कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक फ्रेम में. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने राजस्थान का मुख्यमंत्री (CM of Rajasthan) के पद की शपथ ले ली है. वहीं सचिन पायलट ने भी शपथ ली है उनको उप मुख्यमंत्री बनाया गया है.इस मौक पर कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी मौजूद थीं. तीन मई 1951 को राजस्थान के जोधपुर में मशहूर जादूगर लक्ष्मण सिंह गहलोत के घर जन्मे अशोक सियासत में कई दफा सियासी जादू दिखाते रहे हैं. जादुई चालों की ही देन है कि आज वह तीसरी बार राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. पिछले चार दशक के लंबे राजनीतिक करियर में माली समाज से आने वाले अशोक गहलोत ने उतार-चढ़ाव दोनो देखे हैं. विज्ञान और कानून से ग्रेजुएशन के बाद अर्थशास्त्र से एमए की पढ़ाई करने वाले अशोक गहलोत की गिनती लो-प्रोफाइल नेताओं में होती है.
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तड़क-भड़क से दूर मगर राजनीतिक समर्थकों की फौज से घिरे रहने वाले अशोक गहलोत के बारे में कहा जाता है कि वह 24 घंटे अपने कार्यकर्ताओं के लिए उपलब्ध रहते हैं.सादगी पसंद भी हैं.करीबी बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान अपनी गाड़ी में पारले-जी बिस्कुट रखते हैं तो कहीं भी सड़क पर उतरकर चाय-पानी करने के बहाने जनता की नब्ज भांपने की कला का बखूबी इस्तेमाल करते हैं . 27 नवंबर 1977 को सुनीता से शादी रचाने के बाद गहलोत की दो संतान है. बेटे का नाम वैभव तो बेटी का नाम सोनिया है. अशोक गहलोत कांग्रेस के ऐसे नेता हैं, जिन्होंने तीन-तीन प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में काम किया. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में शामिल रहे. कांग्रेस ने काफी विचार-विमर्श के बाद अशोक गहलोत को ही क्यों मुख्यमंत्री बनाया, जानिए पांच कारण.
पढ़ें- अशोक गहलोत होंगे राजस्थान के मुख्यमंत्री, सचिन पायलट चुने गए डिप्टी सीएम
1-गांधी परिवार के पुराने वफादार, राहुल के भी भरोसेमंद
इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री रह चुके कमलनाथ नेहरू-गांधी परिवार ही नहीं बल्कि राहुल गांधी की गुडबुक में भी शामिल हैं. क्राइसिस मैनेजमेंट में माहिर माने जाते हैं. कई दफा संगठन की मजबूती के लिए राहुल गांधी को सलाह भी देते हैं. यही वजह है कि इसी साल अप्रैल में उन्हें कांग्रेस का महासचिव बनाकर राहुल गांधी ने अपनी टीम में शामिल किया. अशोक गहलोत की गंभीरता को राहुल गांधी काफी पसंद करते हैं. ऐसा उनके करीबी कहते हैं.
2-सोशल इंजीनियरिंग के माहिर
जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत को महासचिव बनाया था. तब उन्होंने सुपर 7 फार्मूला दिया था. जिसके मुताबिक पार्टी संगठन में पांच वर्गों को कम से कम 50 प्रतिशत स्थान रिजर्व रखने का फार्मूला दिया. इसमें पिछड़ा वर्ग, महिलाएं अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक वर्ग की बात की गई.
3-दो बार रह चुके सीएम
अशोक गहलोत दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. पहली बार एक दिसंबर 1998 से आठ दिसंबर 2003 तक सीएम रहे. इस दौरान सदी का भयंकर अकाल राजस्थान में पड़ा था. इस संकट से बहुत मुश्किल से गहलोत सरकार पार पा सकी थी. फिर 2008 से 2013 तक दूसरी बार मुख्यमंत्री रहे. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद पर दो बार के अनुभव के चलते कांग्रेस ने तीसरी बार फिर उन्हें कुर्सी पर बैठाने का फैसला किया.
4-राजस्थान के पुराने खिलाड़ी
अशोक गहलौत राजस्थान में कांग्रेस के संगठन पर मजबूत पकड़ रखते हैं. कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई से यूथ कांग्रेस और सेवा दल से होकर कांग्रेस की मुख्यधारा की राजनीति करेत हुए गहलौत राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. राजस्थान के पुराने खिलाड़ी माने जाते हैं.गहलौत ने पहली बार 1980 में जोधपुर से लोकसभा चुनाव जीता. फिर वह 1984, 1991, 1996 और 1998 में चुनाव जीतकर सांसद बने. 1999 में सरदारपुरा जोधपुर से विधानसभा चुनाव जीते. फिर वह 2003 से 2008 के बीच विधानसभा चुनाव जीते.
5- साफ-सुथरी छवि
अशोक गहलोत देश के उन नेताओं में शुमार हैं, जिन्होंने चार दशक की लंबी राजनीति में भी अपनी छवि को किसी गहरे दाग-धब्बे से बचाकर रखने में सफलता पाई है. किसी बड़े विवाद में गहलोत का नाम नहीं आया. नपे-तुले शब्दों में बात रखने के लिए जाने जाते हैं. एक यह भी वजह उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की है.
वीडियो- तीन राज्यों में क्यों हारी बीजेपी ?
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तड़क-भड़क से दूर मगर राजनीतिक समर्थकों की फौज से घिरे रहने वाले अशोक गहलोत के बारे में कहा जाता है कि वह 24 घंटे अपने कार्यकर्ताओं के लिए उपलब्ध रहते हैं.सादगी पसंद भी हैं.करीबी बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान अपनी गाड़ी में पारले-जी बिस्कुट रखते हैं तो कहीं भी सड़क पर उतरकर चाय-पानी करने के बहाने जनता की नब्ज भांपने की कला का बखूबी इस्तेमाल करते हैं . 27 नवंबर 1977 को सुनीता से शादी रचाने के बाद गहलोत की दो संतान है. बेटे का नाम वैभव तो बेटी का नाम सोनिया है. अशोक गहलोत कांग्रेस के ऐसे नेता हैं, जिन्होंने तीन-तीन प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में काम किया. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में शामिल रहे. कांग्रेस ने काफी विचार-विमर्श के बाद अशोक गहलोत को ही क्यों मुख्यमंत्री बनाया, जानिए पांच कारण.
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1-गांधी परिवार के पुराने वफादार, राहुल के भी भरोसेमंद
इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री रह चुके कमलनाथ नेहरू-गांधी परिवार ही नहीं बल्कि राहुल गांधी की गुडबुक में भी शामिल हैं. क्राइसिस मैनेजमेंट में माहिर माने जाते हैं. कई दफा संगठन की मजबूती के लिए राहुल गांधी को सलाह भी देते हैं. यही वजह है कि इसी साल अप्रैल में उन्हें कांग्रेस का महासचिव बनाकर राहुल गांधी ने अपनी टीम में शामिल किया. अशोक गहलोत की गंभीरता को राहुल गांधी काफी पसंद करते हैं. ऐसा उनके करीबी कहते हैं.
2-सोशल इंजीनियरिंग के माहिर
जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत को महासचिव बनाया था. तब उन्होंने सुपर 7 फार्मूला दिया था. जिसके मुताबिक पार्टी संगठन में पांच वर्गों को कम से कम 50 प्रतिशत स्थान रिजर्व रखने का फार्मूला दिया. इसमें पिछड़ा वर्ग, महिलाएं अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक वर्ग की बात की गई.
3-दो बार रह चुके सीएम
अशोक गहलोत दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. पहली बार एक दिसंबर 1998 से आठ दिसंबर 2003 तक सीएम रहे. इस दौरान सदी का भयंकर अकाल राजस्थान में पड़ा था. इस संकट से बहुत मुश्किल से गहलोत सरकार पार पा सकी थी. फिर 2008 से 2013 तक दूसरी बार मुख्यमंत्री रहे. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद पर दो बार के अनुभव के चलते कांग्रेस ने तीसरी बार फिर उन्हें कुर्सी पर बैठाने का फैसला किया.
4-राजस्थान के पुराने खिलाड़ी
अशोक गहलौत राजस्थान में कांग्रेस के संगठन पर मजबूत पकड़ रखते हैं. कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई से यूथ कांग्रेस और सेवा दल से होकर कांग्रेस की मुख्यधारा की राजनीति करेत हुए गहलौत राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. राजस्थान के पुराने खिलाड़ी माने जाते हैं.गहलौत ने पहली बार 1980 में जोधपुर से लोकसभा चुनाव जीता. फिर वह 1984, 1991, 1996 और 1998 में चुनाव जीतकर सांसद बने. 1999 में सरदारपुरा जोधपुर से विधानसभा चुनाव जीते. फिर वह 2003 से 2008 के बीच विधानसभा चुनाव जीते.
5- साफ-सुथरी छवि
अशोक गहलोत देश के उन नेताओं में शुमार हैं, जिन्होंने चार दशक की लंबी राजनीति में भी अपनी छवि को किसी गहरे दाग-धब्बे से बचाकर रखने में सफलता पाई है. किसी बड़े विवाद में गहलोत का नाम नहीं आया. नपे-तुले शब्दों में बात रखने के लिए जाने जाते हैं. एक यह भी वजह उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की है.
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