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This Article is From Oct 07, 2015

चुनाव मैदान में बाजी मारने के लिए साम्प्रदायिकता का कार्ड

चुनाव मैदान में बाजी मारने के लिए साम्प्रदायिकता का कार्ड
किशनगंज में एक चुनावी सभा में अकबरोद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो)।
पटना: बिहार चुनाव से पहले साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को और तीखा करने की कोशिशें जारी हैं। एक तरफ बीजेपी खुलकर साम्प्रदायिकता का कार्ड खेल रही है और दूसरी तरफ बाकी राजनीतिक दल उसे इन मुद्दों पर घेरने की कोशिश कर रहे हैं।

किशनगंज  में तनाव
किशनगंज इलाके से आप गुजरें तो आपको सुरक्षा के कड़े इंतजाम दिखाई पड़ते हैं। आखिर इसे हाइपर सेंसिटिव इलाका करार दिया गया है। इस हफ्ते एमईएम नेता अकबरोद्दीन ओवैसी ने यहां का दौरा किया। प्रशासन ने माहौल बिगाड़ने के आरोप में उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं। किशनगंज के एसपी  राजीव रंजन के अनुसार 'मामला दर्ज किया जा चुका है इसलिए गिरफ्तारी के निर्देश दिए जा चुके हैं।'  

खंडित मूर्ति मिली
दरअसल ओवैसी के दौरे के एक दिन बाद किशनगंज में काली की एक खंडित मूर्ति मिली। यह साफ नहीं है कि यह हरकत किन लोगों ने की थी, लेकिन इससे कई इलाकों में तनाव फैल गया। किशनगंज के अलावा सासाराम और भागलपुर में भी माहौल बिगाड़ने की कोशिश हुई। पितृपक्ष चल रहा है इसलिए गया में भी सुरक्षा के पूरे इंतजांम हैं।

सीआरपीएफ के आईजी अरुण कुमार ने बताया कि 'जो संवेदनशील इलाके हैं उन्हें हमने हईपर सेंसिटिव केटेगरी में रखा है। इंतजाम इन इलाकों में ज्यादा हैं।' मुंगेर तक जाने वाले सभी रास्ते पुलिस ने घेर रखे हैं। इंस्पेक्टर मनीष झा ने बताया कि 'हमें हिदायत है हथियार ओर पैसे को लेकर खास चेंकिग करनी है।'

प्रशासन ने बनाए 10 संवेदनशील इलाके
इन हालात को देखते हुए कई जिलों को संवेदनशील घोषित कर दिया गया है। इनमें नवादा, सीवान, नालंदा, गया, औरंगाबाद, रोहताल, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, किशनगंज और जहानाबाद शामिल हैं। दरअसल बिहार चुनावों में ऐसी कई बातें हो रही हैं जो हमारी लोकतांत्रिक तहजीब के खिलाफ हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि वोट देते समय लोग इन सभी बातों को पहचानेंगे ओर तर्क के आधार पर ही वोट देंगे।

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