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This Article is From May 19, 2018

कर्नाटक का 'नाटक': अदालती लड़ाई में दो बार जीते येदियुरप्‍पा लेकिन विधायकों की 'अदालत' में हारे

कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री के रूप में गुरुवार को ही शपथ ग्रहण करने वाले बीएस येदियुरप्‍पा को आखिरकार विश्‍वास मत के पहले ही 'हार' स्‍वीकार करनी पड़ी.

कर्नाटक का 'नाटक': अदालती लड़ाई में दो बार जीते येदियुरप्‍पा लेकिन विधायकों की 'अदालत' में हारे
बीएस येदियुरप्‍पा को शपथ ग्रहण करने के दो दिन बाद ही सीएम पद से इस्‍तीफा देना पड़ा (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री के रूप में गुरुवार को ही शपथ ग्रहण करने वाले बीएस येदियुरप्‍पा को आखिरकार विश्‍वास मत के पहले ही 'हार' स्‍वीकार करनी पड़ी. सरकार बनाने के लिए बहुमत की पर्याप्‍त संख्‍या नहीं होने के कारण येदियुरप्‍पा ने शपथ लेने के दो दिन बाद ही इस्‍तीफा दे दिया. कर्नाटक में येदियुरप्‍पा की यह हार इस मायने में उल्‍लेखनीय रही कि कर्नाटक में सरकार गठन के मामले में कांग्रेस और अन्‍य विपक्षी दलों के साथ अदालती लड़ाई में उन्‍हें दो बार 'जीत' हासिल हुई थी लेकिन विधायकों की 'अदालत' यानी विधानसभा में उन्‍हें संख्‍या के अभाव में हार का सामना करना पड़ा.  

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 104 विधायकों ने जीत हासिल की थी और सदन में बहुमत साबित करने के लिए उसे 112 विधायकों के समर्थन की जरूरत थी. यह संख्‍या जुटाने में येदियुरप्‍पा और उनकी बीजेपी सरकार नाकाम रही और विश्‍वास मत हासिल करने के पहले ही उन्‍हें इस्‍तीफा देना पड़ा. उनके इस इस्‍तीफे के साथ ही राज्‍य में जेडी-एस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनने का रास्‍ता साफ हो गया है. यह तीसरी बार है जब कार्यकाल पूरा करने के पहले ही येदियुरप्‍पा को इस्‍तीफा देना पड़ा है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद राज्‍यपाल वजूभाई वाला ने उन्‍हें मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया था. राज्‍यपाल के इस फैसले का कांग्रेस और जेडी-एस से विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी. इन दोनों दलों का आरोप था कि राज्‍यपाल ने बीजेपी के कथित तौर पर एजेंट के रूप में काम करते हुए राज्‍यपाल ने येदियुरप्‍पा को शपथ लेने के लिए बुलाया है. यही नहीं, उन्‍होंने शीर्ष अदालत से येदियुरप्‍पा के शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने के आग्रह किया था.हालांकि इस अदालती जंग में इन दोनों दलों को मुंह की खानी पड़ी थी. सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्‍पा के शपथ ग्रहण समारोह में रोक लगाने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने यह व्‍यवस्‍था जरूर दी थी कि येदियुरप्‍पा को राज्‍यपाल द्वारा दिए गए 15 दिनों के बजाय दो दिन में ही विधानसभा में विश्‍वासमत हासिल करना होगा. कर्नाटक की यह लड़ाई दूसरी बार तब अदालत में पहुंची जब प्रोटेम स्‍पीकर के रूप में केजी बोपैया को शपथ दिलाई गई.

यह भी पढ़ें: कर्नाटक के हर टेस्ट में पास रहने वाली येदियुरप्पा सरकार 'फ्लोर टेस्ट' से पहले ही फेल

वीडियो: फ्लोर टेस्‍ट के पहले येदियुरप्‍पा का भावुक भाषण
इस फैसले के खिलाफ भी कांग्रेस और जेडी-एस सुप्रीम कोर्ट गई. इन दोनों दलों ने मांग की कि स्‍पीकर के रूप में बोपैया का रिकॉर्ड दागदार रहा है और वे विश्‍वास मत में सरकार का पक्ष ले सकते हैं. इसलिए बोपैया को प्रोटेम स्‍पीकर के पद से हटाया जाए.दोनों पार्टियों के इस आग्रह को भी सुप्रीम कोर्ट ने अस्‍वीकार कर दिया था. शीर्ष अदालत ने साफ करा था कि केजी बोपैया प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे और आज उन्हीं की निगरानी में बहुमत परीक्षण यानी फ्लोर टेस्ट होगा. हालांकि कोर्ट ने यह निर्देश जरूर दिया था कि विश्‍वास मत की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए विधानसभा की कार्यवाही का लाइव प्रसारण किया जाए. कुल मिलाकर अदालत में येदियुरप्‍पा के खिलाफ दोनों ही मामलों में कांग्रेस और जेडी-एस को हार का सामना करना पड़ा था. यह 'हार'उस समय जीत में बदल गई जब बहुमत के लिए पर्याप्‍त संख्‍या न जुटा पाने के कारण येदियुरप्‍पा में विश्‍वास मत के पहले ही इस्‍तीफा दे दिया और राज्‍य में बीजेपी की सरकार गिर गई.

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