
आजादी की लड़ाई के दौरान इस इमारत का रुतबा था. यहां महात्मा गांधी से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू और राजेंद्र प्रसाद जैसे आजादी के लड़ाके देश को आजाद करने की नीति और रणनीति बनाते थे. ये इमारत कई घटनाओं की गवाह रही है. ये इमारत है सदाकत आश्रम. आज यहां एक बार फिर काफी चहल पहल दिखाई दे रही है. दिल्ली के बड़े कांग्रेसी नेताओं का यहां जुटान हो रहा है. पिछले काफी वक्त से कांग्रेस के बड़े नेताओं की बेरुखी का सामना कर रहे हैं इस इमारत के दिन फिरने वाले हैं. बुधवार को पटना के सदाकत आश्रम यानी कांग्रेस के स्टेट पार्टी ऑफिस में कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक होगी. पटना में ये बैठक 84 साल पहले यानी 1940 में हुई थी. इसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद, महात्मा गांधी और नेहरू जैसे नेता शामिल हुए थे. कांग्रेस का कहना है कि यह पटना में ये बैठक एक नई लड़ाई का संकल्प है. खासकर बिहार में आने वाले चुनावों को देखते हुए. पार्टी का नारा 'वोट चोरी' और 'संविधान बचाओ' है.
कांग्रेस के अनुसार, 2023 में तेलंगाना में भी इसी तरह की सीडब्ल्यूसी (CWC) बैठक हुई थी. जिसके बाद पार्टी वहां सत्ता में आई. भले ही उस समय राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में भी चुनाव हुए थे, जिसमें पार्टी को हार मिली थी. लेकिन कांग्रेस का मानना है कि तेलंगाना में उनकी जीत में इस बैठक का बड़ा हाथ था. अब पटना में यह बैठक करके कांग्रेस एक तरह से अपने सहयोगी दलों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि अभी तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं हुआ है. पिछली बार कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी, और इस बार वह 60 से 66 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.

इस बैठक में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और लगभग 100 अन्य नेता शामिल होंगे. कांग्रेस को उम्मीद है कि यह बैठक पार्टी में नई जान फूंकेगी. राहुल गांधी की 'वोट अधिकार यात्रा' ने पहले ही एक माहौल बना दिया है और पार्टी इस गति को खोना नहीं चाहती. यह बैठक उसी गति को आगे बढ़ाने के लिए हो रही है. इसका कितना सियासी फायदा होगा, यह तो वक्त बताएगा. लेकिन राहुल गांधी अब कांग्रेस को मजबूत बनाने की नीति पर चल रहे हैं. पार्टी ने हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ा, आम आदमी पार्टी के साथ नहीं गए, दिल्ली में भी खुद के दम पर चुनाव लड़ा.

बिहार में भी राहुल गांधी ने यात्रा के जरिए पार्टी कैडर में जान फूंकने की कोशिश की है. राज्य में पार्टी महागठबंधन का हिस्सा है लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी इस बार बिहार में काफी कुछ हासिल करना चाहती है. बिहार चुनाव को इस बार कांग्रेस ने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. यही वजह है कि पार्टी कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग है पटना में आयोजित करके एक तीर से कई निशाने साध रही है
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