यह ख़बर 11 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

काम के दबाव का कैंसर से कोई संबंध नहीं

खास बातें

  • शोधकर्ताओं का कहना है कि काम के दबाव का, शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने तथा फेफड़े, स्तन एवं प्रोस्टेट कैंसर से कोई रिश्ता नहीं है।
लंदन:

शोधकर्ताओं का कहना है कि काम के दबाव का, शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने तथा फेफड़े, स्तन एवं प्रोस्टेट कैंसर से कोई रिश्ता नहीं है।

कैंसर के 90 प्रतिशत मामलों में पर्यावरणीय कारक जिम्मेदार होते हैं। खासकर पराबैगनी किरणें और तंबाकू सेवन कैंसर के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं। किसी भी मानसिक कारक, जैसे दबाव का कैंसर जैसी बीमारी से कोई लेना-देना नहीं है।

इस तथ्य का पता लगाने के लिए फिनिश इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ एंड युनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने 12 अध्ययनों का मूल्यांकन किया।

शोध में अलग-अलग देशों से 17 से 70 वर्ष के  116,000 प्रतिभागियों को शामिल किया गया।

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शोध के परिणाम में यह पाया गया कि कैंसर रोग से पीड़ित प्रतिभागी 12 वर्षों के दौरान तंबाकू सेवन या अन्य पर्यावरणीय कारणों से कैंसर का शिकार हुए। काम के दबाव का बीमारी से कोई रिश्ता नहीं था।