जेट एयरवेज (Jet Airways) मुश्किलों में घिरी हुई है. जेट एयरवेज (Jet Airways) के चेरयमैन नरेश गोयल (Naresh Goyal) और उनकी पत्नी ने कंपनी के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया है. लगातार घाटे में चल रही और नकदी संकट से जूझ रही जेट एयरवेज पिछले चार महीने से कर्मचारियों की सैलरी भी नहीं दे पाई है. पूर्ण विमानन सेवा कंपनी जेट एयरवेज (Jet Airways) गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है. इसकी वजह से उसे अपने कई विमानों को खड़ा करना पड़ा है और साथ ही वह कर्मचारियों के वेतन भुगतान तथा ऋण भुगतान में विलंब कर रही है. नरेश गोयल (Naresh Goyal) को मजबूर होकर चेयरमैन के पद से इस्तीफा देना पड़ा. नरेश गोयल (Naresh Goyal) ने जेट एयरवेज (Jet Airways) को बनाने के लिए काफी संघर्ष किया. 18 की उम्र में वो दिल्ली खाली हाथ आए थे. उनको भी नहीं पता था कि वो फर्श से अर्श तक पहुंच जाएंगे.
जेट एयरवेज के चेरयमैन नरेश गोयल और उनकी पत्नी ने कंपनी के निदेशक मंडल से दिया इस्तीफा
आर्थिक तंगी में गुजरा बचपन
नरेश गोयल (Naresh Goyal) का जन्म 29 जुलाई 1949 में पंजाब के संगरूर में हुआ. उनके पिता ज्वैलरी के व्यापारी थे. जब नरेश छोटे थे तो उनके पिता का निधन हो गया. वो छठवीं तक सरकारी स्कूल में पढ़े. जब वो 11 साल के थे तो उनका परिवार आर्थिक संकट से गुजरा रहा था और उनका घर नीलामी हो गया था.. जिसके बाद वो अपनी मां संग नाना के साथ रहने लगे. पटियाला के बिकराम कॉलेज से ग्रैजुएशन किया.
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फिर बन गए ट्रैवल एजेंट
पढ़ाई पूरी करने के बाद वो दिल्ली आ घए. 1967 में नरेश गोयल (Naresh Goyal) ने दिल्ली के केनॉट प्लेस पर ट्रैवल एजेंसी में काम करना शुरू कर दिया. उस नौकरी में उनको 300 रुपये मिलते थे. जिसके बाद उनको पता चल गया कि उनको ट्रैवल इंडस्ट्री में ही करियर बनाना है. 1973 में नरेश गोयल ने अपनी ट्रैल एजेंसी खोल ली. उनकी एजेंसी का नाम था जेट एयर. उन्होंने अपनी कंपनी का नाम एयरलाइन्स जैसा रखा था. इसके लिए लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे. वहीं से उन्होंने ठान लिया कि वो खुद की एयरलाइंस खोलेंगे.
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1991 में पूरा हुआ सपना
नरेश गोयल कई दोस्त एयरलाइंस में थे. सभी विदेशी एयरलाइंस में काम करते थे. ऐसा कहा जाता है कि दोस्तों के साथ रहते-रहते वो पूरा एयरलाइंस बिजनेस समझ चुके थे. 1991 में उनका सपना पूरा हुआ. उन्होंने 1991 में एयर टेक्सी ली और एयरवेज की शुरुआत की. एक साल के अंदर ही उन्होंने चार एयरक्राफ्ट खरीद लिए और पहली उड़ान शुरू कर दी.
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...और ऐसे डूब गई जेट एयरलाइंस
जेट एयरवेज ने भारत में पहचान बना ली थी. विदेश में नाम कमाने के लिए उन्होंने 2007 में एयर सहारा को 1,450 करोड़ रुपये में खरीद लिया. नरेश गोयल का ये फैसला सबसे बड़ी गलती माना गया. एयर सहारा का नाम बदलकर एयर जेटलाइट रखा गया. जिसके बाद उनके सामने मुश्किलें खड़ी हो गईं. 2007 तक उनकी कंपनी में 13 हजार कर्मचारी थे. 2008 में उन्होंने करीब 2 हजार कर्मचारियों की छटनी की. लेकिन उनको दोबारा नौकरी पर रखा गया. 2012 में जेट एयरवेज डोमेस्टिक मार्केट में पिछड़ती गई. इंडिगो ने उनको पछाड़ दिया था. 2013 में यूएई के एतिहाद एयरलाइंस ने जेट के 24 प्रतिशत शेयर्स खरीद लिए. गोयल के पास 51 प्रतिशत शेयर थे.
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2018 में एयरलाइंस को नुकसान हुआ, जिसके बाद इंडिपेंडेंट डायरेक्टर रंजन मथाई ने इस्तीफा दिया. कर्मचारियों को सैलरी नहीं दी गई. कंपनी ने बैंक को ईएमआई नहीं दी. कंपनी की रेटिंग गिरी और कंपनी के बुरे दिन शुरू हो गए. 25 मार्च को नरेश गोयल को चेयरमैन पद से इस्तीफा देना पड़ा.
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