विज्ञापन
This Article is From Nov 18, 2018

मध्य प्रदेश में किसी भी पार्टी की हो सरकार, इन राज परिवारों का हमेशा रहता है दबदबा

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में भले ही बड़े पैमाने पर गरीबी और पलायन हो लेकिन यहां यह कोई सियासी मुद्दा नहीं है.

मध्य प्रदेश में किसी भी पार्टी की हो सरकार, इन राज परिवारों का हमेशा रहता है दबदबा
मानवेंद्र सिंह उर्फ भंवर राजा
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
मध्य प्रदेश में सियासी माहौल गर्म
चुनाव प्रचार में जोरशोर से जुटी हैं पार्टियां
राज खानदान के लोग भी आजमा रहे हैं किस्मत
बुंदेलखंड:

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में भले ही बड़े पैमाने पर गरीबी और पलायन हो लेकिन यहां यह कोई सियासी मुद्दा नहीं है. राजपरिवारों का सियासी दबदबा इतना है कि कांग्रेस हो या बीजेपी कोई इन राजखानदानों को नाराज कर हार का जोखिम मोल नहीं लेना चाहता है. पार्टी कोई भी हो छतरपुर के विजावर और महारजपुर विधानसभा की सियासत मानवेंद्र सिंह उर्फ भंवर राजा के हवेली की ड्योढ़ी ही तय करती रही है. मानवेंद्र सिंह पांचवी बार बीजेपी के टिकट पर महाराजपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं मानवेंद्र सिंह के बेटे कामाख्या सिंह निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत चुके हैं. मानवेंद्र सिंह उर्फ भंवर राजा कहते हैं कि मैंने खानदान में जन्म लिया इसमें मेरी क्या गलती है. मैं अपने लोगों से संपर्क बनाए रखता हूं. अब इसे इश्यू बनाया जा रहा है.

मध्य प्रदेश : घोषणापत्र में बीजेपी का वादा, गरीबों को पक्का मकान और हर साल 10 लाख लोगों को रोजगार

दूसरी तरफ, मानवेंद्र सिंह की हवेली से अस्सी किमी दूर खुजराहों में सन्नाटा है. खजुराहो के महल से निकलकर छतरपुर के रियासत के वारिस नाती राजा के  लिए कविता राजा गांव की खाक छान रही है. कविता राजा खुद खजुराहों नगर पंचायत की अध्यक्ष हैं और पति नाती राजा सपा से एक बार और कांग्रेस से दो बार के विधायक रह चुके हैं. नाती राजा की नाराजगी का जोखिम कोई भी पार्टी नहीं लेना चाहती है. यही वजह है सत्यव्रत चतुर्वेदी जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी को दरकिनार कांग्रेस ने नाती राजा को राजपुर से चौथी बार चुनाव लड़वाया है. नाती राजा की पत्नी कविता राजा कहती हैं कि कई गांव और सैकड़ों लोग हमारी जमीनों पर हैं. ये हमारे परिवार जैसे हैं. पार्टी कोई हो हम जहां रहते हैं वहां ये लोग हमारे साथ रहते हैं. ऐसा नहीं है कि पार्टी का जनाधार महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन हमारे लिए इन लोगें से लगातार संपर्क महत्वपूर्ण हैं.

f57b1aroजन संपर्क करतीं कविता राजा 

इतिहासकार रवींद्र व्यास बताते हैं कि बुंदेलखंड की राजनीति बिना राजाओं के अधूरी है. इन राजाओं के चलते बुंदेलखंड में लोगों को दोहरी गुलामी झेलनी पड़ी. लोग राजाओ के साथ अंग्रेजों के भी गुलाम रहे. बुंदेलखंड के दो राजघराने जैतपुर और बानपुर स्टेट ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी लेकिन उनके परिवार का आज कोई नामलेवा नहीं है. लेकिन यहां एक दो परिवार नहीं बल्कि सतना में नागौद राजपरिवार से नागेंद्र सिंह, टीकमगढ़ में यादवेंद्र सिंह बुंदेला, पृथ्वीपुर रियासत से बिजेंद्र सिंह राठौड़ जैसे कई प्रभावशाली राजपरिवार अपनी सियासी जंग लड़ रहे हैं. बुंदेलखंड में पलायन है, सूखा है, कुपोषण है और अपराध है लेकिन उसके बावजूद ये सारे मुद्दे यहां की सियासत से गायब हैं. 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी बोले, पार्टी ने मेरे साथ धोखा किया, वे भांग खाए लोग हैं   

VIDEO: 2019 का सेमीफ़ाइनल : मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सियासी जंग

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com