावां को JDU का पारंपरिक गढ़ माना जाता है. इस बार राजद ने पूर्व मुखिया रवि रंजन कुमार को तो जनसुराज ने कभी नीतीश के करीबी रहे RCP सिंह की बेटी लता सिंह को उतारकर चुनाव रोचक बना दिया है.

अस्थावां विधानसभा सीट: नीतीश कुमार के गृह जिले के इस अभेद्य दुर्ग में आरजेडी कर पाएगी सेंधमारी?

अस्थावां विधानसभा (Asthawan Assembly Seat) बिहार के नालंदा जिले में है और नालंदा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. यह एक सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. नालंदा जिला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला होने के कारण, अस्थावां को जनता दल यूनाइटेड (JDU) का एक मजबूत और पारंपरिक गढ़ माना जाता है. इस सीट पर पिछले कुछ चुनावों से जदयू का वर्चस्व रहा है. अस्थावां की राजनीति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से जुड़ी रही है.

इस बार क्या प्रमुख मुद्दे हैं?

  • कृषि और सिंचाई: क्षेत्र में कृषि की प्रधानता है, इसलिए सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक प्रमुख मांग रहती है.
  • औद्योगिक विकास: स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार सृजन हेतु कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है.
  • ग्रामीण सड़क संपर्क: ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने की मांग हमेशा बनी रहती है.
  • स्वास्थ्य और शिक्षा: बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं और उच्च शिक्षा के केंद्रों की उपलब्धता सुनिश्चित करना प्रमुख एजेंडा रहता है.

वोटों का गणित क्या है? 

चुनाव आयोग द्वारा 30 सितंबर 2025 को जारी अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, अस्थावां विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 3,01,833 है. इसमें 1,59,727 पुरुष मतदाता और 1,42,100 महिला मतदाता हैं. थर्ड जेंडर के मतदाता लगभग 80 हैं. 2020 के बाद इस सीट पर मतदाताओं की संख्या में लगभग 7,000 से 8,000 की वृद्धि हुई है. इस सीट पर अनुमानित औसत मतदान प्रतिशत 55% से 58% के बीच रहता है. सामाजिक समीकरणों की दृष्टि से कुर्मी और यादव मतदाताओं की संख्या अधिक और निर्णायक है. कुर्मी मतदाता पारंपरिक रूप से जदयू का आधार रहे हैं. इसके अलावा मुस्लिम, अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और दलित मतदाताओं की हिस्सेदारी भी परिणाम को प्रभावित करती है.

पिछली हार-जीत का हिसाब

अस्थावां सीट पर जदयू और राजद के बीच कड़ा मुकाबला होता रहा है, जिसमें जदयू का पलड़ा भारी रहा है. 2020 विधानसभा चुनाव में यह सीट जनता दल यूनाइटेड (JDU) के जितेंद्र कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अनिल कुमार को 16,,600 वोटों के बड़े अंतर से हराकर जीती थी. यह जीत इस सीट पर जदयू के मजबूत दबदबे को दर्शाती है. इससे पहले, 2015 विधानसभा चुनाव में भी JDU के जितेंद्र कुमार ने LJP के छोटे लाल यादव को 10,444 वोट से अधिक वोटों से हराया था. 2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को देखें तो अस्थावां विधानसभा की वोटों में बहुत बड़ी बढ़त हासिल की थी. यह मजबूत बढ़त स्पष्ट रूप से इस सीट पर एनडीए के प्रभाव को और पुख्ता करती है.

इस बार माहौल क्या है?

अस्थावां विधानसभा सीट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले का हिस्सा होने के कारण अहम है. एनडीए (JDU/BJP) अपने मजबूत कुर्मी वोट बैंक, मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत छवि और केंद्र व राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दम पर एक बार फिर से इस सीट पर आसान जीत पाने की कोशिश करेगा. वहीं महागठबंधन (RJD) के लिए यह सीट जीतना किला फतह करना जैसा होगा. उसे कड़ी चुनौती देने के लिए अपने यादव-मुस्लिम समीकरण को मजबूत करते हुए ईबीसी और दलित वोटों में सेंध लगानी होगी.

अस्थावां विधानसभा से राजद ने नया प्रत्याशी उतारकर मुकाबला रोचक बना दिया है. राजद ने य हां कतरीसराय के पूर्व मुखिया रवि रंजन कुमार को टिकट दिया है. वहीं जनसुराज ने कभी नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे रामचंद्र प्रसाद सिंह (RCP सिंह) की छोटी बेटी लता सिंह को मैदान में उतारा है. देखना ये है कि अस्थावां की सीट किसके पाले में गिरती है. 

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