अमर सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
यूपी चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने अपना घोषणपत्र जारी कर दिया. लेकिन मुलायम सिंह यादव आज भी थोड़े नाराज दिखे और मंच पर नजर नहीं आए. इन सब के बीच अमर सिंह जो पिछले कुछ दिनों से गायब थे, वो एक बार फिर लौटे हैं और उन्होंने साफ कह दिया कि मुलायम सिंह ने बेटे के सामने समर्पण कर दिया है. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह ने ही मुझे लंदन जाने को कहा था और कहा था कि इन सब से दूर रहो. लेकिन अब मैं लौट आया हूं.
उन्होंने कहा, 'मुलायम सिंह यादव ने मुझे 24 साल तक संसदीय जीवन दिया है. मुलायम के साथ मैं व्यक्तिगत रूप से रहूंगा. मैं अपने आपको मुलायमवादी कहता था. अब मुलायम सिंह जी अपने वाद को समाप्त करके अपने पुत्र के आगे समर्पण कर के अखिलेशवादी हो गए. उन्होंने मुझे अकेला छोड़ दिया है. अब मुलायम जी ने मुझे मुक्त कर दिया है.'
अमर सिंह ने कहा, 'जब तक मुलायम सिंह थे, मैं उनके साथ खड़ा था. लेकिन अब जब मुलायम खुद ही नहीं हैं तो मैं पूरी तरह से स्वतंत्र हूं और इस स्वतंत्रता का मैं पूरा सदुपयोग करूंगा. उन्होंने परोक्ष रूप से समाजवादी पार्टी में हुए विवाद के लिए खुद को जिम्मेदार बताए जाने को लेकर कहा, 'ये जो खलनायक बनाने का ठीकरा मेरे सिर पर फोड़ा जा रहा है, मैं यूपी की जनता से पूछना चाहता हूं कि हटाया किसको गया है, पिता मुलायम सिंह को, हटाया किसने है, बेटे अखिलेश यादव ने. इसमें अमर सिंह कहां से आया.'
उन्होंने कहा कि अगर मुलायम सिंह कह दें कि मैं खलनायक हूं तो मैं मान लूंगा. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं अखिलेश से उम्मीद कर रहा हूं कि वो मेरा निष्कासन वापस कर दे. उन्होंने बड़ी कृपा की है मुझे खुला सांड बना कर. निष्कासन के बाद मैं खुला सांड हूं, जहां हरा देखूंगा वहीं मुंह मारूंगा. ना मैं अध्यक्ष पद का उम्मीदवार हूं, ना मैं सीएम पद का उम्मीदवार हूं. अध्यक्ष पद पिता से छना गया, बेटे ने पकड़ लिया, लेकिन नायक नहीं खलनायक है अमर सिंह, जुल्मी बड़ा दुखदायक है. अभी मैं सीमित होकर बोल रहा हूं और जब बोलूंगा तो लोग बोलेंगे कि देखो ये बोलता है. लेकिन कुछ लोग तो करते हैं. मेरे बोलने का और करने का इंतजार कीजिए.' अमर सिंह ने कहा कि 'कुछ लड़ाईयां हारने के लिए लड़ी जाती हैं.' अखिलेश यादव के बारे में कुछ भी बोलने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि वह रामगोपाल यादव के निशाने पर हैं.
उन्होंने कहा, 'मुलायम सिंह यादव ने मुझे 24 साल तक संसदीय जीवन दिया है. मुलायम के साथ मैं व्यक्तिगत रूप से रहूंगा. मैं अपने आपको मुलायमवादी कहता था. अब मुलायम सिंह जी अपने वाद को समाप्त करके अपने पुत्र के आगे समर्पण कर के अखिलेशवादी हो गए. उन्होंने मुझे अकेला छोड़ दिया है. अब मुलायम जी ने मुझे मुक्त कर दिया है.'
अमर सिंह ने कहा, 'जब तक मुलायम सिंह थे, मैं उनके साथ खड़ा था. लेकिन अब जब मुलायम खुद ही नहीं हैं तो मैं पूरी तरह से स्वतंत्र हूं और इस स्वतंत्रता का मैं पूरा सदुपयोग करूंगा. उन्होंने परोक्ष रूप से समाजवादी पार्टी में हुए विवाद के लिए खुद को जिम्मेदार बताए जाने को लेकर कहा, 'ये जो खलनायक बनाने का ठीकरा मेरे सिर पर फोड़ा जा रहा है, मैं यूपी की जनता से पूछना चाहता हूं कि हटाया किसको गया है, पिता मुलायम सिंह को, हटाया किसने है, बेटे अखिलेश यादव ने. इसमें अमर सिंह कहां से आया.'
उन्होंने कहा कि अगर मुलायम सिंह कह दें कि मैं खलनायक हूं तो मैं मान लूंगा. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं अखिलेश से उम्मीद कर रहा हूं कि वो मेरा निष्कासन वापस कर दे. उन्होंने बड़ी कृपा की है मुझे खुला सांड बना कर. निष्कासन के बाद मैं खुला सांड हूं, जहां हरा देखूंगा वहीं मुंह मारूंगा. ना मैं अध्यक्ष पद का उम्मीदवार हूं, ना मैं सीएम पद का उम्मीदवार हूं. अध्यक्ष पद पिता से छना गया, बेटे ने पकड़ लिया, लेकिन नायक नहीं खलनायक है अमर सिंह, जुल्मी बड़ा दुखदायक है. अभी मैं सीमित होकर बोल रहा हूं और जब बोलूंगा तो लोग बोलेंगे कि देखो ये बोलता है. लेकिन कुछ लोग तो करते हैं. मेरे बोलने का और करने का इंतजार कीजिए.' अमर सिंह ने कहा कि 'कुछ लड़ाईयां हारने के लिए लड़ी जाती हैं.' अखिलेश यादव के बारे में कुछ भी बोलने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि वह रामगोपाल यादव के निशाने पर हैं.
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