मुकेश साहनी का फाइल फोटो
पटना:
बॉलीवुड निर्माता और अब बिहार के राजनेता मुकेश साहनी अपने आपको 'मल्लाह का बेटा' कहलाना पसंद करते हैं। साहनी ने विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा को चुना है और इसके पीछे की वजह जानने के लिए आपको वहां के लोकल अखबारों को देखना पड़ेगा।
34 साल के साहनी की एक बड़ी सी तस्वीर वाले विज्ञापनों में लिखा है 'आगे बड़ी लड़ाई है, एनडीए में भलाई है।' राजनीति में सबसे तेज़ी से हो रही दल-बदल प्रक्रिया के दौरान साहनी ने घोषणा की है कि विधानसभा चुनाव में बिहार के लोग लालू यादव और नीतीश कुमार को मुंह तोड़ जवाब देने वाले हैं।
20 दिन पहले ही मुकेश साहनी ने प्रतिद्वंदी कैंप जेडीयू को समर्थन देने की कसम खाई थी। साहनी की माने तो निशाद समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा और ज्यादा बड़े राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग का समर्थन देने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया था।
बहुत अहम है निशाद समुदाय
बता दें कि इस साल की शुरूआत में राजनीति में कदम रखने वाले मुकेश साहनी को शुरू से ही नीतीश की पार्टी और भाजपा द्वारा लुभाया जा रहा है। साहनी ने खुद को उस निशाद समुदाय का नेता नियुक्त कर लिया है जो मल्लाह समेत उन 20 उप-जातियों की सामुहिक पहचान है जिनका जीवन यापन पारंपरिक रूप से नदियों से ही चलता है।
बिहार में महा पिछड़ी जातियों की आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा निशाद समुदाय का है इसलिए इसे एक अहम वोट बैंक की तरह देखा जा रहा है। बिहार की 5 प्रतिशत आबादी मल्लाहों की है।
विकल्पों की मौजूदगी में साहनी ने आकलन कर लिया की उन्हें किसे समर्थन देना है। इससे पहले साहनी ने कहा था कि निशाद जाति भाजपा को लेकर 'भ्रमित' है लेकिन उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करके अपने समुदाय के फायदे और भलाई की बात की है।
दरभंगा के मल्लाह परिवार से ताल्लुक रखने वाले साहनी ने 18 साल की उम्र में मुंबई में एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी शुरू की थी। वह एक फिल्म निर्माता भी हैं।
34 साल के साहनी की एक बड़ी सी तस्वीर वाले विज्ञापनों में लिखा है 'आगे बड़ी लड़ाई है, एनडीए में भलाई है।' राजनीति में सबसे तेज़ी से हो रही दल-बदल प्रक्रिया के दौरान साहनी ने घोषणा की है कि विधानसभा चुनाव में बिहार के लोग लालू यादव और नीतीश कुमार को मुंह तोड़ जवाब देने वाले हैं।
20 दिन पहले ही मुकेश साहनी ने प्रतिद्वंदी कैंप जेडीयू को समर्थन देने की कसम खाई थी। साहनी की माने तो निशाद समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा और ज्यादा बड़े राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग का समर्थन देने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया था।
बहुत अहम है निशाद समुदाय
बता दें कि इस साल की शुरूआत में राजनीति में कदम रखने वाले मुकेश साहनी को शुरू से ही नीतीश की पार्टी और भाजपा द्वारा लुभाया जा रहा है। साहनी ने खुद को उस निशाद समुदाय का नेता नियुक्त कर लिया है जो मल्लाह समेत उन 20 उप-जातियों की सामुहिक पहचान है जिनका जीवन यापन पारंपरिक रूप से नदियों से ही चलता है।
बिहार में महा पिछड़ी जातियों की आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा निशाद समुदाय का है इसलिए इसे एक अहम वोट बैंक की तरह देखा जा रहा है। बिहार की 5 प्रतिशत आबादी मल्लाहों की है।
विकल्पों की मौजूदगी में साहनी ने आकलन कर लिया की उन्हें किसे समर्थन देना है। इससे पहले साहनी ने कहा था कि निशाद जाति भाजपा को लेकर 'भ्रमित' है लेकिन उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करके अपने समुदाय के फायदे और भलाई की बात की है।
दरभंगा के मल्लाह परिवार से ताल्लुक रखने वाले साहनी ने 18 साल की उम्र में मुंबई में एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी शुरू की थी। वह एक फिल्म निर्माता भी हैं।
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