उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए सोमवार शाम प्रचार थम जाएगा. इस चरण में 15 फरवरी को 11 जिलों की 67 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा, पीलीभीत, खीरी, शाहजहांपुर और बदायूं के लोग वोट डालेंगे. 14 साल बाद यूपी में सत्ता हासिल करने की कोशिश में जुटी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि इस चरण में उनका मुकाबला सीधे तौर से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से है. 2012 के परिणामों पर नजर डालें तो तीन सीटों संभल, बदायूं और रामपुर ऐसे जिले हैं जहां के लोग समाजवादी पार्टी (सपा) पर भी खासा भरोसा जताते आए हैं. कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी जीत पक्की मान रहे हैं. आइए एक नजर में इन तीन जिले की 15 सीटों के पिछले चुनाव परिणामों के बारे में जानें-:
सपा के संभल किले में कैसे सेंध लगाएगी बीजेपी
संभल जिले की चारों सीट वर्तमान में सपा के पास हैं. संभल विधानसभा में करीब 1,20,000 मुस्लिम वोटर हैं और करीब 55 हजार दलित वोटर हैं. मुस्लिम वोटरों पर सपा के इकबाल महमूद व तुर्क नेता डॉ. शफीकुर्रहमान वर्क की खासी मजबूत पकड़ बतायी जा रही है. इस जिले से एशिया की सबसे बड़ी मैंथा मंडी संचालित होती है तो वहीं अनेकों देशों में सम्भल की पहचान यहां बने हड्डी-सींग के कलात्मक आईटमों से भी है। इन सबके बावजूद यहां न तो कोई बड़ी फैक्ट्री है और न ही कोई उद्योग-धन्धा, जिसके चलते युवक दिल्ली व अन्य राज्यों में पलायन को मजबूर हैं. संभल रेलवे स्टेशन पर दिन में मात्र एक बार ही मुरादाबाद से पैसेंजर ट्रेन आती है और वहीं लौट कर मुरादाबाद जाती है. बीजेपी इस बार के चुनाव में यहां विकास के मुद्दे को जोर शोर से उठा रही है.
बदायूं पर कायम रहेगा यादव कुनबे का जलवा?
लंबे समय से मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार पर भरोसा करने वाला जिला बदायूं में भी बीजेपी को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ सकता है. इस जिले में विधानसभा की छह सीटें हैं. इसमें सहसवान, शेखूपुर, बिसौली और बदायूं सदर सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। जबकि बिल्सी और दातागंज सीट पर बसपा का कब्जा है। लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बाद भी बीजेपी इस सीट पर सपा के धर्मेंद्र यादव को नहीं हरा पाए थे. कुछ दिन पहले स्थानीय विधायक आबिद रजा खां और धर्मेंद्र यादव के बीच हुआ झगड़ा भी सुलझ गया है. ऐसे में इस जिले में बीजेपी के लिए राह मुश्किल दिख रही है. इलाके के लोगों का कहना है कि बदायूं जिले में सड़कों और बिजली की स्थिति तो सुधरी है, लेकिन बेरोजगारी चरम पर है. बीजेपी अपनी रैलियों में इसी मद्दे को हवा देने में जुटी है. इस जिले में यादव वोटर निर्णायक रोल निभाते हैं.
रामपुर में दांव पर लगी है आजम की प्रतिष्ठा
दूसरे चरण में जिन जिलों में वोट डाले जाएंगे उसमें से सबसे चर्चित रामपुर है. इसकी मुख्य वजह सपा के कद्दावर नेता आजम खान हैं. रामपुर में विधानसभा की पांच सीटें हैं, जिसमें से सिर्फ दो सपा के पास है, बाकी दो सीटों पर कांग्रेस और एक सीट पर बीएसपी का कब्जा है. रामपुर लोकसभा सीट बीजेपी के पास है. 1985 से आजम खान चाके के लिए प्रसिद्ध रामपुर से विधायक बनते आ रहे हैं. ऐस में उनपर सभी लोगों की नजर रहेगी की क्या वे इस बार रामपुर जिले में सपा की सीटें बढ़ा पाएंगे.
सपा के संभल किले में कैसे सेंध लगाएगी बीजेपी
संभल जिले की चारों सीट वर्तमान में सपा के पास हैं. संभल विधानसभा में करीब 1,20,000 मुस्लिम वोटर हैं और करीब 55 हजार दलित वोटर हैं. मुस्लिम वोटरों पर सपा के इकबाल महमूद व तुर्क नेता डॉ. शफीकुर्रहमान वर्क की खासी मजबूत पकड़ बतायी जा रही है. इस जिले से एशिया की सबसे बड़ी मैंथा मंडी संचालित होती है तो वहीं अनेकों देशों में सम्भल की पहचान यहां बने हड्डी-सींग के कलात्मक आईटमों से भी है। इन सबके बावजूद यहां न तो कोई बड़ी फैक्ट्री है और न ही कोई उद्योग-धन्धा, जिसके चलते युवक दिल्ली व अन्य राज्यों में पलायन को मजबूर हैं. संभल रेलवे स्टेशन पर दिन में मात्र एक बार ही मुरादाबाद से पैसेंजर ट्रेन आती है और वहीं लौट कर मुरादाबाद जाती है. बीजेपी इस बार के चुनाव में यहां विकास के मुद्दे को जोर शोर से उठा रही है.
बदायूं पर कायम रहेगा यादव कुनबे का जलवा?
लंबे समय से मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार पर भरोसा करने वाला जिला बदायूं में भी बीजेपी को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ सकता है. इस जिले में विधानसभा की छह सीटें हैं. इसमें सहसवान, शेखूपुर, बिसौली और बदायूं सदर सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। जबकि बिल्सी और दातागंज सीट पर बसपा का कब्जा है। लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बाद भी बीजेपी इस सीट पर सपा के धर्मेंद्र यादव को नहीं हरा पाए थे. कुछ दिन पहले स्थानीय विधायक आबिद रजा खां और धर्मेंद्र यादव के बीच हुआ झगड़ा भी सुलझ गया है. ऐसे में इस जिले में बीजेपी के लिए राह मुश्किल दिख रही है. इलाके के लोगों का कहना है कि बदायूं जिले में सड़कों और बिजली की स्थिति तो सुधरी है, लेकिन बेरोजगारी चरम पर है. बीजेपी अपनी रैलियों में इसी मद्दे को हवा देने में जुटी है. इस जिले में यादव वोटर निर्णायक रोल निभाते हैं.
रामपुर में दांव पर लगी है आजम की प्रतिष्ठा
दूसरे चरण में जिन जिलों में वोट डाले जाएंगे उसमें से सबसे चर्चित रामपुर है. इसकी मुख्य वजह सपा के कद्दावर नेता आजम खान हैं. रामपुर में विधानसभा की पांच सीटें हैं, जिसमें से सिर्फ दो सपा के पास है, बाकी दो सीटों पर कांग्रेस और एक सीट पर बीएसपी का कब्जा है. रामपुर लोकसभा सीट बीजेपी के पास है. 1985 से आजम खान चाके के लिए प्रसिद्ध रामपुर से विधायक बनते आ रहे हैं. ऐस में उनपर सभी लोगों की नजर रहेगी की क्या वे इस बार रामपुर जिले में सपा की सीटें बढ़ा पाएंगे.
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