प्रतीकात्मक तस्वीर
जमूई:
बिहार चुनावों मे पहली बार अनमैन्ड एरियल व्हीकल (Unmanned Ariel Vehicle) यानी UAV का इस्तेमाल किया जा रहा है। सोमवार को पहले दौर की वोटिंग के दौरान जमूई के भीमबांध और लखीसराय के मतदान केंद्रों पर वोटिंग के दौरान यूएवी दिखे। सुरक्षा बल इसे अपनी तीसरी आंख कहते हैं। ये आंख वहां देख लेती है, जहां वो पहुंच नहीं पाते।
जमूई के भीमबांध में इस आंख ने नक्सली हलचलों के अंदेशे पर नज़र रखी। ये इलाका सबसे ख़तरनाक माना जाता है। "इस से हमे एरियल सुर्वे मिलते हे । सीआरपीएफ़ में कमांडेंट धीरेन्द्र वर्मा का कहना है, 'अगर हम कोई कार्रवाई करने जा रहे हों तो उन सब जगहों की तस्वीरें मिल जाती हैं जहां हमारा जाना मुश्किल होता हैं।'
UAV की पिक्चर क्वालिटी अच्छी
ये UAV लगातार 20-25 मिनट उड़ता है और इस दौरान अच्छी-ख़ासी दूरी तय कर लेता है। इसकी पिक्चर क्वालिटी भी क़ाबिले तारीफ़ है। सबसे अच्छी बात - उड़ान के दौरान कोई गड़बड़ी हुई तो वो लौटकर अपनी मूल जगह चला आता है।
UAV की रेड जोन में तैनाती
दरअसल पहले दो दौर के चुनाव नक्सली इलाक़ों में होने हैं। इस रेड जोन की निगरानी में यूएवी काफी काम आ रहे हैं। एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक - दूसरे दौर में कैमूर और रोहतास के इलाकों के अलावा - गया के चाकरबांध और बाराचट्टी इलाकों में इनका इस्तेमाल होना है और औरंगाबाद में भी। सुरक्षा बलों ने इन इलाकों को सुरक्षा के लिहाज से सबसे संवेदनशील माना है। यहां सीआरपीएफ़ के साथ कोबरा यूनिट भी हैं और साथ में ये यूएवी, जो आसमान से सब देख लेते हैं।
जमूई के भीमबांध में इस आंख ने नक्सली हलचलों के अंदेशे पर नज़र रखी। ये इलाका सबसे ख़तरनाक माना जाता है। "इस से हमे एरियल सुर्वे मिलते हे । सीआरपीएफ़ में कमांडेंट धीरेन्द्र वर्मा का कहना है, 'अगर हम कोई कार्रवाई करने जा रहे हों तो उन सब जगहों की तस्वीरें मिल जाती हैं जहां हमारा जाना मुश्किल होता हैं।'
UAV की पिक्चर क्वालिटी अच्छी
ये UAV लगातार 20-25 मिनट उड़ता है और इस दौरान अच्छी-ख़ासी दूरी तय कर लेता है। इसकी पिक्चर क्वालिटी भी क़ाबिले तारीफ़ है। सबसे अच्छी बात - उड़ान के दौरान कोई गड़बड़ी हुई तो वो लौटकर अपनी मूल जगह चला आता है।
UAV की रेड जोन में तैनाती
दरअसल पहले दो दौर के चुनाव नक्सली इलाक़ों में होने हैं। इस रेड जोन की निगरानी में यूएवी काफी काम आ रहे हैं। एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक - दूसरे दौर में कैमूर और रोहतास के इलाकों के अलावा - गया के चाकरबांध और बाराचट्टी इलाकों में इनका इस्तेमाल होना है और औरंगाबाद में भी। सुरक्षा बलों ने इन इलाकों को सुरक्षा के लिहाज से सबसे संवेदनशील माना है। यहां सीआरपीएफ़ के साथ कोबरा यूनिट भी हैं और साथ में ये यूएवी, जो आसमान से सब देख लेते हैं।
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