अनुपमा शेनॉय (फाइल फोटो)
बेंगलुरु:
इस्तीफा देने के बाद आखिर कर्नाटक पुलिस की डीएसपी अनुपमा शेनॉय आखिर कहा हैं और क्या कर रही हैं, ये पता लगाने की ज़िम्मेदारी बेल्लारी के पुलिस अधीक्षक को राज्य सरकार ने दी है।
ऊधर राज्य सरकार के प्रवक्ता और खाद्य आपूर्ति मंत्री दिनेश गुंडु राव ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि अनुपमा का व्यवहार एक अधिकारी वाला नहीं है। अगर उन्हें शिकायत थी तो गृह मंत्री से लेकर डीजीपी और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों से उन्हें बात करनी चाहिए थी जोकि उन्होंने नहीं किया, बल्कि इस्तीफा देने के बाद वो मोबाइल ऑफ कर इस तरह गायब हुई हैं कि उनके वरिष्ठ अधिकारी भी सम्पर्क नहीं कर पा रहे।
बुधवार को पहली बार कर्नाटक के श्रम मंत्री परमेश्वर नायक मीडिया के सामने आए और सफाई दी कि अनुपमा के इस्तीफे से उनका कोई लेना देना नहीं है और ना ही इसके लिए वो ज़िम्मेदार हैं।
ऐसा कहा जा रहा है कि बेल्लारी के ग्रामीण इलाके के एक बस स्टैंड पर बन रहे एक अवैध पब को रोकने का आदेश उन्होंने दिया लेकिन इसपर कार्रवाई श्रम मंत्री परमेश्वर के दबाव की वजह से नहीं हुई। और इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया।
दरअसल अनुपमा ने 4 जून को इस्तीफा दिया था और इसके बाद उनसे जुड़ी जानकारी सिर्फ फेसबुक के ज़रीये आ रही है। ताज़ा अपडेट में कहा गया है कि अगर श्रम मंत्री परमेश्वर नायक इस्तीफा दें तो अनुपमा अपना इस्तीफा वापस ले सकती हैं। फिर आगे ये भी पोस्ट आया कि एक सीडी जारी की जाएगी जो परमेश्वर नायक को बेनक़ाब करेगी।
अब इस फेसबुक पोस्ट को लेकर भी कहा जा रहा है कि किसी ने अनुपमा का अकाउंट हैक किया है और वही पोस्ट कर रहा है। सच क्या है कोई नहीं जानता क्योंकि जबतक अनुपमा अज्ञातवास से बाहर आकर अपनी बात नहीं रखती तबतक कुछ भी कहना मुश्किल है।
अनुपमा 2010 बैच की कर्नाटक प्रोविंसियल सिविल सर्विसेज की अधिकारी हैं और उनका चयन डीएसपी के पद पर हुआ था। तक़रीबन छह महीना पहले अनुमपा और श्रममंत्री का तक़रार तब सामने आया था जब श्रम मंत्री ने भाषण के दौरान कहा कि उन्होंने ही अनुपमा का ट्रान्सफर करवाया था क्योंकि अनुपमा ने उनका फ़ोन होल्ड पर रख दिया था।
सरकार अगर उनका इस्तीफा मंज़ूर करती है तो भी नोटिफिकेशन के बाद 60 दिनों के अंदर प्रावधानों के मुताबिक वो अपना इस्तीफा वापस ले सकती हैं।
ऊधर राज्य सरकार के प्रवक्ता और खाद्य आपूर्ति मंत्री दिनेश गुंडु राव ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि अनुपमा का व्यवहार एक अधिकारी वाला नहीं है। अगर उन्हें शिकायत थी तो गृह मंत्री से लेकर डीजीपी और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों से उन्हें बात करनी चाहिए थी जोकि उन्होंने नहीं किया, बल्कि इस्तीफा देने के बाद वो मोबाइल ऑफ कर इस तरह गायब हुई हैं कि उनके वरिष्ठ अधिकारी भी सम्पर्क नहीं कर पा रहे।
बुधवार को पहली बार कर्नाटक के श्रम मंत्री परमेश्वर नायक मीडिया के सामने आए और सफाई दी कि अनुपमा के इस्तीफे से उनका कोई लेना देना नहीं है और ना ही इसके लिए वो ज़िम्मेदार हैं।
ऐसा कहा जा रहा है कि बेल्लारी के ग्रामीण इलाके के एक बस स्टैंड पर बन रहे एक अवैध पब को रोकने का आदेश उन्होंने दिया लेकिन इसपर कार्रवाई श्रम मंत्री परमेश्वर के दबाव की वजह से नहीं हुई। और इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया।
दरअसल अनुपमा ने 4 जून को इस्तीफा दिया था और इसके बाद उनसे जुड़ी जानकारी सिर्फ फेसबुक के ज़रीये आ रही है। ताज़ा अपडेट में कहा गया है कि अगर श्रम मंत्री परमेश्वर नायक इस्तीफा दें तो अनुपमा अपना इस्तीफा वापस ले सकती हैं। फिर आगे ये भी पोस्ट आया कि एक सीडी जारी की जाएगी जो परमेश्वर नायक को बेनक़ाब करेगी।
अब इस फेसबुक पोस्ट को लेकर भी कहा जा रहा है कि किसी ने अनुपमा का अकाउंट हैक किया है और वही पोस्ट कर रहा है। सच क्या है कोई नहीं जानता क्योंकि जबतक अनुपमा अज्ञातवास से बाहर आकर अपनी बात नहीं रखती तबतक कुछ भी कहना मुश्किल है।
अनुपमा 2010 बैच की कर्नाटक प्रोविंसियल सिविल सर्विसेज की अधिकारी हैं और उनका चयन डीएसपी के पद पर हुआ था। तक़रीबन छह महीना पहले अनुमपा और श्रममंत्री का तक़रार तब सामने आया था जब श्रम मंत्री ने भाषण के दौरान कहा कि उन्होंने ही अनुपमा का ट्रान्सफर करवाया था क्योंकि अनुपमा ने उनका फ़ोन होल्ड पर रख दिया था।
सरकार अगर उनका इस्तीफा मंज़ूर करती है तो भी नोटिफिकेशन के बाद 60 दिनों के अंदर प्रावधानों के मुताबिक वो अपना इस्तीफा वापस ले सकती हैं।
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