फिल्म शोले का एक दृश्य
बेंगलुरु:
भले ही हिंदी फिल्मों ने कमाई के मामले में 'मुग़ल-ए-आज़म' और शोले को काफी पीछे छोड़ दिया हो लेकिन ये दोनों ही फिल्में मील का पत्थर मानी जाती हैं. इसलिए आज भी सभी निर्माता निर्देशक शायद इन फिल्मों को आदर्श मानकर इन जैसी नहीं तो कम से कम इनके आस-पास पहुंचने की कोशिश करते हैं. फ़िल्म 'मुग़ल-ए-आज़म' के सेट ने तो स्टूडियो में फ़िल्म रिलीज होने के बाद कई सालों तक लोगों की दिलचस्पी बनाये रखी और इसको देखने वालों में कई नामी विदेशी हस्तियां भी शामिल थीं. अब फ़िल्म 'शोले' से लोगों के जज़्बाती लगाव को देखते हुए कर्नाटक सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने एक महत्वकांक्षी योजना बनाई है.
बेंगलुरु से तक़रीबन 70 किलोमीटर दूर बेंगलुरु मैसूरू हाईवे से नज़दीक रामनगरम में उस जगह पर जहां शोले की ज्यादातर शूटिंग हुई थी वहां दुबारा प्राकृतिक सेट बनाया जाए. यानी योजना फ़िल्म 'शोले' के गांव रामगढ़ को दुबारा बसाने की है. चाहे वो गब्बर सिंह का ठिकाना हो या फिर ठाकुर की हवेली या फिर वीरू और जय का आशियाना और रामनगरम स्टेशन, सभी कुछ, ताकि पर्यटन को बढ़ावा तो मिले ही, साथ ही एक शानदार फ़िल्म से जुड़ी यादें हमेशा ताज़ा रहें.
इन सब के साथ साथ 3-डी होलोग्राफिक रिप्रजेंटेशन भी होगा. यानी 'शोले' के कुछ यादगार सीन आपको अपने आस-पास घटित होते दिखेंगे, ठीक उसी तरह जैसे 2014 के आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी एक साथ कई जगहों पर चुनावी सभा करते दिखते और ऐसा लगता जैसे वो सामने खड़े हों. यानी गब्बर सिंह के साथ-साथ बसंती अपने धन्नो के साथ आप के आस-पास दौड़ते नज़र आएंगे.
कर्नाटक में पर्यटन मंत्री प्रियांक खड़गे ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर लगभग 7 करोड़ 50 लाख के खर्च आने का अनुमान है. हालांकि सरकार की मंजूरी अभी मिलनी है लेकिन उन्हें पूरी उम्मीद है कि इसमें कोई अड़चन नहीं आएगी. क्योंकि इसका खास ख्याल रखा जाएगा कि वहां के इकोलॉजिकल सिस्टम पर इस प्रोजेक्ट की वजह से अव्यवस्थित न हो.
बेंगलुरु से तक़रीबन 70 किलोमीटर दूर बेंगलुरु मैसूरू हाईवे से नज़दीक रामनगरम में उस जगह पर जहां शोले की ज्यादातर शूटिंग हुई थी वहां दुबारा प्राकृतिक सेट बनाया जाए. यानी योजना फ़िल्म 'शोले' के गांव रामगढ़ को दुबारा बसाने की है. चाहे वो गब्बर सिंह का ठिकाना हो या फिर ठाकुर की हवेली या फिर वीरू और जय का आशियाना और रामनगरम स्टेशन, सभी कुछ, ताकि पर्यटन को बढ़ावा तो मिले ही, साथ ही एक शानदार फ़िल्म से जुड़ी यादें हमेशा ताज़ा रहें.
इन सब के साथ साथ 3-डी होलोग्राफिक रिप्रजेंटेशन भी होगा. यानी 'शोले' के कुछ यादगार सीन आपको अपने आस-पास घटित होते दिखेंगे, ठीक उसी तरह जैसे 2014 के आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी एक साथ कई जगहों पर चुनावी सभा करते दिखते और ऐसा लगता जैसे वो सामने खड़े हों. यानी गब्बर सिंह के साथ-साथ बसंती अपने धन्नो के साथ आप के आस-पास दौड़ते नज़र आएंगे.
कर्नाटक में पर्यटन मंत्री प्रियांक खड़गे ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर लगभग 7 करोड़ 50 लाख के खर्च आने का अनुमान है. हालांकि सरकार की मंजूरी अभी मिलनी है लेकिन उन्हें पूरी उम्मीद है कि इसमें कोई अड़चन नहीं आएगी. क्योंकि इसका खास ख्याल रखा जाएगा कि वहां के इकोलॉजिकल सिस्टम पर इस प्रोजेक्ट की वजह से अव्यवस्थित न हो.
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