कर्नाटक विधानसभा में बोलते बीएस येदियुरप्पा
नई दिल्ली:
भावुक भाषण देने के बाद कर्नाटक के नवनियुक्त मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. सदन में बीजेपी के पास बहुमत के लिए पर्याप्त संख्या नहीं थी. राज्यपाल वजूभाई वाला ने विधानसभा में बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के लिए बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा को आमंत्रित किया था. सरकार बनाने के बाद 15 दिनों के अंदर बहुमत साबित करने को कहा था लेकिन मामला कोर्ट में चला गया.
सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को अपने आदेश में कहा कि बीएस येदियुरप्पा 19 मई की शाम 4 बजे सदन में बहुमत साबित करें. तमाम घटनाक्रम के बीच बीएस येदियुरप्पा सदन में बहुमत साबित करने के लिए खड़े हुए. भावुक भाषण में राज्य की जनता को धन्यवाद दिया और अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी. इस प्रकार अपने तीसरे कार्यकाल में बीएस येदियुरप्पा मात्र ढाई दिन सरकार में रहे.
बात 1996 की है. अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 को देश के 11वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. यह वो मौका था जब पहली बार बीजेपी का कोई नेता प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुआ था. बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए जो समय दिया गया था उससे पहले ही सरकार चली गई. 13 दिन सरकार चली और अटल बिहारी वाजपेयी को इस्तीफा देना पड़ा था. इस्तीफे से पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में यादगार भाषण दिया था.
यह जानकारी इसलिए कि अभी कर्नाटक विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने अपना भावुक भाषण दिया. उन्हें भी बहुमत साबित करना था लेकिन संख्याबल पर्याप्त नहीं थे. बहुमत के लिए 111 विधायक चाहिए थे जबकि उनके पास 104 विधायक थे. येदियुरप्पा ने सदन में कहा कि बीजेपी ने मुझे सीएम उम्मीदवार बनाया, लोगों ने प्यार दिया जिसके कारण मैं यहां तक पहुंचा. जनता ने बड़ी पार्टी के रूप में बीजेपी को स्थापित किया. येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन मौकापरस्ती का गठबंधन है. जनता ने उसे भी बहुमत नहीं दिया है.
VIDEO: बहुमत नहीं साबित कर पाए येदियुरप्पा, किया इस्तीफे का ऐलान
भावुक भाषण देने के बाद येदियुरप्पा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट को लाइव टेलीकास्ट करने का आदेश दिया था. लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले ही बीएस येदियुरप्पा का इस्तीफा हो गया. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा पहले से ही थी कि आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी को अपनी छवि की चिंता हो रही है और इस कारण कर्नाटक में खुद को शहीद करने से भी नहीं चूकेगी.
कहा जा रहा था कि पार्टी अध्यक्ष की ओर से इस बात की सख्त हिदायत दी गई कि अगर बहुमत साबित करने की स्थिति न हो तो फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दें. और वही हुआ भी. बीएस येदियुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफे का ऐलान कर दिया. इस इस्तीफे के साथ ही राज्य में गंठबंधन सरकार बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले एक दो दिन में कर्नाटक में कांग्रेस के समर्थन से एसडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में नई सरकार बन जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को अपने आदेश में कहा कि बीएस येदियुरप्पा 19 मई की शाम 4 बजे सदन में बहुमत साबित करें. तमाम घटनाक्रम के बीच बीएस येदियुरप्पा सदन में बहुमत साबित करने के लिए खड़े हुए. भावुक भाषण में राज्य की जनता को धन्यवाद दिया और अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी. इस प्रकार अपने तीसरे कार्यकाल में बीएस येदियुरप्पा मात्र ढाई दिन सरकार में रहे.
बात 1996 की है. अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 को देश के 11वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. यह वो मौका था जब पहली बार बीजेपी का कोई नेता प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुआ था. बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए जो समय दिया गया था उससे पहले ही सरकार चली गई. 13 दिन सरकार चली और अटल बिहारी वाजपेयी को इस्तीफा देना पड़ा था. इस्तीफे से पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में यादगार भाषण दिया था.
यह जानकारी इसलिए कि अभी कर्नाटक विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने अपना भावुक भाषण दिया. उन्हें भी बहुमत साबित करना था लेकिन संख्याबल पर्याप्त नहीं थे. बहुमत के लिए 111 विधायक चाहिए थे जबकि उनके पास 104 विधायक थे. येदियुरप्पा ने सदन में कहा कि बीजेपी ने मुझे सीएम उम्मीदवार बनाया, लोगों ने प्यार दिया जिसके कारण मैं यहां तक पहुंचा. जनता ने बड़ी पार्टी के रूप में बीजेपी को स्थापित किया. येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन मौकापरस्ती का गठबंधन है. जनता ने उसे भी बहुमत नहीं दिया है.
VIDEO: बहुमत नहीं साबित कर पाए येदियुरप्पा, किया इस्तीफे का ऐलान
भावुक भाषण देने के बाद येदियुरप्पा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट को लाइव टेलीकास्ट करने का आदेश दिया था. लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले ही बीएस येदियुरप्पा का इस्तीफा हो गया. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा पहले से ही थी कि आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी को अपनी छवि की चिंता हो रही है और इस कारण कर्नाटक में खुद को शहीद करने से भी नहीं चूकेगी.
कहा जा रहा था कि पार्टी अध्यक्ष की ओर से इस बात की सख्त हिदायत दी गई कि अगर बहुमत साबित करने की स्थिति न हो तो फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दें. और वही हुआ भी. बीएस येदियुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफे का ऐलान कर दिया. इस इस्तीफे के साथ ही राज्य में गंठबंधन सरकार बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले एक दो दिन में कर्नाटक में कांग्रेस के समर्थन से एसडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में नई सरकार बन जाएगी.
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