चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आज सामने आ गए हैं। केरल, पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु और पुद्दुच्चेरी में हुए इन चुनावों में कई दिग्गजों ने भी हिस्सा लिया जिन पर सभी की नज़र थी। एक नज़र ऐसे ही पांच नामों पर जिन्हें हार का सामना करना पड़ा -
श्रीसंत : केरल के तिरुवनंतपुरम से क्रिकेटर श्रीसंत बीजेपी की ओर से चुनाव में खड़े हुए थे लेकिन वहां कांग्रेस के वीएस शिवकुमार ने 46 हज़ार से भी ज्यादा वोट हासिल किए हैं। वहीं श्रीसंत को करीब 34000 वोटों से ही संतुष्ट होना पड़ा। हार के बाद श्रीसंत ने ट्वीट करते हुए समर्थकों को प्यार और सम्मान देने के लिए शुक्रिया अदा किया और कहा कि वह लोगों की सेवा करते रहेंगे। एनडीटीवी से बातचीत में श्रीसंत ने कहा कि 'मैं एक हार से हताश नहीं हूं..20-20 खेलने नहीं आया टेस्ट मैच खेलूंगा।'
पद्मजा वेणुगोपाल : केरल के त्रिशूर से कांग्रेस प्रत्याशी पद्मजा वेणुगोपाल को भी हार का सामना करना पड़ा है। इस क्षेत्र में वी एस सुनीलकुमार ने 33 हज़ार से ज्यादा वोट हासिल किए और सीपीआई ने इस सीट पर कब्ज़ा जमा लिया, वहीं पद्मजा 29 हज़ार वोट ही जुटा पाईं। पद्मजा के लिए त्रिशूर काफी अहम था क्योंकि उनके दिवंगत पिता और कांग्रेस के दिग्गज नेता के. करुणाकरण ने यहीं से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी और इस क्षेत्र में उन्हें किसी 'राजनीतिक देवता' से कम नहीं समझा जाता था।
कुम्मनम राजशेखरन : केरल में राजशेखरन को आरएसएस का सबसे लोकप्रिय नेता माना जाता है। पिछले साल से उन्होंने केरल में बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रखी थी लेकिन इस चुनाव में उन्हें निराशा हाथ लगी। वट्टियूरकावू सीट पर के मुरलीधरन ने 18000 से ज्यादा वोटों के साथ जीत हासिल की और इस तरह यहां कांग्रेस का हाथ अभी भी बरकरार है। कुम्मनम को 14,781 वोट ही मिल पाए, जबकि उनसे ज्यादा 14,956 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर सीपीएम की टी एन सीमा रहीं।
रूपा गांगुली : अभिनेत्री और अब बीजेपी नेता रूपा गांगुली इस बार हावड़ा उत्तर से चुनाव में खड़ी हुईं थीं लेकिन पूर्व क्रिकेटर और टीएमसी के नेता लक्ष्मीरतन शुक्ला के आगे वह नहीं टिक पाईं। शुक्ला को 34,766 वोट मिले, वहीं गांगुली मात्र 11 हज़ार वोट ही जुटा पाईं। उनसे ज्यादा 17,706 वोट कांग्रेस के संतोष कुमार पाठक ने बटोरे हैं। गौरतलब है कि वोटिंग के दिन गांगुली को अपने निर्वाचन क्षेत्र में ममता बनर्जी की समर्थक को थप्पड़ मारते हुए कैमरे पर देखा गया था। हालांकि गांगुली ने साफ किया था कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं और उन्हें तृणमूल के गुंडों ने धक्का मारा था।
बाइचुंग भूटिया : सिलीगुड़ी से टीएमसी की ओर से चुनाव में खड़े हुए फुटबॉलर बाइचुंग भूटिया को सीपीएम के अशोक भट्टाचार्य से हार का सामना करना पड़ा। सीपीएम को इस सीट पर लाभ मिला है, वहीं पिछले चुनाव में इस सीट पर टीएमसी का ही कब्ज़ा था। बाइचुंग कुल मिलाकर करीब 4 हज़ार वोट ही अपनी पार्टी के लिए जुटा पाए। हार के बाद भूटिया ने कहा है कि वह जनादेश को स्वीकार करते हैं और देखेंगे कि उनसे गलती कहां हुई है। गौरतलब है कि भूटिया ने दार्जलिंग से तृणमूल कांग्रेस की तरफ से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
श्रीसंत : केरल के तिरुवनंतपुरम से क्रिकेटर श्रीसंत बीजेपी की ओर से चुनाव में खड़े हुए थे लेकिन वहां कांग्रेस के वीएस शिवकुमार ने 46 हज़ार से भी ज्यादा वोट हासिल किए हैं। वहीं श्रीसंत को करीब 34000 वोटों से ही संतुष्ट होना पड़ा। हार के बाद श्रीसंत ने ट्वीट करते हुए समर्थकों को प्यार और सम्मान देने के लिए शुक्रिया अदा किया और कहा कि वह लोगों की सेवा करते रहेंगे। एनडीटीवी से बातचीत में श्रीसंत ने कहा कि 'मैं एक हार से हताश नहीं हूं..20-20 खेलने नहीं आया टेस्ट मैच खेलूंगा।'
पद्मजा वेणुगोपाल : केरल के त्रिशूर से कांग्रेस प्रत्याशी पद्मजा वेणुगोपाल को भी हार का सामना करना पड़ा है। इस क्षेत्र में वी एस सुनीलकुमार ने 33 हज़ार से ज्यादा वोट हासिल किए और सीपीआई ने इस सीट पर कब्ज़ा जमा लिया, वहीं पद्मजा 29 हज़ार वोट ही जुटा पाईं। पद्मजा के लिए त्रिशूर काफी अहम था क्योंकि उनके दिवंगत पिता और कांग्रेस के दिग्गज नेता के. करुणाकरण ने यहीं से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी और इस क्षेत्र में उन्हें किसी 'राजनीतिक देवता' से कम नहीं समझा जाता था।
कुम्मनम राजशेखरन : केरल में राजशेखरन को आरएसएस का सबसे लोकप्रिय नेता माना जाता है। पिछले साल से उन्होंने केरल में बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रखी थी लेकिन इस चुनाव में उन्हें निराशा हाथ लगी। वट्टियूरकावू सीट पर के मुरलीधरन ने 18000 से ज्यादा वोटों के साथ जीत हासिल की और इस तरह यहां कांग्रेस का हाथ अभी भी बरकरार है। कुम्मनम को 14,781 वोट ही मिल पाए, जबकि उनसे ज्यादा 14,956 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर सीपीएम की टी एन सीमा रहीं।
रूपा गांगुली : अभिनेत्री और अब बीजेपी नेता रूपा गांगुली इस बार हावड़ा उत्तर से चुनाव में खड़ी हुईं थीं लेकिन पूर्व क्रिकेटर और टीएमसी के नेता लक्ष्मीरतन शुक्ला के आगे वह नहीं टिक पाईं। शुक्ला को 34,766 वोट मिले, वहीं गांगुली मात्र 11 हज़ार वोट ही जुटा पाईं। उनसे ज्यादा 17,706 वोट कांग्रेस के संतोष कुमार पाठक ने बटोरे हैं। गौरतलब है कि वोटिंग के दिन गांगुली को अपने निर्वाचन क्षेत्र में ममता बनर्जी की समर्थक को थप्पड़ मारते हुए कैमरे पर देखा गया था। हालांकि गांगुली ने साफ किया था कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं और उन्हें तृणमूल के गुंडों ने धक्का मारा था।
बाइचुंग भूटिया : सिलीगुड़ी से टीएमसी की ओर से चुनाव में खड़े हुए फुटबॉलर बाइचुंग भूटिया को सीपीएम के अशोक भट्टाचार्य से हार का सामना करना पड़ा। सीपीएम को इस सीट पर लाभ मिला है, वहीं पिछले चुनाव में इस सीट पर टीएमसी का ही कब्ज़ा था। बाइचुंग कुल मिलाकर करीब 4 हज़ार वोट ही अपनी पार्टी के लिए जुटा पाए। हार के बाद भूटिया ने कहा है कि वह जनादेश को स्वीकार करते हैं और देखेंगे कि उनसे गलती कहां हुई है। गौरतलब है कि भूटिया ने दार्जलिंग से तृणमूल कांग्रेस की तरफ से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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