अमरिंदर सिंह, पटियाला के पोलिंग बूथ अपने परिवार के साथ पहुंचे
पटियाला:
पटियाला के एक पोलिंग बूथ में लाल कालीन बिछाई गई थी - यह वह बूथ था जहां कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनका परिवार वोट डालने के लिए पहुंचने वाला था. विरोधी पार्टियों ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि कालीन वाले तामझाम करके कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार को खास तवज्जो दी जा रही है. बता दें कि पटियाला उन दो विधानसभा सीटों में से एक है जहां से अमरिंदर सिंह चुनाव लड़ रहे हैं.
दूसरी सीट है लांबी - पटियाला से चार घंटे की दूरी पर है. यहां से अमरिंदर सिंह ने पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल को चुनौती दी है. अकाली दल के प्रकाश बादल, 1997 से एक बार भी इस सीट से चुनाव नहीं हारे हैं.
वहीं पटियाला में अमरिंदर सिंह के सामने अकाली दल के उम्मीदवार और भारत के पहले सिख सेना प्रमुख रह चुके जे जे सिंह खड़े हैं. हालांकि पटियाला कैप्टन अमरिंदर का घर ही है क्योंकि उनके पूर्वज पटियाला के महाराज हुआ करते थे.
तो हुआ यूं कि सुबह सुबह पोलिंग शुरू होने के बाद पोलिंग एजेंटों पर आरोप लगने लगे कि उन्होंने अमरिंदर सिंह और उनके परिवार के लिए वीआईपी पोलिंग बूथ तैयार किए हैं. इन आरोपों से व्यथित होकर चुनाव अधिकारियों ने पहले तो लाल कालीन को वापस समेट लिया. लेकिन थोड़ी देर बाद उन्होंने उसे फिर से बिछा दिया. आयोग ने खास तवज्जो के इस आरोप को दरकिनार करते हुए कहा कि यह तो पोलिगं बूथ मॉडल का एक विशेष कॉन्सेप्ट है जिसे 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आज़माया गया था. वोटरों का लाल कालीन और फूलों से स्वागत करना इसी विचार का एक हिस्सा है.
चुनाव आयोग ने अपने मैनुअल में इस बात पर जोर दिया है कि इस तरह की अतिरिक्त व्यवस्था का वोटिंग के दिन पोलिंग स्टेशन पर वोटर के असल अनुभव पर भी प्रभाव पड़ना चाहिए. इसके अलावा मॉडल बूथ की परिभाषा में यह भी लिखा गया है कि बिजली जाने के केस में उसकी भरपाई के लिए कुछ और व्यवस्था भी बूथ पर होनी चाहिए. अब इन वीआईपी ट्रीटमेंट का वोटरों पर क्या असर पड़ा है, वो तो 11 मार्च को पता चलेगा. फिलहाल पंजाब में 66 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग शाम चार बजे तक दर्ज की गई है.
दूसरी सीट है लांबी - पटियाला से चार घंटे की दूरी पर है. यहां से अमरिंदर सिंह ने पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल को चुनौती दी है. अकाली दल के प्रकाश बादल, 1997 से एक बार भी इस सीट से चुनाव नहीं हारे हैं.
वहीं पटियाला में अमरिंदर सिंह के सामने अकाली दल के उम्मीदवार और भारत के पहले सिख सेना प्रमुख रह चुके जे जे सिंह खड़े हैं. हालांकि पटियाला कैप्टन अमरिंदर का घर ही है क्योंकि उनके पूर्वज पटियाला के महाराज हुआ करते थे.
तो हुआ यूं कि सुबह सुबह पोलिंग शुरू होने के बाद पोलिंग एजेंटों पर आरोप लगने लगे कि उन्होंने अमरिंदर सिंह और उनके परिवार के लिए वीआईपी पोलिंग बूथ तैयार किए हैं. इन आरोपों से व्यथित होकर चुनाव अधिकारियों ने पहले तो लाल कालीन को वापस समेट लिया. लेकिन थोड़ी देर बाद उन्होंने उसे फिर से बिछा दिया. आयोग ने खास तवज्जो के इस आरोप को दरकिनार करते हुए कहा कि यह तो पोलिगं बूथ मॉडल का एक विशेष कॉन्सेप्ट है जिसे 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आज़माया गया था. वोटरों का लाल कालीन और फूलों से स्वागत करना इसी विचार का एक हिस्सा है.
चुनाव आयोग ने अपने मैनुअल में इस बात पर जोर दिया है कि इस तरह की अतिरिक्त व्यवस्था का वोटिंग के दिन पोलिंग स्टेशन पर वोटर के असल अनुभव पर भी प्रभाव पड़ना चाहिए. इसके अलावा मॉडल बूथ की परिभाषा में यह भी लिखा गया है कि बिजली जाने के केस में उसकी भरपाई के लिए कुछ और व्यवस्था भी बूथ पर होनी चाहिए. अब इन वीआईपी ट्रीटमेंट का वोटरों पर क्या असर पड़ा है, वो तो 11 मार्च को पता चलेगा. फिलहाल पंजाब में 66 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग शाम चार बजे तक दर्ज की गई है.
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