पटना:
पिछले महीने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार में पहली चुनावी रैली को संबोधित किया था जिसमें लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति चर्चा में रही थी और अब राजद अध्यक्ष ने साफ कर दिया है कि वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ चुनावी अभियान में शामिल नहीं होंगे।
12 अक्टुबर से 5 चरणों में बिहार चुनाव होंगे और इस बार भाजपा गठबंधन के खिलाफ राजद और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू के साथ हाथ मिलाया है। इसके बावजूद अभियान की बात पर लालू ने कहा 'हम अपना अलग चुनावी अभियान करेंगे।'
पिछले महीने पटना में हुई एक महारैली में सोनिया गांधी के साथ लालू यादव ने मंच साझा किया था लेकिन बताया जा रहा है कि गठबंधन द्वारा नीतीश कुमार को ज्यादा तवज्जो दिए जाने से लालू नाराज़ हैं। यही नहीं, इस साल दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष की दी गई इफ्तार पार्टी में भी लालू शामिल नहीं हुए थे।
लालू-नीतीश की जोड़ी
गौरतलब है कि लालू यादव की पार्टी के आपत्ति जताने के बावजूद कांग्रेस ने पहले ही संभावित मुख्यमंत्री के नाम पर नीतीश कुमार को चुन लिया है। जबकि राजद का मानना है कि मुख्यमंत्री के चयन के लिए चुनाव के नतीजों का इंतज़ार करना चाहिए।
सोमवार की सुबह लालू यादव ने ट्वीट किया 'क्या बिहार को लालू-नीतीश की बिहारी जोड़ी से ज्यादा बेहतर कोई जान सकता है? हम बाहर से आए गुजरातियों को बिहार को बर्बाद करने नहीं देंगे।' हालांकि इस ट्वीट में भाजपा को निशाना बनाया गया है लेकिन लालू का अपनी तीसरी सहायक पार्टी का नाम नहीं लेना भी काफी कुछ कह गया।
अभी तक बिहार में एक ही रैली को संबोधित करने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी जब एक निजी काम के लिए अमेरिका गए तो भाजपा गठबंधन ने आरोप लगाया कि सहयोगी पार्टियां उन्हें बिहार के चुनावी अभियान से दूर रखना चाह रही है।
लालू की कांग्रेस से 'नाराज़गी'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के नए नियम के मद्देनज़र 2013 में लालू प्रसाद यादव को भ्रष्टाचार में संलिप्त होने की वजह से बतौर सांसद अयोग्य ठहरा दिया गया था। उस वक्त केंद्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी और सोनिया गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बचने के लिए अध्यादेश लाने की योजना भी बनाई थी जिससे लालू को बचाया जा सकता था।
सरकार के नज़रिए से देंखे तो ऐसा करना इसलिए भी ज़रूरी था क्योंकि संसद में अक्सर अहम वोटिंग के दौरान लालू की पार्टी कांग्रेस का साथ देती नज़र आती थी।
लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने ऑर्डर को फाड़ दिया और यह विश्वास दिलाया की अध्यादेश को वापिस लिया जाएगा। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ खड़े गठबंधन में कांग्रेस का रोल काफी छोटा है।
243 सीटों में नीतीश कुमार की जनता दल (युनाइटेड) और लालू यादव की राजद 100 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, वहीं कांग्रेस को केवल 40 सीटे ही दी गई हैं।
12 अक्टुबर से 5 चरणों में बिहार चुनाव होंगे और इस बार भाजपा गठबंधन के खिलाफ राजद और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू के साथ हाथ मिलाया है। इसके बावजूद अभियान की बात पर लालू ने कहा 'हम अपना अलग चुनावी अभियान करेंगे।'
पिछले महीने पटना में हुई एक महारैली में सोनिया गांधी के साथ लालू यादव ने मंच साझा किया था लेकिन बताया जा रहा है कि गठबंधन द्वारा नीतीश कुमार को ज्यादा तवज्जो दिए जाने से लालू नाराज़ हैं। यही नहीं, इस साल दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष की दी गई इफ्तार पार्टी में भी लालू शामिल नहीं हुए थे।
लालू-नीतीश की जोड़ी
गौरतलब है कि लालू यादव की पार्टी के आपत्ति जताने के बावजूद कांग्रेस ने पहले ही संभावित मुख्यमंत्री के नाम पर नीतीश कुमार को चुन लिया है। जबकि राजद का मानना है कि मुख्यमंत्री के चयन के लिए चुनाव के नतीजों का इंतज़ार करना चाहिए।
सोमवार की सुबह लालू यादव ने ट्वीट किया 'क्या बिहार को लालू-नीतीश की बिहारी जोड़ी से ज्यादा बेहतर कोई जान सकता है? हम बाहर से आए गुजरातियों को बिहार को बर्बाद करने नहीं देंगे।' हालांकि इस ट्वीट में भाजपा को निशाना बनाया गया है लेकिन लालू का अपनी तीसरी सहायक पार्टी का नाम नहीं लेना भी काफी कुछ कह गया।
अभी तक बिहार में एक ही रैली को संबोधित करने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी जब एक निजी काम के लिए अमेरिका गए तो भाजपा गठबंधन ने आरोप लगाया कि सहयोगी पार्टियां उन्हें बिहार के चुनावी अभियान से दूर रखना चाह रही है।
लालू की कांग्रेस से 'नाराज़गी'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के नए नियम के मद्देनज़र 2013 में लालू प्रसाद यादव को भ्रष्टाचार में संलिप्त होने की वजह से बतौर सांसद अयोग्य ठहरा दिया गया था। उस वक्त केंद्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी और सोनिया गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बचने के लिए अध्यादेश लाने की योजना भी बनाई थी जिससे लालू को बचाया जा सकता था।
सरकार के नज़रिए से देंखे तो ऐसा करना इसलिए भी ज़रूरी था क्योंकि संसद में अक्सर अहम वोटिंग के दौरान लालू की पार्टी कांग्रेस का साथ देती नज़र आती थी।
लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने ऑर्डर को फाड़ दिया और यह विश्वास दिलाया की अध्यादेश को वापिस लिया जाएगा। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ खड़े गठबंधन में कांग्रेस का रोल काफी छोटा है।
243 सीटों में नीतीश कुमार की जनता दल (युनाइटेड) और लालू यादव की राजद 100 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, वहीं कांग्रेस को केवल 40 सीटे ही दी गई हैं।
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