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This Article is From Sep 29, 2015

बिहार चुनाव : नीतीश कुमार अब भी महिला मतदाताओं की पहली पसंद

बिहार चुनाव : नीतीश कुमार अब भी महिला मतदाताओं की पहली पसंद
नीतीश कुमार की फाइल फोटो
जहानाबाद: बिहार में पहले दौर का मतदान 12 अक्टूबर को है। हर पार्टी महिलाओं को लुभाने में लगी हुई है क्योंकि बिहार में औरतें बड़ी तादाद में वोट देती हैं। और बिहार की सियासत में पिछले कुछ दिनों में जो भी हुआ हो लेकिन इसके बावजूद बिहार में महिलाओं की पहली पसंद हैं नीतीश कुमार।

नक्सल बेल्ट के जहानाबाद में एनडीटीवी की टीम पहुंची पिंजौर के एक माध्यमिक विद्यालय में। स्कूल में छुट्टी हो चुकी थी, बच्चे घर चले तो शिक्षक भी खाली होकर चुनावी मुद्दों पर बात करते हुए हमें मिले। आठवीं क्लास को गणित पढ़ाने वाली शीनू कुमारी के मुताबिक महिलाओं में सबसे लोकप्रिय रहे नीतीश ने लालू के साथ जाकर समीकरण बिगाड़ दिया है।

शीनू ने कहा, 'छात्रों के लिए नीतीश ने बहुत किया लेकिन कई कमियां रह गयीं। वो क्या हैं ये सब जानते हैं। दरअसल लालू के साथ जाकर उन्होंने सही नहीं किया।' शीनू ने ये भी कहा कि अब सभी चाहते हैं कि राजनीति साफ़ सुथरी होनी चाहिये।

सरिता भी उसी स्कूल में टीचर हैं। वो मानती हैं कि इस बार चुनावों में जाति का नहीं बल्कि विकास का सिक्का चलेगा। सरिता का कहना है, 'जो विकास के बारे में बात करेगा, जो इलाकों में बेहतर सहूलियतें लाएगा जनता उसी की होगी।'

दरअसल नीतीश की सरकार ने स्कूली बच्चों को पोशाकों से लेकर किताबें और कई तरह की सहूलियतें दी हैं। माना जा रहा है कि ये सभी बातें उनके हक़ में जाएंगी जब मतदाता इस बार वोट देने जायेंगे।

स्कूल से कुछ दूर हम गए तो हमें जहानाबाद का कोर्ट दिखा। वहां भी कानून की दलील देने वाली महिला वकीलों में नीतीश ही सबके चहेते निकले। साधना शर्मा इसी कोर्ट में पिछले सोलह सालों से दलीलें दे रही हैं, बहस कर रही हैं। उन्होंने अपनी बात कुछ इस तरह हमारे आगे रखी, 'महागठबंधन में लालू और नीतीश तो एक दूसरे के सबसे बड़े दुश्मन थे, वो कैसे एक हो गए, ये समझ में नहीं आ रहा। इसीलिए अब वोट देने से पहले सोचना पड़ेगा।'

दरअसल नीतीश की छवि राजनीति में जितनी साफ़ सुथरी है लालू की उतनी ही मैली। महिला मतदाताओं को लालू राज या कहें जंगल राज अभी तक नहीं भूला है। इसलिए नीतीश को पूरा समर्थन नहीं दे रही हैं।

समाजसेविका इंदु कुमारी का कहना है कि जो पार्टी महिलाओं को सुरक्षा का भरोसा दिलवा पायेगी वही विजय हासिल करेगी। इंदु का मानना है, 'लालू के समय व्यवस्था में बहुत गड़बड़ी थी, लोग नहीं चहते कि वो दिन दुबारा लौटें।'

उधर पिंजौर के गांवों में बिंध जाति के लोग रहते हैं लेकिन नीतीश को यहां इस गावं में समर्थन इसलिए मिल रहा है क्‍योंकि उन्होंने महिलाओं को आश्वासन दिया है की अगर वो जीत कर दुबारा आए तो वो शराब बंद करवा देंगे।

एक और महिला ने कहा, 'अगर नीतीश ने ये कर दिया तो पूरी उम्र मैं उसे वोट दूंगी। एक अन्‍य महिला ने कहा, 'मर्द लोग सारी कमाई खर्च कर देते हैं, घर में बच्चा लोग भूखे रहते हैं, वो सब पैसा बर्बाद कर देतें है।

लेकिन सवाल है कि क्या बिहार 2500 करोड़ रुपये का रेवेन्यू खोने को तैयार है वो भी सिर्फ महिलाओं को खुश करने के लिए। कुछ महिलाएं नहीं मानतीं कि सरकार ऐसा करेगी। एक महिला ने कहा, 'ये चुनावी वादे हैं और कुछ नहीं।'

दरअसल बिहार में 46 फीसदी मतदाता महिलाएं हैं और बेशक बिहार एक पिछड़ा हुआ राज्य हो लेकिन यहां की महिलाएं अपना मत अपने से देती हैं और इस चुनाव में भी वो एहम भूमिका निभाएंगी।

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