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This Article is From May 18, 2016

आरोपों से घिरा रहा ओमेन चांडी का मुख्यमंत्री के तौर पर दूसरा कार्यकाल...

आरोपों से घिरा रहा ओमेन चांडी का मुख्यमंत्री के तौर पर दूसरा कार्यकाल...
केरल की राजनीति के सबसे बड़े नामों में शुमार होने वाले ओमेन चांडी वर्ष 2011 में दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद पर बैठे थे, लेकिन यह कार्यकाल आरोपों से घिरा रहा... इस दौरान न सिर्फ उन पर और उनके सहयोगियों पर सोलर स्कैम में भ्रष्टाचार के आरोप लगे, बल्कि कार्यकाल के अंतिम दिनों में राज्य में हुई बलात्कार व हत्याओं की वारदातों की वजह से बिगड़ती कानून एवं व्यवस्था को लेकर भी लचर प्रशासन का आरोप झेलना पड़ा...

पहली बार वर्ष 2004 में बने थे केरल के मुख्यमंत्री...
31 अक्टूबर, 1943 को कोट्टायम के कुमाराकोम में जन्मे ओमेन चांडी इससे पहले वर्ष 2004 से 2006 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे हैं... दरअसल, 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद एके एंटनी को पद से हटाने की वजह से चांडी को विधायक दल का नेता चुना गया था... वर्ष 2006 से 2011 के बीच वह विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे...

केरल स्टूडेंट्स यूनियन कार्यकर्ता के रूप में हुई थी राजनैतिक जीवन की शुरुआत...
केरल स्टूडेंट्स यूनियन (केएसयू) के कार्यकर्ता के रूप में राजनैतिक जीवन की शुरुआत करने वाले चांडी पुतुपल्ली के सेंट जॉर्ज हाईस्कूल में केएसयू के इकाई अध्यक्ष भी रहे, और वर्ष 1967 से 1969 तक केएसयू अध्यक्ष रहने के बाद उन्हें 1970 में केरल यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया... पार्टी में लगातार काम करते रहने के चलते उन्हें अंततः राज्य की पार्टी इकाई का अध्यक्ष भी बनाया गया... कोट्टायम के सीएमएस कॉलेज और चांगानासेरी के एसबी कॉलेज से शिक्षा ग्रहण करने वाले ओमेन चांडी ने एरनाकुलम स्थित सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री भी ली...

पुतुपल्ली विधानसभा क्षेत्र का कई दशक तक प्रतिनिधित्व करने वाले ओमेन चांडी 1970, 1977, 1980, 1982, 1987, 1991, 1996, 2001, 2006 तथा 2011 में विधानसभा सदस्य चुने गए।

कई बार विभिन्न मंत्रालय भी संभाले...
दो बार राज्य का मुख्यमंत्री पद संभालने वाले ओमेन चांडी वर्ष 1996 से 1998 के बीच पब्लिक एकाउंट्स कमेटी के अध्यक्ष भी रहे हैं, और विभिन्न मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में कैबिनेट स्तर के मंत्री भी... अप्रैल, 1977 से अक्टूबर, 1978 के बीच उन्हें के. करुणाकरण और एके एंटनी की सरकारों में श्रम मंत्रालय सौंपा गया, और फिर दिसंबर, 1981 से मार्च, 1982 तक वह राज्य के गृहमंत्री रहे... वर्ष 1991 में ओमेन चांडी को के. करुणाकरण ने अपनी सरकार में वित्त मंत्रालय सौंपा, और वह इस पद पर जून, 1994 तक रहे...

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