
चार्ली चैप्लिन का जन्म 16 अप्रैल 1889 को लंदन में हुआ था.
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
दुनिया के सबसे बड़े कॉमेडियन पर संदेह करता था अमेरिका
खुफिया एजेंसी एफबीआई और एमआई5 से कराता था उनकी जासूसी
महात्मा गांधी से प्रभावित थे हास्य कलाकार चार्ली चैप्लिन
इस वजह से अमेरिका को खटकते थे चार्ली चैपलिन
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1950-60 के दशक में लगभग पूरी दुनिया दो गुटों में बंट गई थी. एक गुट का नेतृत्व अमेरिका और दूसरे का सोवियत संघ (रूस) कर रहा था. सोवियत संघ जहां साम्यवाद का समर्थक था तो अमेरिका पूंजीवाद का. ऐसे में अमेरिकी सरकार साम्यवाद का सफाया करने के लिए कर तरह की कोशिश कर रही थी. 50-60 के दशक में हॉलीवुड में चार्ली चैपलिन की तूती बोलती थी. कई फिल्में तो उनके नाम मात्र से हिट हो जाती थीं. दुनिया भर में उनके फैंस की अच्छी खासी तादाद थी.
अमेरिका को शक था कि चार्ली चैपलिन कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रेरित हैं और वे समाज में लोगों को इससे जोड़ने की कोशिश करते हैं. यह बात अमेरिका को खटक रहा था. इसलिए उसने अपने देश की खुफिया एजेंसी एफबीआई को चार्ली चैपलिन की निजी जिंदगी से जुड़ी जानकारी जुटाने को कहा.
दरअसल, चार्ली चैपलिन ज्यादातर लंदन में निवास करते थे, इसलिए एफबीआई ने उनसे जुड़ी जानकारी जुटाने का जिम्मा 'एमआई 5' को सौंप दिया. हालांकि एमआई 5 चार्ली चैपलिन के खिलाफ वैसा कोई सबूत जुटाने में नाकाम रही, जो यह साबित कर सके कि यह हास्य कलाकार अमेरिका के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं. एफबीआई का मानना था कि चार्ली का असली नाम इजरायल थोर्नस्टेन था. एमआई-5 की खुफिया जांच में इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई थी.
फिर भी दूर नहीं हुआ अमेरिका का शक
ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआई-5 की ओर से आश्वस्त करने के बाद भी चार्ली चैपलिन के प्रति अमेरिकी खुफिया एजेंसी का शक दूर नहीं हुआ. 1953 में चार्ली चैपलिन अमेरिका से बाहर गए तो उन्हें दोबारा यहां नहीं लौटने दिया गया. आखिरकार वे स्विटजरलैंड में बस गए.
मालूम हो कि चार्ली चैपलिन मौन फिल्मों में कॉमेडी करने के अलावा ग्रेट डिक्टेटर और मार्डन टाइम्स जैसी कई बेहतरीन फिल्मों का भी निर्माण किया था. ग्रेट डिक्टेटर उस दौर में बनाई गई थी जब ब्रिटेन के नाजी जर्मनी के साथ अच्छे संबंध थे. इस फिल्म के अंत में चैप्लिन मानवता के लिए युद्धों से मुक्त एक सुखद भविष्य बनाने की बात करते हैं.
बापू से प्रभावित थे चार्ली चैपलिन
महात्मा गांधी से मुलाकात चैप्लिन की जिंदगी के अहम पड़ावों में से एक है. लंदन में महात्मा गांधी से मुलाकात के पहले चैप्लिन ने अपनी डायरी में लिखा था कि वो इस सोच में पड़ गए थे कि राजनीति के ऐसे माहिर खिलाड़ी से किस मुद्दे पर बात की जाए. मुलाकात के वक्त चैप्लिन ने महात्मा गांधी से पूछा कि आधुनिक समय में उनका मशीनों के प्रति विरोधी व्यवहार कितना जायज है. इसके जवाब में गांधी जी ने कहा था वो मशीनों के नहीं, बल्कि इस बात के विरोधी हैं कि मशीनों की मदद से इंसान ही इंसान का शोषण कर रहा है. इससे चैप्लिन इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस मुद्दे पर 'टाइम मशीन' नाम की एक फिल्म बना डाली.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं