उत्तराखंड में बीजेपी और कांग्रेस के बागियों के मैदान में आने से चुनावी मुकाबले रोचक हो गए हैं (पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह - फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
उत्तराखंड में बुधवार को होने वाली चुनावी लड़ाई कई मायनों में अहम है. बीजेपी के लिए ये एक अहम पहाड़ी राज्य में सरकार बनाने की चुनौती है जिसके लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे पर आस लगाए है.. दूसरी ओर अगर हिमाचल प्रदेश को छोड़ दें तो कांग्रेस के लिए ये उत्तर भारत में अपना आखिरी किला बचाने की चुनौती है.
प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड में चार रैलियां कर माहौल अपने पक्ष में करने की कोशिश की तो दूसरी ओर चुनाव प्रचार के आखिरी दिन राहुल गांधी और हरीश रावत ने भी मैदानी इलाकों में रोड शो कर पार्टी के पक्ष में हवा बनाने की कोशिश की. मैदानी इलाकों में 31 सीटें हैं जिनमें करीब दो तिहाई सीटें बीजेपी ने जीतीं. मुख्यमंत्री हरीश रावत की सारी रणनीति का केंद्र बिंदु मैदानी इलाकों में बीजेपी से बढ़त लेना है इसी बात को ध्यान में रखकर रावत खुद किच्छा और हरिद्वार (ग्रामीण) विधानसभा सीट से लड़ रहे हैं.
कांग्रेस में पिछले साल मार्च में हुई टूट के बाद पार्टी के 10 नेता बीजेपी में शामिल हो गए. मौजूदा विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने पार्टी में शामिल हुए 13 कांग्रेसी नेताओं को इन चुनावों में टिकट दिया है और इसके लिए बीजेपी ने अपने ही नेताओं के टिकट इस उम्मीद में काटे कि ये बड़े नेता पार्टी के लिए चुनाव जीतेंगे लेकिन ढेर सारे बागियों के खड़े होने से बीजेपी के लिए सिरदर्द बढ़ा है.
उधर कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती स्टार कैंपेनरों की कमी है. खासतौर से केंद्रीय नेताओं की ओर से प्रचार में सहयोग बहुत कम दिखा और हरीश रावत के ऊपर ही प्रचार की सारी जिम्मेदारी रही. बागियों की समस्या कांग्रेस को भी परेशान कर रही है. हालांकि मुख्यमंत्री का दावा है कि उनके बागी बीजेपी ने खड़े किए हैं. बागियों की वजह से कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला है.
1. चौबटाखाल - यहां बीजेपी के तीरथ सिंह रावत को कांग्रेस से आए सतपाल महाराज के लिए सीट छोड़नी पड़ी. तीरथ को तो बीजेपी ने किसी तरह मना लिया लेकिन उनके करीबी कवीन्द्र इस्टवाल मैदान में हैं जिससे महाराज के लिए दिक्कत पैदा हुई है.
2. सहसपुर - देहरादून से लगी इस सीट से कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को टिकट मिला है जो वर्तमान विधायक सहदेव पुंडीर के खिलाफ मैदान में हैं लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के करीबी आर्येन्द्र शर्मा के खड़े होने से कांग्रेस परेशान है. उधर इसी सीट पर बीजेपी की बागी लक्ष्मी अग्रवाल भी मैदान में हैं.
3. केदारनाथ - यहां बीजेपी ने कांग्रेस से आई शैला रानी रावत को टिकट दिया तो विरोध में बीजेपी की आशा नौटियाल खड़ी हो गई हैं.. कांग्रेस के मनोज रावत के अलावा एक निर्दलीय कुलदीप रावत के खड़े होने से यहां मुकाबला जटिल हो गया है.
4. नरेंद्र नगर - यहां भी बीजेपी ने कांग्रेस से आए सुबोध उनियाल को टिकट दिया है जिसकी वजह से बीजेपी के बागी ओम गोपाल रावत खड़े हैं.
5. भीमताल - इस सीट पर कांग्रेस के दान सिंह के सामने बीजेपी के गोविंद सिंह बिष्ट हैं. लेकिन यहां पर कांग्रेस के बागी रामसिंह कैड़ा खड़े हैं.
6. रानीखेत - पिछली बार 76 वोट से चुनाव जीतने वाले बीजेपी अध्यक्ष अजय भट्ट के सामने फिर पुराने प्रतिद्वंद्वी करन मेहरा हैं लेकिन बीजेपी के बागी प्रमोद नैनवाल के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
यही सीटें नहीं कई सीटों पर ऐसे बागी खड़े हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वो राजनीतिक विरोधियों ने एक -दूसरे को हराने के लिए खड़े करवाए हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड में चार रैलियां कर माहौल अपने पक्ष में करने की कोशिश की तो दूसरी ओर चुनाव प्रचार के आखिरी दिन राहुल गांधी और हरीश रावत ने भी मैदानी इलाकों में रोड शो कर पार्टी के पक्ष में हवा बनाने की कोशिश की. मैदानी इलाकों में 31 सीटें हैं जिनमें करीब दो तिहाई सीटें बीजेपी ने जीतीं. मुख्यमंत्री हरीश रावत की सारी रणनीति का केंद्र बिंदु मैदानी इलाकों में बीजेपी से बढ़त लेना है इसी बात को ध्यान में रखकर रावत खुद किच्छा और हरिद्वार (ग्रामीण) विधानसभा सीट से लड़ रहे हैं.
कांग्रेस में पिछले साल मार्च में हुई टूट के बाद पार्टी के 10 नेता बीजेपी में शामिल हो गए. मौजूदा विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने पार्टी में शामिल हुए 13 कांग्रेसी नेताओं को इन चुनावों में टिकट दिया है और इसके लिए बीजेपी ने अपने ही नेताओं के टिकट इस उम्मीद में काटे कि ये बड़े नेता पार्टी के लिए चुनाव जीतेंगे लेकिन ढेर सारे बागियों के खड़े होने से बीजेपी के लिए सिरदर्द बढ़ा है.
उधर कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती स्टार कैंपेनरों की कमी है. खासतौर से केंद्रीय नेताओं की ओर से प्रचार में सहयोग बहुत कम दिखा और हरीश रावत के ऊपर ही प्रचार की सारी जिम्मेदारी रही. बागियों की समस्या कांग्रेस को भी परेशान कर रही है. हालांकि मुख्यमंत्री का दावा है कि उनके बागी बीजेपी ने खड़े किए हैं. बागियों की वजह से कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला है.
1. चौबटाखाल - यहां बीजेपी के तीरथ सिंह रावत को कांग्रेस से आए सतपाल महाराज के लिए सीट छोड़नी पड़ी. तीरथ को तो बीजेपी ने किसी तरह मना लिया लेकिन उनके करीबी कवीन्द्र इस्टवाल मैदान में हैं जिससे महाराज के लिए दिक्कत पैदा हुई है.
2. सहसपुर - देहरादून से लगी इस सीट से कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को टिकट मिला है जो वर्तमान विधायक सहदेव पुंडीर के खिलाफ मैदान में हैं लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के करीबी आर्येन्द्र शर्मा के खड़े होने से कांग्रेस परेशान है. उधर इसी सीट पर बीजेपी की बागी लक्ष्मी अग्रवाल भी मैदान में हैं.
3. केदारनाथ - यहां बीजेपी ने कांग्रेस से आई शैला रानी रावत को टिकट दिया तो विरोध में बीजेपी की आशा नौटियाल खड़ी हो गई हैं.. कांग्रेस के मनोज रावत के अलावा एक निर्दलीय कुलदीप रावत के खड़े होने से यहां मुकाबला जटिल हो गया है.
4. नरेंद्र नगर - यहां भी बीजेपी ने कांग्रेस से आए सुबोध उनियाल को टिकट दिया है जिसकी वजह से बीजेपी के बागी ओम गोपाल रावत खड़े हैं.
5. भीमताल - इस सीट पर कांग्रेस के दान सिंह के सामने बीजेपी के गोविंद सिंह बिष्ट हैं. लेकिन यहां पर कांग्रेस के बागी रामसिंह कैड़ा खड़े हैं.
6. रानीखेत - पिछली बार 76 वोट से चुनाव जीतने वाले बीजेपी अध्यक्ष अजय भट्ट के सामने फिर पुराने प्रतिद्वंद्वी करन मेहरा हैं लेकिन बीजेपी के बागी प्रमोद नैनवाल के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
यही सीटें नहीं कई सीटों पर ऐसे बागी खड़े हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वो राजनीतिक विरोधियों ने एक -दूसरे को हराने के लिए खड़े करवाए हैं.
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