प्रतीकात्मक फोटो.
अहमदाबाद:
गुजरात के गिर के जंगल में यहां बसने वाले शेरों के कारण पूरी दुनिया में मशहूर हैं. लेकिन आधी रात के बाद गिर के जंगल में कुछ ऐसा हुआ जैसा पहले कभी नहीं हुआ. जंगल में 12 शेरों के बीच एक बच्चे ने रोते हुए दुनिया में कदम रखा.
मंगूबेन मकवाना कभी भी 29 जून की रात नहीं भूल सकेंगी. एक तो प्रसव पीड़ा ऊपर से शेरों की दहशत. अमरेली जिले के इस सुदूरवर्ती गांव में गिर के जंगलों के पास से आधी रात में जब वे एक एंबुलेंस से अस्पताल जा रही थीं तभी एंबुलेंस को 12 शेरों ने घेर लिया. वाहन आगे नहीं बढ़ सका लेकिन प्रसव पीड़ा बढ़ती गई.
करीब 20 मिनट तक ऐसे ही हालात बने रहे. इस दौरान '108' एंबुलेंस में तैनात पैरामेडिकल स्टाफ ने बेहद साहस दिखाया और प्रसव प्रक्रिया में मंगूबेन की मदद की. आखिरकार शेरों से घिरी एंबुलेंस में मंगूबेन के बच्चे ने जन्म लिया. इस बीच तीन नर शेरों समेत 12 शेर वाहन का रास्ता रोककर खड़े रहे.
अमरेली में '108' के आपातकालीन प्रबंधन कार्याधिकारी चेतन गाढे ने कहा कि यह वाकया गुरुवार को देर रात करीब ढाई बजे का है. लुनासापुर गांव की निवासी मंगूबेन मकवाना को जाफराबाद कस्बे के सरकारी अस्पताल ले जाया जा रहा था.
(इनपुट भाषा से)
मंगूबेन मकवाना कभी भी 29 जून की रात नहीं भूल सकेंगी. एक तो प्रसव पीड़ा ऊपर से शेरों की दहशत. अमरेली जिले के इस सुदूरवर्ती गांव में गिर के जंगलों के पास से आधी रात में जब वे एक एंबुलेंस से अस्पताल जा रही थीं तभी एंबुलेंस को 12 शेरों ने घेर लिया. वाहन आगे नहीं बढ़ सका लेकिन प्रसव पीड़ा बढ़ती गई.
करीब 20 मिनट तक ऐसे ही हालात बने रहे. इस दौरान '108' एंबुलेंस में तैनात पैरामेडिकल स्टाफ ने बेहद साहस दिखाया और प्रसव प्रक्रिया में मंगूबेन की मदद की. आखिरकार शेरों से घिरी एंबुलेंस में मंगूबेन के बच्चे ने जन्म लिया. इस बीच तीन नर शेरों समेत 12 शेर वाहन का रास्ता रोककर खड़े रहे.
अमरेली में '108' के आपातकालीन प्रबंधन कार्याधिकारी चेतन गाढे ने कहा कि यह वाकया गुरुवार को देर रात करीब ढाई बजे का है. लुनासापुर गांव की निवासी मंगूबेन मकवाना को जाफराबाद कस्बे के सरकारी अस्पताल ले जाया जा रहा था.
(इनपुट भाषा से)
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