
- औरंगाबाद विधानसभा सीट बिहार के औरंगाबाद जिले में ग्रामीण क्षेत्र है और जनरल कैटेगरी की सीट है.
- इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति की आबादी लगभग पच्चीस प्रतिशत है और सामाजिक आर्थिक विकास की चुनौतियां मौजूद हैं.
- मुख्य चुनावी मुद्दों में सड़क बिजली पानी सिंचाई स्वास्थ्य शिक्षा युवा बेरोजगारी और कानून व्यवस्था शामिल हैं.
औरंगाबाद विधानसभा सीट (संख्या 223) बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित एक ग्रामीण-भौतिक रूप से पूरी तरह आबादी वाला निर्वाचन क्षेत्र है. औरंगाबाद विधानसभा एक जनरल कैटेगरी की विधानसभा सीट है. इसकी आबादी में ग्रामीण हिस्सेदारी अधिक है जबकि शहरीकरण कम है.ऐसे में यहां पर कई तरह की सामाजिक-आर्थिक विकास की चुनौतियां भी मौजूद हैं. इस क्षेत्र में अनुसूचित जातियों (एससी) का भी एक-निश्चित हिस्सा है और यह करीब 21.64 फीसदी है. राजनीतिक दृष्टि से यह सीट महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जिले का प्रमुख विधानसभा क्षेत्र है और लोकसभा सीट की ओर जाती है. इस सीट पर 11 नवंबर को यानी दूसरे चरण के तहत वोट डाले जाएंगे.
विधानसभा क्षेत्र के खास मुद्दे
इस क्षेत्र के लोग मगही और हिंदी भाषा बोलते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में कई खास बातें हैं जो चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं. ग्रामीण-आधारित विकास जैसे सड़क-बिजली-पानी-सिंचाई जैसे सवाल लगातार चुनावी एजेंडा में रहे हैं क्योंकि क्षेत्र का हिस्सा काफी ग्रामीण है. सामाजिक-जातिगत समीकरण इस सीट पर बहुत असर रखते हैं, जैसे अनुसूचित जाति-समुदाय, पिछड़ी जातियां और सामान्य वर्ग की राजनीतिक सक्रियता. इसके अलावा, ग्रामीण स्वास्थ्य-शिक्षा की स्थिति, युवा बेरोजगारी, पलायन (युवाओं का शहरों की ओर जाना) और कानून-व्यवस्था की चुनौतियां भी स्थानीय प्रमुख मुद्दे रहे हैं. साल 2020 के परिणामों से साफ हो गया था कि यहां पर हुआ चुनाव कांटे का था. वोटर्स बहुत बारीकी से उम्मीदवार और दल की छवि देख रहे थे. इसलिए सीट अब किसी एक दल की 'पक्की गढ़' नहीं मानी जा सकती.
कैसा रहा था पिछला चुनावी नतीजा
साल 2020 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के आनंद शंकर सिंह ने जीत दर्ज की थी. उन्हें करीब 70,018 वोट मिले थे यानी कुल वोट शेयर 41.27 फीसदी का था. वहीं उनके उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी रामाधार सिंह जो बीजेपी के थे उन्हें करीब 67,775 वोट हासिल हुए और वोट प्रतिशत 39.95 फीसदी था. इस प्रकार जीत का मार्जिन करीब 2,243 वोट रहा, यह बहुत कम अंतर है, जो दिखाता है कि इस सीट पर विकल्पों के बीच संघर्ष तेज था. मतदान प्रतिशत इस सीट पर 53.36 फीसदी के आसपास था.
पिछली हार-जीत और माहौल
पिछली कुछ विधानसभा चुनावों में यह सीट प्रमुख बदलावों से गुजरी है. साल 2015 में भी आनंद शंकर सिंह (कांग्रेस) ने यहां जीत दर्ज की थी और उन्हें 63,637 वोट मिले थे. जबकि उस साल वोट-शेयर 41.7 फीसदी था. साल 2020 में उन्होंने फिर से जीत ली, लेकिन कम अंतर से. इससे यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस इस सीट पर दो बार सफल रही है, लेकिन पकड़ बहुत मजबूत नहीं है. हारने वाले प्रमुख दलों में बीजेपी रहा है, जो 2020 में बहुत कम अंतर से पिछड़ा. इस बार के 2025 के चुनावों में माहौल कुछ इस तरह है: मतदाता विकास, उम्मीदवार की छवि, स्थानीय-मुद्दों जैसे सड़क-पानी-शिक्षा और दल के गठबंधनों को ध्यान में रखकर चुनाव में अपना मत तय करेंगे.
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