नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
पटना:
जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार पर कहा कि वर्ष 2005 और 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के कारण जदयू को फायदा नहीं हुआ बल्कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता और विश्वसनीयता का लाभ भाजपा ने उठाया। चौधरी ने आरोप लगाया कि इस चुनाव में भाजपा ने तीन दलों से घोषित तौर पर और दो पार्टियों से अघोषित तौर पर समझौता किया लेकिन बिहार की जनता ने उनकी सभी ‘साजिशों’ और ‘हवाबाजी’ को नकार दिया और इस चुनाव में मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व भी उसे नहीं उबार सकी।
चौधरी ने कहा कि पिछले दो सालों से जब से जदयू ने भाजपा से नाता तोड़ा, तब से हाल में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के सभी प्रांतीय और केंद्रीय नेता यह जताने की कोशिश करते रहे हैं कि भाजपा ने ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया और यह उसका त्याग था जो उन्हें नेता मान लिया।
चौधरी ने कहा कि जदयू की ओर से बार-बार स्पष्ट किया गया कि यह नीतीश कुमार की लोकप्रियता और विश्वसनीयता थी जिसके आधार पर भाजपा को भी फायदा हुआ और उसे 90 से अधिक सीटें (वर्ष 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव) में मिलीं। इसे मानने को भाजपा तैयार नहीं थी।
चौधरी ने कहा कि इसकी परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में हो गयी और नीतीश कुमार अपने सर्वमान्य और विश्वसनीय व्यक्तित्व के बल पर नए सहयोगियों के साथ एक बार फिर भारी बहुमत से सरकार बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव 2015 के परिणाम से भाजपा को पता चल गया होगा कि नीतीश कुमार के बगैर उसकी क्या ताकत है।
उन्होंने कहा कि इस चुनाव के बाद भाजपा को अहसास हो गया होगा कि नीतीश कुमार उनके कारण मुख्यमंत्री बने थे कि भाजपा की ताकत और विधायकों की संख्या नीतीश के कारण बढ़ी थी।
चौधरी ने कहा कि पिछले दो सालों से जब से जदयू ने भाजपा से नाता तोड़ा, तब से हाल में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के सभी प्रांतीय और केंद्रीय नेता यह जताने की कोशिश करते रहे हैं कि भाजपा ने ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया और यह उसका त्याग था जो उन्हें नेता मान लिया।
चौधरी ने कहा कि जदयू की ओर से बार-बार स्पष्ट किया गया कि यह नीतीश कुमार की लोकप्रियता और विश्वसनीयता थी जिसके आधार पर भाजपा को भी फायदा हुआ और उसे 90 से अधिक सीटें (वर्ष 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव) में मिलीं। इसे मानने को भाजपा तैयार नहीं थी।
चौधरी ने कहा कि इसकी परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में हो गयी और नीतीश कुमार अपने सर्वमान्य और विश्वसनीय व्यक्तित्व के बल पर नए सहयोगियों के साथ एक बार फिर भारी बहुमत से सरकार बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव 2015 के परिणाम से भाजपा को पता चल गया होगा कि नीतीश कुमार के बगैर उसकी क्या ताकत है।
उन्होंने कहा कि इस चुनाव के बाद भाजपा को अहसास हो गया होगा कि नीतीश कुमार उनके कारण मुख्यमंत्री बने थे कि भाजपा की ताकत और विधायकों की संख्या नीतीश के कारण बढ़ी थी।
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