सासाराम (बिहार):
बिहार के रोहतास जिले का नाम भले ही सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व के नाम पर रखा गया हो, परंतु इन दिनों चुनावी रंग से सराबोर इस जिले में नेताओं द्वारा किए जा रहे वादों को यहां के लोग सच नहीं मानते। वैसे, शहर से लेकर गांव तक में लोग प्रत्याशियों की हार और जीत के गुणा-भाग में जुटे हुए हैं।
'धान का कटोरा' कहे जाने वाले रोहतास जिले में विधानसभा की कुल सात सीटें हैं, जिनमें से पिछले चुनाव में चार सीटों पर तब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने कब्जा जमाया था, जबकि दो सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रत्याशी विजयी हुए थे, बची हुई एक सीट डेहरी पर निर्दलीय उम्मीदवार ज्योति रश्मि ने जीत दर्ज की थी।
बदल गई हैं परिस्थितियां...
इस बार के चुनाव में बदली परिस्थितियों में मुख्य मुकाबला बीजेपी नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और सत्तारूढ़ महागठबंधन (राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), जेडीयू और कांग्रेस) के बीच माना जा रहा है, परंतु कुछ सीटों पर संघर्ष त्रिकोणात्मक भी कहा जा रहा है।
आजादी के पहले शेरशाह सूरी की धरती और आजादी के बाद बाबू जगजीवन राम की कर्मस्थली प्रारंभ से राजनीति चेतना की धुरी रही है। शुरुआती समय में क्षेत्र में कांग्रेस का एकछत्र राज माना जाता था, परंतु कालांतर में इस क्षेत्र में कांग्रेस की पकड़ कमज़ोर होती चली गई।
करीब 20 लाख मतदाताओं वाले इस जिले में यूं तो कई विकास कार्य हुए हैं, परंतु समस्याएं कम नहीं हुई हैं। सासाराम का दक्षिणी हिस्सा अब भी सिंचित नहीं है। दुर्गावती जलाशय परियोजना पिछले वर्ष कहने को प्रारंभ तो हो गई है, परंतु आज भी मुख्य कैनाल से चेनारी क्षेत्र को छोड़कर कहीं भी छोटी नहर नहीं बन सकी है।
जनता की राय...
सासाराम में खाद की एक दुकान पर खाद खरीद रहे एक व्यक्ति ने कहा, "ऐ मरदिया केहू के जीते से का हो जाई... कउनो नेता के अइला-गइला से कवनो फड़क पड़ेके बा... हम-तूं जवन बानी, तवने रहब जा... जे देश में होयत बा वही होई... सब नेता आ के त झूठे बोल लन..."
चेनारी के किसान रामचंद्र सिंह कहते हैं कि सही वक्त पर सरकार धान का समर्थन मूल्य तय नहीं करती, जिस कारण किसानों को कम मूल्य पर धान बेचना पड़ता है। अगर सरकार समर्थन मूल्य तय कर धान खरीद भी लेती है, तब भी किसानों को सही समय पर भुगतान नहीं होता है।
चेनारी में सत्तू की एक दूकान पर चुनाव चर्चा हो रही है। एक पक्ष समस्या से इतना परेशान है कि वोट बहिष्कार की बात करता है, परंतु वहीं सत्तू पी रहे मोरसराय क्षेत्र के अनिल कुमार हाथ में सत्तू का गिलास लिए कहते हैं, "कइलो का जाव महाराज... एही में नूं रास्ता खोजे के बा... भोटवा ना देला से भी तो कवनो फायदा नइखे..."
कहां से कौन है मैदान में...
सासाराम विधानसभा सीट से बीजेपी ने एक बार फिर जवाहर प्रसाद को चुनाव मैदान में उतारा है, जो यहां से छह बार जीत चुके हैं। आरजेडी ने अशोक कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है। पिछले चुनाव में जवाहर प्रसाद ने अशोक कुमार को 5,411 वोटों से हराया था।
सासाराम के वरिष्ठ पत्रकार विनोद तिवारी कहते हैं कि रोहतास की सभी सात सीटों पर मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच ही है, परंतु जातीय समीकरण और प्रत्याशियों की क्षेत्र में पकड़ के आधार पर डेहरी और करगहर में मुकाबला त्रिकोणात्मक है। वह कहते हैं कि सभी सीटों पर मुकाबला किसी भी दल के लिए आसान नहीं है।
डेहरी से निवर्तमान विधायक ज्योति रश्मि के पति प्रदीप जोशी इस बार निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में हैं, जबकि आरजेडी ने इलियास हुसैन को प्रत्याशी बनाया है, और एनडीए की ओर से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) ने रिंकू सोनी को मैदान में उतारा है।
नोखा से बीजेपी के रामेश्वर चौरसिया चुनावी मैदान में हैं, जबकि आरजेडी ने अनिता देवी को चुनावी अखाड़े में उतारा है। इस चुनाव में रोहतास की सात सीटों में से आरजेडी ने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि जेडीयू दो और कांग्रेस एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। एनडीए की ओर से बीजेपी चार तथा आरएलएसपी ने तीन सीट पर उम्मीदवार खड़े किए हैं।
श्री शंकर कॉलेज के प्रोफेसर और राजनीति के जानकार कामता सिंह कहते हैं कि बिहार में अन्य क्षेत्रों की तरह यहां के मतदाता जातीय समीकरण और पार्टी के आधार पर वोट डालते रहे हैं। ऐसे में इस चुनाव को भी अलग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दो-तीन सीटों पर दोनों गठबंधनों को भितरघात का डर सता रहा है।
बिहार के इस क्षेत्र में विधानसभा चुनाव 2015 के दूसरे चरण के तहत 16 अक्टूबर को मतदान होना है।
'धान का कटोरा' कहे जाने वाले रोहतास जिले में विधानसभा की कुल सात सीटें हैं, जिनमें से पिछले चुनाव में चार सीटों पर तब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने कब्जा जमाया था, जबकि दो सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रत्याशी विजयी हुए थे, बची हुई एक सीट डेहरी पर निर्दलीय उम्मीदवार ज्योति रश्मि ने जीत दर्ज की थी।
बदल गई हैं परिस्थितियां...
इस बार के चुनाव में बदली परिस्थितियों में मुख्य मुकाबला बीजेपी नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और सत्तारूढ़ महागठबंधन (राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), जेडीयू और कांग्रेस) के बीच माना जा रहा है, परंतु कुछ सीटों पर संघर्ष त्रिकोणात्मक भी कहा जा रहा है।
आजादी के पहले शेरशाह सूरी की धरती और आजादी के बाद बाबू जगजीवन राम की कर्मस्थली प्रारंभ से राजनीति चेतना की धुरी रही है। शुरुआती समय में क्षेत्र में कांग्रेस का एकछत्र राज माना जाता था, परंतु कालांतर में इस क्षेत्र में कांग्रेस की पकड़ कमज़ोर होती चली गई।
करीब 20 लाख मतदाताओं वाले इस जिले में यूं तो कई विकास कार्य हुए हैं, परंतु समस्याएं कम नहीं हुई हैं। सासाराम का दक्षिणी हिस्सा अब भी सिंचित नहीं है। दुर्गावती जलाशय परियोजना पिछले वर्ष कहने को प्रारंभ तो हो गई है, परंतु आज भी मुख्य कैनाल से चेनारी क्षेत्र को छोड़कर कहीं भी छोटी नहर नहीं बन सकी है।
जनता की राय...
सासाराम में खाद की एक दुकान पर खाद खरीद रहे एक व्यक्ति ने कहा, "ऐ मरदिया केहू के जीते से का हो जाई... कउनो नेता के अइला-गइला से कवनो फड़क पड़ेके बा... हम-तूं जवन बानी, तवने रहब जा... जे देश में होयत बा वही होई... सब नेता आ के त झूठे बोल लन..."
चेनारी के किसान रामचंद्र सिंह कहते हैं कि सही वक्त पर सरकार धान का समर्थन मूल्य तय नहीं करती, जिस कारण किसानों को कम मूल्य पर धान बेचना पड़ता है। अगर सरकार समर्थन मूल्य तय कर धान खरीद भी लेती है, तब भी किसानों को सही समय पर भुगतान नहीं होता है।
चेनारी में सत्तू की एक दूकान पर चुनाव चर्चा हो रही है। एक पक्ष समस्या से इतना परेशान है कि वोट बहिष्कार की बात करता है, परंतु वहीं सत्तू पी रहे मोरसराय क्षेत्र के अनिल कुमार हाथ में सत्तू का गिलास लिए कहते हैं, "कइलो का जाव महाराज... एही में नूं रास्ता खोजे के बा... भोटवा ना देला से भी तो कवनो फायदा नइखे..."
कहां से कौन है मैदान में...
सासाराम विधानसभा सीट से बीजेपी ने एक बार फिर जवाहर प्रसाद को चुनाव मैदान में उतारा है, जो यहां से छह बार जीत चुके हैं। आरजेडी ने अशोक कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है। पिछले चुनाव में जवाहर प्रसाद ने अशोक कुमार को 5,411 वोटों से हराया था।
सासाराम के वरिष्ठ पत्रकार विनोद तिवारी कहते हैं कि रोहतास की सभी सात सीटों पर मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच ही है, परंतु जातीय समीकरण और प्रत्याशियों की क्षेत्र में पकड़ के आधार पर डेहरी और करगहर में मुकाबला त्रिकोणात्मक है। वह कहते हैं कि सभी सीटों पर मुकाबला किसी भी दल के लिए आसान नहीं है।
डेहरी से निवर्तमान विधायक ज्योति रश्मि के पति प्रदीप जोशी इस बार निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में हैं, जबकि आरजेडी ने इलियास हुसैन को प्रत्याशी बनाया है, और एनडीए की ओर से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) ने रिंकू सोनी को मैदान में उतारा है।
नोखा से बीजेपी के रामेश्वर चौरसिया चुनावी मैदान में हैं, जबकि आरजेडी ने अनिता देवी को चुनावी अखाड़े में उतारा है। इस चुनाव में रोहतास की सात सीटों में से आरजेडी ने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि जेडीयू दो और कांग्रेस एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। एनडीए की ओर से बीजेपी चार तथा आरएलएसपी ने तीन सीट पर उम्मीदवार खड़े किए हैं।
श्री शंकर कॉलेज के प्रोफेसर और राजनीति के जानकार कामता सिंह कहते हैं कि बिहार में अन्य क्षेत्रों की तरह यहां के मतदाता जातीय समीकरण और पार्टी के आधार पर वोट डालते रहे हैं। ऐसे में इस चुनाव को भी अलग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दो-तीन सीटों पर दोनों गठबंधनों को भितरघात का डर सता रहा है।
बिहार के इस क्षेत्र में विधानसभा चुनाव 2015 के दूसरे चरण के तहत 16 अक्टूबर को मतदान होना है।
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