वाराणसी:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में सत्ता हासिल करने के लिए अंतिम जोर लगाने का केंद्र बन गया है, क्योंकि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और उनके प्रमुख सहयोगी राज्य के अंतिम तीन चरणों के लिए पार्टी का प्रचार अभियान संचालित करने के लिए वहां डेरा डाले हुए हैं. उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में से बाकी बची 141 सीटों के लिए मतदान क्रमश: 27 फरवरी, चार मार्च और आठ मार्च को होना है. बीजेपी के खेमे में समग्र भावना यह है कि उत्तर प्रदेश के जिन क्षेत्रों में मतदान हो चुका है उसके मुकाबले राज्य के पूर्वी क्षेत्र में जाति समीकरण उसके पक्ष में है.
बीजेपी के एक नेता ने कहा, 'हमें अनुकूल स्थिति का अधिकतम लाभ लेना है. त्रिकोणीय मुकाबले में वोटों का एक अंश भी कई सीटें पर नतीजों पर प्रभाव डाल सकता है.' उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले पार्टी के बड़े नेताओं के लिए वहां डेरा डालना स्वभाविक है.
शाह पिछले कई दिनों से शहर में डेरा डाले हुए हैं. उनके साथ केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और पार्टी के कई वरिष्ठ पदाधिकारी हैं, जिसमें महासचिव भूपेंद्र यादव शामिल हैं.
टिकट को लेकर बीजपी कार्यकर्ताओं में नाराजगी
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पिछले कुछ समय से टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी की खबरें आ रही हैं. शहर दक्षिणी से 2012 के चुनाव में लगभग 45000 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे दयाशंकर मिश्र दयालू को लोकसभा के चुनाव में बड़े आश्वासन के साथ पार्टी में शामिल कराया गया था. पिछले तीन साल से वह इस विधानसभा सीट पर मेहनत कर रहे हैं. लेकिन टिकट न मिलने से उनके समर्थक जहां बागी हो रहे हैं तो वहीं दयाशंकर मिश्र स्तब्ध और खामोश हो गए हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका करियर ही दांव पर है.
इसी तरह कांग्रेस से आए डॉ. अशोक सिंह हैं. हालांकि ये बनारस से नहीं बल्कि गाजीपुर सदर से टिकट मांग रहे थे. इन्हें भी बाहरी के तमगे ने टिकट से वंचित कर दिया.
अशोक सिंह ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा था, 'भाजपा के बड़े नेता ने विशवास दिलाया था कि इस बार टिकट मिलेगा. लेकिन ऐन वक़्त पर काट दिया.' आखिर किस मानक से काटा वो उनकी समझ से पर है. जबकि बनारस में कांग्रेस से मेयर का चुनाव अशोक सिंह लड़े थे और उन्हें 73 हजार वोट मिले थे.
स्वामी प्रसाद मौर्य समर्थक का भी टिकट कटा
कांग्रेस के अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ बीजेपी में शामिल दो बार से विधायक उदयलाल मौर्य भी अपना टिकट कटने से स्तब्ध हैं. उदयलाल मौर्य शिवपुर विधानसभा सीट से 2007 और 2012 के चुनाव में जीते थे. वो वर्तमान में सिटिंग विधायक हैं. लिहाजा वो समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर उनका टिकट किस आधार पर कटा. वो अपने आपको पूरी तरह ठगा महसूस कर रहे हैं. उनके समर्थक उन्हें निर्दलीय लड़ने की सलाह दे रहे हैं पर अभी वो खामोश हैं और वक्त का इंतजार कर रहे हैं.
दक्षिणी और कैंट विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा नाराजगी
टिकट बंटवारे का ये विरोध सिर्फ बहार से भाजपा में आए लोगों के टिकट न मिलने का ही नहीं है बल्कि भाजपा में अपने अंदर भी जिन लोगों को टिकट दिया गया उनका भी जमकर विरोध हो रहा है. इसमें खासतौर पर बीजेपी की परंपरागात सीट शहर दक्षिणी और कैंट विधानसभा की सीट पर ज्यादा असंतोष है. इस असंतोष का प्रदर्शन भी प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय से लेकर भाजपा के कार्यालय और संघ के दफ्तर में भी दिखाई पड़ा.
सात बार विधायक रहे नेता का भी टिकट कटा
शहर दक्षिणी में 7 बार से विधायक रहे श्यामदेव चौधरी भी अपना टिकट कटने और जिन लोगों को टिकट मिला उससे खुश नहीं हैं. सूत्र कहते हैं कि उन्होंने दबी जुबान में ये तक कह दिया कि जनता सब देख रही है, वो खुद हिसाब कर लेगी. दादा के उपनाम से मशहूर श्यामदेव राय चौधरी बनारस में बीजेपी के चेहरा हैं. उन्हें इस बात का गहरा आघात लगा है कि उनसे इस बाबत किसी ने राय जानने की भी जरूरत नहीं समझी.
कैंट विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने श्रीवास्तव परिवार पर ही भरोसा जताया. यहां विधायक रहे हरीश चन्द्र श्रीवास्तव, उसके बाद उनकी पत्नी ज्योत्सना श्रीवास्तव और अब उनके बेटे सौरभ श्रीवास्तव को टिकट मिल गया, जिससे कार्यकर्ता बहुत निराश हैं. जो लोग टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे वो तो निराश हैं ही, लेकिन भाजपा का कार्यकर्ता भी शायद पहली बार बनारस में इस टिकट बंटवारे से इतना नाउम्मीद हुआ है. यही वजह है कि पहली बार बनारस में विरोध का स्वर इतना मुखर हुआ.
इन्हीं विरोध के स्वर को शांत कर बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपनी कोर टीम के साथ वाराणसी में डेरा जमाए हुए हैं.
इनपुट: भाषा
बीजेपी के एक नेता ने कहा, 'हमें अनुकूल स्थिति का अधिकतम लाभ लेना है. त्रिकोणीय मुकाबले में वोटों का एक अंश भी कई सीटें पर नतीजों पर प्रभाव डाल सकता है.' उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले पार्टी के बड़े नेताओं के लिए वहां डेरा डालना स्वभाविक है.
शाह पिछले कई दिनों से शहर में डेरा डाले हुए हैं. उनके साथ केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और पार्टी के कई वरिष्ठ पदाधिकारी हैं, जिसमें महासचिव भूपेंद्र यादव शामिल हैं.
टिकट को लेकर बीजपी कार्यकर्ताओं में नाराजगी
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पिछले कुछ समय से टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी की खबरें आ रही हैं. शहर दक्षिणी से 2012 के चुनाव में लगभग 45000 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे दयाशंकर मिश्र दयालू को लोकसभा के चुनाव में बड़े आश्वासन के साथ पार्टी में शामिल कराया गया था. पिछले तीन साल से वह इस विधानसभा सीट पर मेहनत कर रहे हैं. लेकिन टिकट न मिलने से उनके समर्थक जहां बागी हो रहे हैं तो वहीं दयाशंकर मिश्र स्तब्ध और खामोश हो गए हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका करियर ही दांव पर है.
इसी तरह कांग्रेस से आए डॉ. अशोक सिंह हैं. हालांकि ये बनारस से नहीं बल्कि गाजीपुर सदर से टिकट मांग रहे थे. इन्हें भी बाहरी के तमगे ने टिकट से वंचित कर दिया.
अशोक सिंह ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा था, 'भाजपा के बड़े नेता ने विशवास दिलाया था कि इस बार टिकट मिलेगा. लेकिन ऐन वक़्त पर काट दिया.' आखिर किस मानक से काटा वो उनकी समझ से पर है. जबकि बनारस में कांग्रेस से मेयर का चुनाव अशोक सिंह लड़े थे और उन्हें 73 हजार वोट मिले थे.
स्वामी प्रसाद मौर्य समर्थक का भी टिकट कटा
कांग्रेस के अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ बीजेपी में शामिल दो बार से विधायक उदयलाल मौर्य भी अपना टिकट कटने से स्तब्ध हैं. उदयलाल मौर्य शिवपुर विधानसभा सीट से 2007 और 2012 के चुनाव में जीते थे. वो वर्तमान में सिटिंग विधायक हैं. लिहाजा वो समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर उनका टिकट किस आधार पर कटा. वो अपने आपको पूरी तरह ठगा महसूस कर रहे हैं. उनके समर्थक उन्हें निर्दलीय लड़ने की सलाह दे रहे हैं पर अभी वो खामोश हैं और वक्त का इंतजार कर रहे हैं.
दक्षिणी और कैंट विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा नाराजगी
टिकट बंटवारे का ये विरोध सिर्फ बहार से भाजपा में आए लोगों के टिकट न मिलने का ही नहीं है बल्कि भाजपा में अपने अंदर भी जिन लोगों को टिकट दिया गया उनका भी जमकर विरोध हो रहा है. इसमें खासतौर पर बीजेपी की परंपरागात सीट शहर दक्षिणी और कैंट विधानसभा की सीट पर ज्यादा असंतोष है. इस असंतोष का प्रदर्शन भी प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय से लेकर भाजपा के कार्यालय और संघ के दफ्तर में भी दिखाई पड़ा.
सात बार विधायक रहे नेता का भी टिकट कटा
शहर दक्षिणी में 7 बार से विधायक रहे श्यामदेव चौधरी भी अपना टिकट कटने और जिन लोगों को टिकट मिला उससे खुश नहीं हैं. सूत्र कहते हैं कि उन्होंने दबी जुबान में ये तक कह दिया कि जनता सब देख रही है, वो खुद हिसाब कर लेगी. दादा के उपनाम से मशहूर श्यामदेव राय चौधरी बनारस में बीजेपी के चेहरा हैं. उन्हें इस बात का गहरा आघात लगा है कि उनसे इस बाबत किसी ने राय जानने की भी जरूरत नहीं समझी.
कैंट विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने श्रीवास्तव परिवार पर ही भरोसा जताया. यहां विधायक रहे हरीश चन्द्र श्रीवास्तव, उसके बाद उनकी पत्नी ज्योत्सना श्रीवास्तव और अब उनके बेटे सौरभ श्रीवास्तव को टिकट मिल गया, जिससे कार्यकर्ता बहुत निराश हैं. जो लोग टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे वो तो निराश हैं ही, लेकिन भाजपा का कार्यकर्ता भी शायद पहली बार बनारस में इस टिकट बंटवारे से इतना नाउम्मीद हुआ है. यही वजह है कि पहली बार बनारस में विरोध का स्वर इतना मुखर हुआ.
इन्हीं विरोध के स्वर को शांत कर बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपनी कोर टीम के साथ वाराणसी में डेरा जमाए हुए हैं.
इनपुट: भाषा
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