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नबीनगर विधानसभा: बिजलीघर वाले क्षेत्र में इस बार चुनावों में होगा हाई वोल्‍टेज ड्रामा 

नबीनगर विधानसभा सीट (संख्या 221) बिहार के औरंगाबाद जिले में आती है और यह करकट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत है. इस सीट का राजनीतिक इतिहास लगातार उतार-चढ़ाव से भरा रहा है.

नबीनगर विधानसभा: बिजलीघर वाले क्षेत्र में इस बार चुनावों में होगा हाई वोल्‍टेज ड्रामा 
  • नबीनगर विधानसभा सीट बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित है और करकट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है.
  • इस सीट पर दूसरे चरण के तहत 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. मुख्य मुकाबला आरजेडी और जेडीयू के बीच माना जा रहा है
  • नबीनगर ग्रामीण बहुल है, जहां कृषि, सिंचाई, सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधा मांगें प्रमुख मुद्दे हैं.
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पटना:

नबीनगर, बिहार राज्य के मगध जोन और औरंगाबाद जिले में स्थित वह जगह जिसे आप बिजली उत्‍पादन का भी गढ़ कह सकते हैं. यहां पर करीब 4,380 मेगावॉट वाले नबीनगर बिजलीघर में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी एनटीपीसी की करीब आधी हिस्सेदारी है. जाहिर सी बात है कि इस सीट पर नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों में मुकाबला हाई वोल्‍टेज रहने वाला है. इस सीट पर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण यानी 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. 

औरगांबाद का हिस्‍सा 

नबीनगर विधानसभा सीट (संख्या 221) बिहार के औरंगाबाद जिले में आती है और यह करकट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत है. इस सीट का राजनीतिक इतिहास लगातार उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. यहां कभी राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का दबदबा रहा तो कभी जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई. साल 2000 के दशक में इस सीट पर कई बार सत्ता का पलड़ा बदला है, जो स्थानीय समीकरणों और जातिगत गणित का असर दिखाता है.  

सीट के बारे में क्या है खास

ग्रामीण-बहुल क्षेत्र होने के कारण कृषि, सिंचाई, इनफ्रास्‍ट्रक्‍चर जैसे सड़क, बिजली, पानी जैसे विकास-मुद्दे यहां तय-सियासी प्राथमिकता में रहे हैं. उदाहरण के लिए किसानों की मांगें, सिंचाई व्यवस्था, ग्रामीण सड़कें. पंचायत-स्तर पर शहरीकरण कम होने के कारण शिक्षण, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी स्थानीय चिंताओं में सबसे ऊपर है. राजनीतिक दृष्टि से यह सीट पहले कई वर्षों तक जेडीयू रही है, लेकिन हाल के चुनावों में आरजेडी ने अपनी पकड़ मजबूत की है. यहां पर सामाजिक समीकरण भी निर्णायक भूमिका में हैं जिसमें जात-पार्टी गठजोड़, ग्रामीण-शहरी विभाजन, मतदाता आधार की बदलती धारा अपनी भूमिका निभाते हैं. आगामी चुनाव के संदर्भ में इस सीट पर मतदाता सूची को अपडेट करना भी एक प्रमुख प्रक्रिया रही है. 

साल 2000 से बदले चुनावी समीकरण 

साल 2000 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के भीम कुमार यादव ने बड़ी जीत हासिल की थी. उन्हें लगभग 63,577 वोट मिले थे, जो कुल वोटों का करीब 54 प्रतिशत था. उस समय यह सीट आरजेडी का गढ़ मानी जाती थी. इसके बाद फरवरी 2005 में फिर से भीम कुमार (आरजेडी) ने जीत दर्ज की, लेकिन उसी साल अक्टूबर में हुए पुनः चुनाव में यह सीट लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के खाते में चली गई और विजय राम विजेता बने. 

इसके बाद साल 2010 में यह सीट जेडीयू के खाते में चली गई. वीरेंद्र कुमार सिंह (जेडीयू) ने उस चुनाव में लगभग 36,860 वोट हासिल किए और एलजेपी के विजय कुमार सिंह को हराया. साल 2015 में एक बार फिर वीरेंद्र कुमार सिंह (जेडीयू) ने जीत दोहराई. उन्हें करीब 42,035 वोट मिले, जबकि बीजेपी उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे. इन दो चुनावों में जेडीयू की पकड़ नबीनगर में काफी मजबूत दिखी और यह सीट एनडीए खेमे के नियंत्रण में रही. 

RJD की शानदार वापसी 

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में सत्ता समीकरण पूरी तरह बदल गए. इस बार आरजेडी के विजय कुमार सिंह (उर्फ डब्लू सिंह) ने शानदार वापसी की और करीब 64,943 वोट हासिल कर जीत दर्ज की. उन्होंने जेडीयू के वीरेंद्र कुमार सिंह को लगभग 20,121 वोटों के बड़े अंतर से हराया. इस जीत के साथ नबीनगर सीट पर आरजेडी ने दोबारा अपनी पकड़ मजबूत की और एनडीए से यह सीट छीन ली. 

साल 2020 के नतीजों ने यह स्पष्ट किया कि नबीनगर अब किसी एक दल की स्थायी सीट नहीं रही. यहां मतदाता हर चुनाव में स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवारों के काम के आधार पर निर्णय लेते हैं. 2025 के चुनावों में माहौल फिलहाल विकास, रोजगार और स्थानीय बुनियादी सुविधाओं के मुद्दों पर केंद्रित माना जा रहा है.राजनीतिक हलकों में यह सीट अब 'हाई-प्रोफाइल बैटल जोन' मानी जा रही है, जहां आरजेडी अपने गढ़ को बचाने में जुटी है, जबकि जेडीयू इस सीट को फिर से हासिल करने के लिए ज़ोर लगा रही है. 
 

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