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This Article is From Feb 12, 2017

UP polls 2017: पिछड़े इलाकों की राजनीति में छोटी पार्टियां की अहम भूमिका

UP polls 2017: पिछड़े इलाकों की राजनीति में छोटी पार्टियां की अहम भूमिका
उत्तर प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया जारी है
लखनऊ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले दो चरण के मतदान उन छोटी पार्टियों के चुनावी भविष्य का फैसला करेंगे जो किसी खास जाति अथवा उपजाति का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनका वोट पिछड़े इलाके की राजनीति के लिए काफी अहम है. ये छोटी पार्टियां देश की राजनीतिक परिदृश्य में कोई खास पहचान नहीं रखतीं लेकिन चुनावों में यह किसी उम्मीदवार के राजनीतिक भविष्य को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ऐसी पार्टियों के कुछ नेताओं ने वोट हासिल करने के लिए पार्टियों का नाम जातियों के नाम रखा है और बड़ी पार्टियों को ‘बाहरी’ करार दिया है.

ऐसी एक पार्टी ‘महिला सशक्तिकरण पार्टी’ के नेता महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठा रहे हैं तो वहीं ‘ब्रिज क्रांति दल’ के नेता ब्रिज भूमि के इतिहास से जुड़ी भवनाओं को भुनाने की जुगत में हैं. इस पार्टी की मथुरा और उसके आस पास के इलाकों में अच्छी पकड़ है.

‘भारतीय वंचित समाज पार्टी’, ‘भारतीय कार्यस्थ सेना’ ‘किसान मजदूर सुरक्षा पार्टी’ और ‘भारतीय भाईचारा पार्टी’ राज्य के चुनावी परिदृश्य में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहीं हैं. इनमें में अधिकतर पार्टियां समाज के वंचित तबके के मुद्दों को उठा रहीं है. कुछ पार्टियां मुजफ्फरनगर दंगों के बाद अस्तित्व में आईं हैं और सांप्रदायिक सौहार्द्र की बात कर रहीं हैं.

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