कर्नाटक का विधानसभा भवन (फाइल फोटो)
बेंगलुरु:
कर्नाटक के कानून आयोग के मौजूद अध्यक्ष एसआर नायक को लोकायुक्त के तौर पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पसंद बताया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि जिन दो नामों को सरकार ने इस पद के लिए चुना है उनमें जस्टिस नायक ऊपर हैं। लेकिन जस्टिस नायक को लेकर एक विवाद उठ खड़ा हुआ है। हालांकि आधिकारिक तौर पर उनके नाम की घोषणा सरकार ने अब तक नहीं की है।
नियम विरुद्ध प्लॉट खरीदा
जनाधिकार संघर्ष परिषद की तरफ से लोकायुक्त पुलिस को एक शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसमें उन पर आरोप लगाया गया है कि जस्टिस नायक ने 2002 में बेंगलुरु के विवादास्पद ज्यूडीशियल ले आउट में तकरीबन 3 लाख 60 हजार रुपये में एक प्लाट अपने नाम खरीदा और इसकी रजिस्ट्री करवाते वक्त रजिस्ट्रार को बताया कि यह लेआउट बेंगलुरु विकास प्राधिकरण से स्वीकृत है। इस संगठन का कहना है कि बीडीए के नियमों के तहत अगर शहर में घर या प्लॉट हो तो बीडीए के प्लॉट दुबारा नहीं खरीदे जा सकते। संगठन के मुताबिक उसके पास ऐसे दस्तावेज़ हैं जो साबित करते हैं कि एसआर नायक के परिवार के पास तीन प्लॉट पहले से मौजूद थे।
विवादों में रहे लोकायुक्त
दूसरा ज्यूडीशियल लेआउट बीडीए से स्वीकृत नहीं है जैसा कि जस्टिस नायक ने दावा किया है। इस प्लाट को खरीदते वक्त जस्टिस नायक आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में जज के पद पर थे। इन्हीं आरोपों की वजह से पूर्व लोकायुक्त शिवराज पाटिल को 2011 में पद सम्हालने के महज तीन महीनों के अंदर इस्तीफा देना पड़ा था। उनके बाद जस्टिस भास्कर राव को लोकायुक्त बनाया गया। उनके बेटे अश्विन राव पर आरोप लगा कि लोकायुक्त दबिश की धमकी देकर उन्होंने 100 करोड़ रुपये की उगाही की। फिलहाल आश्विन राव लोकायुक्त के उप आयुक्त रियाज के साथ जेल में हैं।
यह मामला सामने आने के बाद भी जस्टिस भास्कर राव इस्तीफा न देने पर अड़े रहे। फिर विपक्ष के दबाव में सरकार ने उन्हें हटाने के लिए नए संशोधित कानून के तहत महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की तो मजबूरन उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
भ्रष्ट व्यक्ति न बैठे जिम्मेदार पद पर
जनाधिकार संघर्ष परिषद के संयोजक आदर्श अय्यर का कहना है कि उन्होंने शिकायत इसलिए दर्ज करवाई है ताकि इस संस्था का प्रमुख एक जिम्मेदार शख्स बने भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्ति नहीं। राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बताया कि नए लोकायुक्त के लिए सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द ही लिस्ट राज्यपाल वजु भाई वाला को सौंप दी जाएगी।
नियम विरुद्ध प्लॉट खरीदा
जनाधिकार संघर्ष परिषद की तरफ से लोकायुक्त पुलिस को एक शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसमें उन पर आरोप लगाया गया है कि जस्टिस नायक ने 2002 में बेंगलुरु के विवादास्पद ज्यूडीशियल ले आउट में तकरीबन 3 लाख 60 हजार रुपये में एक प्लाट अपने नाम खरीदा और इसकी रजिस्ट्री करवाते वक्त रजिस्ट्रार को बताया कि यह लेआउट बेंगलुरु विकास प्राधिकरण से स्वीकृत है। इस संगठन का कहना है कि बीडीए के नियमों के तहत अगर शहर में घर या प्लॉट हो तो बीडीए के प्लॉट दुबारा नहीं खरीदे जा सकते। संगठन के मुताबिक उसके पास ऐसे दस्तावेज़ हैं जो साबित करते हैं कि एसआर नायक के परिवार के पास तीन प्लॉट पहले से मौजूद थे।
विवादों में रहे लोकायुक्त
दूसरा ज्यूडीशियल लेआउट बीडीए से स्वीकृत नहीं है जैसा कि जस्टिस नायक ने दावा किया है। इस प्लाट को खरीदते वक्त जस्टिस नायक आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में जज के पद पर थे। इन्हीं आरोपों की वजह से पूर्व लोकायुक्त शिवराज पाटिल को 2011 में पद सम्हालने के महज तीन महीनों के अंदर इस्तीफा देना पड़ा था। उनके बाद जस्टिस भास्कर राव को लोकायुक्त बनाया गया। उनके बेटे अश्विन राव पर आरोप लगा कि लोकायुक्त दबिश की धमकी देकर उन्होंने 100 करोड़ रुपये की उगाही की। फिलहाल आश्विन राव लोकायुक्त के उप आयुक्त रियाज के साथ जेल में हैं।
यह मामला सामने आने के बाद भी जस्टिस भास्कर राव इस्तीफा न देने पर अड़े रहे। फिर विपक्ष के दबाव में सरकार ने उन्हें हटाने के लिए नए संशोधित कानून के तहत महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की तो मजबूरन उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
भ्रष्ट व्यक्ति न बैठे जिम्मेदार पद पर
जनाधिकार संघर्ष परिषद के संयोजक आदर्श अय्यर का कहना है कि उन्होंने शिकायत इसलिए दर्ज करवाई है ताकि इस संस्था का प्रमुख एक जिम्मेदार शख्स बने भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्ति नहीं। राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बताया कि नए लोकायुक्त के लिए सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द ही लिस्ट राज्यपाल वजु भाई वाला को सौंप दी जाएगी।
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