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This Article is From Oct 18, 2015

बिहार चुनाव : लालू के बेटे 'तेज' को निस्तेज करने में जुटे 'रवि'

बिहार चुनाव : लालू के बेटे 'तेज' को निस्तेज करने में जुटे 'रवि'
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप यादव (दाएं)
हाजीपुर (बिहार): बिहार के वैशाली जिले का महुआ विधानसभा क्षेत्र इस चुनाव में सबसे 'हॉट सीट' माना जा रहा है, क्योंकि बिहार की राजनीति के कद्दावर नेता लालू प्रसाद ने अपने बेटे तेज प्रताप को पहली बार चुनाव मैदान में उतारा है।

वैसे महुआ की लड़ाई जहां न केवल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना है, बल्कि लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेताओं के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है।

महुआ में तेज का रवींद्र राय से मुकाबला
आरजेडी उम्मीदवार तेज प्रताप यादव का मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के उम्मीदवार और निवर्तमान विधायक रवींद्र राय उर्फ रवि से माना जा रहा है, लेकिन सांसद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी से मोर्चा संभाले हुए जोगेश्वर राय इस लड़ाई को त्रिकोणात्मक बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। जोगेश्वर राय पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी के उम्मीदवार थे और तब के जद (यू) उम्मीदवार रवींद्र राय ने उन्हें 21,925 वोटों से शिकस्त दी थी।

स्थानीय समस्याओं पर मुखर वोटर
महुआ के एक आरजेडी नेता बताते हैं कि स्थानीय कार्यकर्ता जोर-शोर से चुनाव में तो जुटे ही हुए हैं, तेज प्रताप यादव के एक गैर राजनीतिक संगठन धर्मनिरपेक्ष स्वयंसेवक संघ के सदस्य भी रात-दिन एक किए हुए हैं। वैसे युवा मतदाता भी यहां की समस्याओं को लेकर मुखर जरूर हैं, लेकिन वे इस चुनाव में बदलाव की बात करते हैं। युवकों का कहना है कि आज तक महुआ का विकास क्या हुआ? बेरोजगार अब भी पलायन करने को विवश हैं।

यादव बहुल क्षेत्र में कोईरी और कुर्मी वोट भी अहम
दो लाख से ज्यादा मतदाताओं वाले इस यादव बहुल क्षेत्र में कोईरी और कुर्मी भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं। वैसे इस क्षेत्र में पिछड़ी और अगड़ी जाति के मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है। आरजेडी के स्थानीय नेता शंभु यादव कहते हैं कि महुआ के चुनावी मैदान में सिर्फ तेज प्रताप नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि यहां तो आरजेडी के वजूद की लड़ाई है। वे दावा करते हैं कि तेज प्रताप की टक्कर में अन्य कोई उम्मीदवार नहीं है।

पीएम मोदी का नाम राय की ताकत
इधर, एनडीए के घटक दल 'हम' के प्रत्याशी रवींद्र राय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं। राय मुख्यमंत्री को तानाशाह बताते हुए कहते हैं कि लोकतंत्र में उनकी तानाशाही को चुनौती देने के लिए ही वह मैदान में डटे हुए हैं। आर. एन. कॉलेज से सेवानिवृत्त प्रोफेसर और राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले समाजसेवी श्याम नारायण चौधरी कहते हैं कि फिलहाल राय की ताकत हैं एनडीए का पूरा सहयोग और नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मिलने का भरोसा।

उनका मानना है कि मतदाता अपना जनप्रतिनिधि बड़े नेताओं को देखना चाहता है। ऐसे में आज की तारीख में तेजप्रताप भले ही नया चेहरा हों, लेकिन उनके पास राजनीतिक विरासत है। वैसे रवींद्र को भी पिछड़े और अगड़ों का साथ मिलता दिख रहा है। ऐसे में मुकाबला दिलचस्प है।

तीसरे चरण में 28 अक्टूबर को होगी वोटिंग
बहरहाल, इस क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में 28 अक्टूबर को मतदान होना है, लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि जातीय समीकरणों के बीच 'सियासी विरासत' की चाल इस क्षेत्र के परिणाम को जरूर प्रभावित करेगा। बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों के लिए 12 अक्टूबर से शुरू हुआ मतदान का दौर पांच नवंबर तक पांच चरणों में चलेगा। पहले और दूसरे चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। सभी सीटों के लिए मतगणना आठ नवंबर को होगी।

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